SURGUJA: जिले की सांस्कृतिक विरासत संरक्षण पर कार्यशाला का हुआ समापन…………बस में सफर कर महेशपुर पहुंचे सांसद श्री चिंतामणि महाराज

अंबिकापुर में संचालित 5 दिवसीय संभागस्तरीय कार्यशाला का समापन सांस्कृतिक धरोहरों के अवलोकन के साथ हुआ। इस कार्यशाला का आयोजन संचालनालय पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय रायपुर द्वारा सरगुजा की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए किया गया था। अंतिम दिन सरगुजा सांसद श्री चिंतामणि महराज ने शोधार्थियों और छात्रों के साथ महेशपुर में ऐतिहासिक स्मारकों का निरीक्षण किया। सरगुजा अंचल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में प्राचीन वास्तुकला, मूर्तिकला और जनजातीय संस्कृति शामिल है। इस कार्यशाला ने सरगुजा की सांस्कृतिक धरोहरों को संजोने और सुरक्षित रखने के प्रति जागरूकता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई।

प्राचीन शिव मंदिर और शिल्पकलाओं का अवलोकन
सांसद श्री चिंतामणि महराज ने महेशपुर में राज्य संरक्षित प्राचीन शिव मंदिर की शिल्पकलाओं का निरीक्षण किया और पुरातत्व अधिकारियों से संरक्षण स्थिति पर चर्चा की। उप संचालक डॉ. पी. सी. पारख ने जानकारी दी कि महेशपुर के सभी उत्खनित स्मारकों को राज्य शासन द्वारा संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है।
सोमवंशी और कल्चुरी कालीन शिल्पकला पर जानकारी
कार्यशाला के दौरान महेशपुर के उत्खननकर्ता श्री जी. एल. रायकवार और पुरातत्ववेत्ता प्रभात सिंह ने प्रतिभागियों को 7वीं-8वीं सदी के सोमवंशी और कल्चुरी मंदिरों की विशेषताओं से परिचित कराया। इस क्षेत्र में प्राचीन वास्तुकला और मूर्तिकला के महत्वपूर्ण उदाहरण मौजूद हैं, जो सरगुजा की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतिनिधित्व करते हैं।
कार्यशाला में सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण पर व्याख्यान और परिचर्चा
कार्यशाला में सरगुजा के सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण और प्रबंधन पर विशेष व्याख्यान सत्रों और परिचर्चाओं का आयोजन हुआ। सरगुजा के चित्रित शैलाश्रय, महापाषाणीय स्मारकों, इतिहास और पर्यटन की संभावनाओं पर कुल 17 सत्रों में विशेषज्ञों द्वारा विस्तृत जानकारी दी गई। कार्यशाला में विद्यार्थियों और शोधार्थियों को धरोहरों के संरक्षण के महत्वपूर्ण सिद्धांतों से अवगत कराया गया।

सांस्कृतिक स्थलों का भ्रमण
कार्यशाला के अंतिम दिन प्रतिभागियों को महेशपुर और रामगढ़ के प्राचीन स्मारकों का अवलोकन कराया गया। इस अवसर पर प्रो. अश्वनी केशरवानी, डॉ. शंभूनाथ यादव, श्री सतीश सिंह, और श्री अजय चतुर्वेदी भी उपस्थित रहे। इस आयोजन में 80 से अधिक विद्यार्थियों और 10 पदाधिकारियों ने भाग लिया और सरगुजा की धरोहरों के महत्व को करीब से जाना।
