आज के दिन भारत और विश्व में कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटी जो हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज होकर रह गईं हैं। जन्म और मृत्यु का चक्र हमेशा चलता रहता है। साल का हर दिन किसी की जन्मतिथि तो किसी की पुण्यतिथि के रूप में इतिहास में दर्ज है।
रामकिंकर बैज जन्म- 26 मई, 1906; मृत्यु- 2 अगस्त, 1980) भारत के प्रसिद्ध मूर्तिकार थे। आधुनिक भारतीय मूर्तिकला के अग्रदूतों में उनकी गणना होती है। ‘संभाल परिवार’, ‘मिल कॉल’, ‘महात्मा बुध’, ‘मिथुन’, ‘सुजात’ व ‘रविंद्र नाथ टैगोर का आवक्ष’ (पोट्रेट) आदि उनके प्रमुख मूर्तिशिल्प हैं। अपने दृढ़ संकल्प से वह भारतीय कला के प्रतिष्ठित प्रारंभिक आधुनिक कलाकारों में से एक बने थे। भारतीय कला में उनके अतुल्य योगदान के लिए वर्ष 1970 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया।
परिचय

रामकिंकर बैज का जन्म 26 मई, 1906 को पश्चिम बंगाल के बांकुरा में एक आर्थिक और सामाजिक रूप से विपन्न परिवार में हुआ। उनको आधुनिक भारतीय मूर्तिकला का जनक भी कहा जाता है।
शिक्षा
वर्ष 1925 में उन्होंने शांतिनिकेतन स्थित कला विद्यालय यानी कला भवन में अपना प्रवेश सुनिश्चित किया और इसके साथ ही नंदलाल बोस के मार्गदर्शन में अनेक बारीकियां सीखीं। शांतिनिकेतन के मुक्त एवं बौद्धिक माहौल में उनके कलात्मक कौशल और बौद्धिक क्षितिज को नए आयाम मिले तथा इस प्रकार से उन्हें अपने ज्ञान में और भी अधिक गहराई एवं जटिलता प्राप्त हुई। कला भवन में अपनी पढ़ाई पूरी करने के तुरंत बाद ही वे संकाय के एक सदस्य बन गए और फिर उन्होंने नंदलाल बोस और बिनोद बिहारी मुख़र्जी के साथ मिलकर शांतिनिकेतन को आजादी-पूर्व भारत में आधुनिक कला के सबसे महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कला शैली
रामकिंकर बैज की यादगार मूर्तियां सार्वजनिक कला में प्रमाणित मील का पत्थर हैं। भारतीय कला में सबसे पहले आधुनिकतावादियों में से एक रामकिंकर ने यूरोपीय आधुनिक दृश्य भाषा की शैली को आत्मसात किया, लेकिन इसके बावजूद वह अपने ही भारतीय मूल्यों से गहरे रूप से जुड़े हुए थे। उन्होंने पहले आलंकारिक शैली एवं बाद में भावात्मक शैली और फिर वापस आलंकारिक शैली में पूरी बेकरारी के साथ अनगिनत प्रयोग किए। उनकी थीम मानवतावाद की गहरी समझ और मनुष्य एवं प्रकृति के बीच पारस्परिक निर्भरता वाले संबंधों की सहज समझ से जुड़ी होती थीं।
अपनी पेंटिंग एवं मूर्तियों दोनों में ही उन्होंने प्रयोग की सीमाओं को नए स्तरों पर पहुंचा दिया और इसके साथ ही नई सामग्री का खुलकर उपयोग किया। उदाहरण के लिए, उनके द्वारा अपरंपरागत सामग्री जैसे कि अपनी यादगार सार्वजनिक मूर्तियों में किए गए सीमेंट कंक्रीट के उपयोग ने कला के क्षेत्र में अपनाई जाने वाली प्रथाओं के लिए एक नई मिसाल पेश की। प्रतिमाओं को बेहतरीन बनाने के लिए उनमें सीमेंट, लेटराइट एवं गारे का उपयोग और आधुनिक पश्चिमी एवं भारतीय शास्त्रीय-पूर्व मूर्तिकला मूल्यों का समावेश करने वाली अभिनव निजी शैली का इस्तेमाल दोनों ही समान रूप से विलक्षण थे।
प्रमुख मूर्ति शिल्प
रामकिंकर बैज के मुख्य मूर्ति शिल्पों में शामिल हैं- ‘संभाल परिवार’, ‘मिल कॉल’, ‘महात्मा बुध’, ‘मिथुन’, ‘सुजात’ व ‘रविंद्र नाथ टैगोर का आवक्ष’ (पोट्रेट) आदि।
इस मूर्ति शिल्प की रचना सन 1956 में रामकिंकर बैज द्वारा की गई जो की शांतिनिकेतन में स्थापित है। इसका ढांचा बनाने में लोहे का उपयोग किया गया तथा जिस पर आकार बनाने हेतु सीमेंट बजरी का उपयोग किया गया। इस स्मार्किम मूर्ति शिल्प में दो स्त्रियों व बालक को तेज गति से जाते हुए दर्शाया गया है। ये चावल की मिल में काम करने वाली मजदूर स्त्रियां हैं जिनको मिल के समान की आवाज सुनाई दी जिससे वे मिल की तरफ प्रस्थान कर रही हैं। इनके पास कपड़े सुखाने का भी समय नहीं है। इसलिए वह दौड़ते हुए कपड़े सुखा रहे हैं। तेज गति दिखाने के लिए स्त्रियों के वस्त्रों को उड़ते हुए पैरों से मिट्टी को उछलते हुए प्रदर्शित किया गया है। एक स्त्री को आगे की ओर देखते हुए दूसरी स्त्री को पीछे की ओर देखते हुए दिखाया गया है। बालक का मुख ऊपर की ओर देखते हुए दिखाया गया है। इस मूर्ति शिल्प में कलागत दृष्टि से गति प्रभाव लावणी वह प्रमाण आदि का समावेश श्रेष्ठ रूप से किया गया है।
संथाल परिवार
इस मूर्ति शिल्प की रचना सन 1938 में शांतिनिकेतन में की गई, जिसमें एक साथ परिवार के एक पुरुष व एक महिला को दिखाया गया है। महिला के बाएं हाथ में एक शिशु जबकि पुरुष के बाएं कंधे पर बड़ा कांवर है, जिसके आगे की तरफ वाली टोकरी में एक शिशु को बैठे हुए दिखाया है। जिसके भार को संतुलित करने के लिए पिछली टोकरी में समान रखा दिखाया गया है। साथ ही एक कुत्ते को दिखाया है। महिला के सिर पर टोकरी व दरी-पट्टी रखे दिखाया गया है। यह शिल्प आदम कद से डेढ़ गुना बड़ा है। प्रस्तुत मूर्ति शिल्प में जनजाति कृषक गरीब संभाल परिवार का जीवन प्रस्तुत किया गया है जो जीविकोपार्जन हेतु एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हुए दिखाया गया है।
सम्मान व पुरस्कार
वैसे तो रामकिंकर बैज की कलाकृतियों को शुरुआत में लोकप्रिय होने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे वह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों ही स्तरों पर लोगों का ध्यान खींचने में कामयाब होने लगीं। उन्हें वर्ष 1950 में सैलोन डेस रेलीटिस नूवेल्स और वर्ष 1951 में सैलोन डे माई में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया। उन्हें एक के बाद एक कई राष्ट्रीय सम्मानों से नवाजा गया। वर्ष 1970 में भारत सरकार ने उन्हें भारतीय कला में उनके अमूल्य योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया। वर्ष 1976 में उन्हें ललित कला अकादमी का एक फेलो बनाया गया। उन्हें वर्ष 1976 में विश्व भारती द्वारा मानद डॉक्टरल उपाधि ‘देशोत्तम’ से और वर्ष 1979 में रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय द्वारा मानद डी.लिट से सम्मानित किया गया।
मृत्यु
कोलकाता में कुछ समय तक बीमार रहने के बाद रामकिंकर बैज 2 अगस्त, 1980 को अपनी अंतिम एवं अनंत यात्रा पर निकल पड़े।
आईये जानते हैं 26 मई का इतिहास की ऐसी ही कुछ महत्त्वपूर्ण घटनाएँ जिन्हे जानकर आपका सामान्य ज्ञान बढ़ेगा। एकत्रित तथ्य ऐसे होंगे जैसे : आज के दिन जन्मे चर्चित व्यक्ति, प्रसिद्ध व्यक्तियों के निधन, युद्ध संधि, किसी देश के आजादी, नई तकनिकी का अविष्कार, जनवरीत्ता का बदलना, महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दिवस इत्यादि।
26 मई की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ
2002 - चीन का विमान समुद्र में गिरा, 225 लोग मरे।
2006 - विज्ञान जगत् में एक शोध के मुताबिक़ एड्स का विषाणु कैमरून में पाए जाने वाले चिपैंजिओं से फैला है।
2007 - भारत और जर्मनी के मध्य रक्षा समझौता सम्पन्न।
2008 -
भारतीय स्टेट बैंक ने फ़सल ऋण बीमा को 50 हज़ार रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया। उत्तर प्रदेश सरकार ने अनाज व खाद्य तेलों की स्टॉक सीमा तय करने के सम्बन्ध में अधिसूचना जारी की।
मंगल ग्रह के अध्ययन हेतु फ़ीनिक्स यान मंगल ग्रह पर उतरा। नेपाल सरकार ने नरेश ज्ञानेन्द्र के नारायणहिती महल को प्रतिबन्धित क्षेत्र घोषित किया। कान फ़िल्म महोत्सव में फ़्रांसीसी फ़िल्म 'द क्लास एंतरे लेसमुर्स' को सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का 'पाल्मे डी केयर' पुरस्कार प्रदान किया गया।
2010 - भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बी.एस.चौहान और न्यायाधीश स्वतंत्र कुमार की खंडपीठ ने शादी किए बगैर एक साथ रहने वाले प्रेमी युगलों की संतानों को को भी अपने मां-बाप की ओर से अर्जित सम्पत्ति में हिस्सा पाने का अधिकार स्वीकार किया। न्यायालय ने साथ ही उन्हें परंपरागत पैतृत संपत्ति पर उनके अधिकार को अस्वीकार किया।
26 मई को जन्मे व्यक्ति
1912 - छगनराज चौपासनी वाला - प्रसिद्ध क्रांतिकारियों में से एक।
1940 - सरताज सिंह - 'भारतीय जनता पार्टी' (भाजपा) के नेता।
1945 - विलासराव देशमुख - भारतीय राजनीतिज्ञ और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनेता थे।
1946 - अरुणा रॉय - भारत की उन महिलाओं में से एक, जो बेहतर सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ-साथ राजनीतिज्ञ भी हैं।
1983 - सुशील कुमार पहलवान - 'बीजिंग ओलिंपिक' खेलों में भारत के लिए 'कांस्य पदक' जीता।
1937 - मनोरमा (तमिल अभिनेत्री) - दक्षिण भारतीय सिनेमा की मशहूर हास्य अभिनेत्री।
1906 - रामकिंकर बैज - भारत के प्रसिद्ध मूर्तिकार थे।
26 मई को हुए निधन
2017 - के. पी. एस. गिल - पंजाब के दो बार पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) रहे थे।
1986 - श्रीकांत वर्मा - हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध कथाकार, गीतकार, समीक्षक और राजनीतिज्ञ।
1934 - चम्पक रमन पिल्लई - भारतीय राजनैतिक कार्यकर्ता और क्रांतिकारी थे।
26 मई के महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव
राष्ट्रीय धातु दिवस
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