SURGUJA SAAVAN SOMVAAR 2024: सावन भर सरगुजा अंचल के शिव धामों में श्रद्धालू भक्तों का लगता है तांता…………………. सरगुजा संभाग के सभी पावन शिव धामों को जानिए यहाँ
मान्यता है कि अर्द्धनारीश्वर जलेष्वर नाथ शिवलिंग षिवपुर की स्थापना प्रभु श्री राम ने की थी -अजय चतुर्वेदी
भोलेनाथ की पूजा अर्चना के लिए समर्पित है सावन का महीना
इस वर्ष सावन महीने में पड़ रहे है, पांच सोमवार
भगवान भोलेनाथ का प्रिया महीना सावन होता है। हिंदू धर्म में सावन के महीने को काफी पवित्र माना जाता है। सावन के महीना में जो भक्त श्रद्धा और भाव से भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजन और उपवास करते हैं। उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इसलिए यह महीना भोलेनाथ की पूजा अर्चना को समर्पित है। उनकी पूजा करने से मनचाहे परिणाम के प्राप्ति होती है। सावन माह में आने वाले सभी सोमवार को व्रत रखने का विधान है। मानता है कि उपवास रखने से जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है। कुंवारी कन्याओं के लिए यह व्रत बेहद खास होता है, इससे मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। इसलिए साल का सबसे प्रिय महीना श्रवण मास को माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि भोलेनाथ को अगर एक लोटा जल और बेल पत्र चढ़ा दें तो वे अति प्रसन्न हो जाते हैं ,और बिना मांगे सब कुछ दे देते हैं। 2024 में पांच सोमवार है। श्रावण मास सावन सोमवार के साथ आरंभ हो रहा है। और इसी दिन के साथ समाप्त हो रहा है। सरगुजा अंचल के सभी जिलो के शिव मंदिरों में सावन भर शिव भक्त कांवरियों का जलाभिषेक करने के लिए तांता लगा रहता है। राज्यपाल पुरस्कृत शोधकर्ता अजय कुमार चतुर्वेदी ने सरगुजा संभाग के सभी पावन शिव धामों को विस्तार से बताया।
सूरजपुर जिले के पावन शिव धाम
सूरजपुर जिला अंतर्गत सरगुजा अंचल का प्रसिद्ध बाबा धाम अर्द्धनारीश्वर जलेष्वर नाथ शिवलिंग ग्राम पंचयत शिवपुर में ‘‘शिवपुर तुर्रा‘‘ नामक स्थल प्रसिद्ध है। यह पावन शिवधाम काफी प्रसिद्ध है। इस स्थल पर सावन के महीने में श्रद्धालू कांवरिया भक्तों का तांता लगा रहता है। इस शिवलिंग की स्थापना के संबंध में एक किंवदंति प्रचलित कि वनवास काल में प्रभु श्री राम ने इसकी स्थापना कर पूजा अर्चना की थी। यहीं शिव मंदिर के अंदर जलकुण्ड में अर्द्धनारीष्वर शिवलिंग विराजमान हैं। इस शिवलिंग में शिव एवं पार्वती दोने के रूप (चिन्ह) स्पष्ट दिखाई पड़ते हैं। इसलिए इस दुर्लभ शिव लिंग को ‘‘जलेष्वरनाथ अर्द्धनारीष्वर शिवलिंग‘‘ कहते हैं। इस तरह का अर्द्धनारीष्वर शिवलिंग जो जल कुण्ड में विराजमान हो पुरी दुनियां में कहीं देखने सुनने को नहीं मिलता है। इसलिए इसे ‘‘विश्व का इकलौता शिवलिंग‘‘ माना जा सकता है। स्थानीय लोग इसे तुरेश्वर महादेव के नाम से भी पुकारते हैं। शिवलिंग के बगल से विशाल चट्टान के मध्य खोह से अविरल जलधारा निकलती हुई कुण्ड के शिवलिंग की परिक्रमा करती हुई नीचे एक बड़ी टंकी में गिरती है। इस जल को चार धारा पुरुषों के लिए एवं तीन धारा महिलाओं के लिए स्नान घर में प्रवाहित किया गया है। यहां शंकर घाट अंबिकापुर, बिलद्वार गुफा खडगवां और सारासोर से जल उठा कर जलाभिषेक किया जाता है।
देऊर बाड़ी बैकोना का बढ़ता शिव लिंग
शिव पुर मंदिर से लगभग एक किमी. की दूरी पर दक्षिण दिषा में बैकोना गाँव में नाले के समीप एक प्राचीन स्थल ‘‘देऊर बाड़ी’’ है। यहीं पर बढ़ता हुआ एक षिवलिंग है। बताया जाता है कि इसको एक दो बार काट कर अन्यत्र मंदिरों में स्थापित किया गया है। यहां के प्राचीन अवशेषों से स्पष्ट होता है कि ‘‘देऊर बाड़ी’’ नामक जगह पर प्राचीन काल में कोई विशाल ‘‘देऊर मंदिर’’ या शिवालय रहा होगा। प्राकृतिक कारणों से देऊर मंदिर ध्वस्त हो गया होगा तथा शिवलिंग बढ़कर उपर निकल आया , जो ‘‘देऊर बाड़ी शिवलिंग’’ के नाम से बैकोना में स्थित है। सूरजपुर जिला अंतर्गत प्रतापपुर के पारदेश्वर शिवलिंग बनखेता में प्रतिवर्ष सावन मास में श्रद्धालु भक्तों द्वारा जलाभिषेक किया जाता है। मान्यता है कि पारदेश्वर शिवलिंग पर जलाभिषेक कर पूजा अर्चना करने से अत्यंत लाभ मिलता है। भगवान शंकर ने स्वयं कहा है कि मुझे वह व्यक्ति ज्यादा प्रिय है, जो द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्षन करने की अपेक्षा मात्र पारद शिवलिंग के दर्शन कर लेता हैैै। पारद शिवलिंग की पूजा से तीनों लोकों में स्थित शिवलिंग की पूजा का फल प्राप्त होता हैै। ओडगी में पहाडी़ के उपर भोड़िया बाबा एक प्रसिद्ध शिवधाम है। यहां पत्थर की गुफा के अंदर शिवलिंग स्थापित है। श्रद्धालू भक्तों द्वारा इस शिवलिंग पर प्रतिवर्ष सावन मास में जलाभिषेक जाता है। भोड़िया बाबा के संबंध में बताया जाता है कि पहले इस पहाड़ी पर एक बाबा रहाता था, जो रात्रि में घोड़े पर सवार होकर भ्रमण करता था। घोड़े में घंटी बंधी रहती थी, उसकी आवाज स्पष्ट सुनाई देती थी। भैयाथान विकासखंड अंतर्गत ओडगी से लगभग 7 किलोमीटर पहले चुरूवा पहाड़ पर घटोरिया नामक जगह पर शिव मंदिर स्थित है। श्रद्धालु भक्त रेड नदी से जल उठाकर लाते हैं, और जलाभिषेक करते हैं। सारासोरो पावन शिव धाम में भी शिव भक्त जलाभिषेक कर मन्नतें मांगते हैं।
बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के पावन शिव धाम
बलरामपुर-रामानुजगंज जिला अंतर्गत तातापानी के शिव मंदिर में सावन भर कांवरियों के द्वारा जलाभिषेक किया जाता है। कांवरिया भक्ति चनान नदी से जल उठाकर लाते हैं। और जलाभिषेक करते हैं। रामानुजगंज में कनहर नदी के तट पर शिव मंदिर स्थित है। कांवरिया भक्ति कनहर नदी से जल उठाकर लाते हैं, और जलाभिषेक करते हैं। परसापानी शिव मंदिर में शंकरगढ़ से जल उठाकर जलाभिषेक किया जाता है।
सरगुजा जिले के पावन शिव धाम
सरगुजा जिले का प्रमुख प्रसिद्ध शिव धाम उदयपुर विकासखंड का देवगढ़ है। यहां पर अर्धनारीश्वर शिवलिंग स्थापित है। श्रद्धालु भक्तों के द्वारा कुंवरपुर डेम, पचिरा रेण नदी और शंकर घाट अंबिकापुर से जल उठा कर जलाभिषेक किया जाता है। महेशपुर का महेश्वर शिवलिंग रेण नदी तट पर उदयपुर विकासखंड में स्थित है। रेण नदी और शंकर घाट अंबिकापुर से जल उठाकर भेले शंकर पर भक्तों द्वारा जलाभषेक किया जाता है।
जशपुर जिले के पावन शिव धाम
जशपुर जिले के प्रमुख शिवधाम कैलाश गुफा, किलकीला शिव धाम, चरईडाड़, लोरो घाट, दमगड़ा शिव मंदिर, शिव बाला मंदिर, बरटोली शिव मंदिर और बेल महादेव शिव मंदिर प्रसिद्ध है। पत्थलगांव विकासखंड से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर किलकीला शिव धाम अंबिकापुर कापू रोड पर स्थित है। यहां माण्ड नदी से जल उठाकर जलाभिषेक किया जाता है। सरगुजा संभाग का प्रसिद्ध शिव धाम बगीचा तहसील अंतर्गत कैलाश गुफा है। इस स्थल पर कांवडिरयों के द्वारा जलाभिषेक करने का ताता लगा रहता है। इस पवित्र स्थल पर स्थानीय नदियों और शंकर घाट अंबिकापुर से जल उठाकर श्रद्धालु भक्तों द्वारा जलाभिषेक किया जाता है। यहां का शिवलिंग पत्थर की एक गुफा में स्थित है। दुलदुला से 8 किलोमीटर की दूरी पर चरईडाड़ प्रसिद्ध शिव धाम है। भक्तों के द्वारा शिवलिंग पर जिलाभिषेक किया जाता है। यह पावन स्थल कुनकुरी और जषपुर के बीच में स्थित है।
दुलदुल विकासखंड मुख्यालय से लगभग 10 कि0मी0 की दूरी पर लोलेरो घाट शिव मंदिर है। यहां भक्तों के द्वारा शिवलिंग पर जिलाभिषेक किया जाता है। कुनकुरी विकासखंड मुख्यालय से 4 किलोमीटर की दूरी पर दमगड़ा शिव मंदिर में श्री नदी से जल उठाकर जलाभिषेक किया जाता है। जशपर के सति उद्यान के समीप शिवबाला मंदिर है। पक्की ढोडी वृक्ष गंगा से जल उठाकर जलाभिषेक किया जाता है। पक्की ढोडी के समीप दो तालाब के किनारे पीपल वृक्ष की जड़ के पास जल कुंड है, जिसे वृक्ष गंगा कहा जाता है। यही से जल लेकर जलाभिषेक किया जाता हैै।
कोरिया जिले के पावन शिव धाम
कोरिया जिले में बैकुंठपुर के पास पहाड़ी के ऊपर छुरीगढ़ धाम है। यहां के शिवलिंग में गेज नदी से जल उठाकर सावन भर जलाभिषेक किया जाता है।
मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के पावन शिव धाम
मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के प्रसिद्ध शिवधाम सिद्ध बाबा शिव मंदिर और जटाशंकरी गुफा का प्राचीन शिव शिवलिंग है। यह शिवलिंग पहाड़ के ऊपर लगभग 40-50 फीट के एक प्राकृतिक गुफा में स्थित है। यहां वर्ष भर श्रद्धालु भक्तों का तांता लगा रहता है। हसदेव नदी गंगा तट से जल उठाकर जलाभिषेक किया जाता है। सरगुजा अंचल का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल अमृतधारा जलप्रपात मनेन्द्रगढ के लाई ग्राम में स्थित है। इस जलप्रपात के समीप पहाडी़ पर एक प्राचीन शिव मंदिर है। यहां हसदेव नदी तट से जल उठाकर जलाभिषेक किया जाता है।