PANCHANG: 4 अगस्त 2023 का पंचांग: सावन मास का तीसरा प्रदोष व्रत कब? जानिए तिथि और शुभ मुहूर्त……..पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

प्रातःकाल पञ्चाङ्ग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। आज श्रावण माह कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि है। आज शतभिष नक्षत्र है। चंद्रमा कुम्भ राशि में मौजूद रहेंगे। आज शुक्रवार है। आज राहुकाल 10:25 से 12:03 तक है। इस दौरान किसी शुभ काम को करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 4 अगस्त 2023 |
माह | श्रावण |
तिथि | तृतीया |
पक्ष | कृष्ण |
दिवस | शुक्रवार |
नक्षत्र | शतभिष |
करण | विष्टिभद्र |
सूर्योदय | 05:30:05 |
सूर्यास्त | 18:36:19 |
सूर्य राशि | कर्क |
चन्द्र राशि | कुम्भ |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजीत | 11:37 से 12:29 तक |
राहु काल | 10:25 से 12:03 तक |
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को बहुत ही महत्व है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। बता दें कि प्रदोष व्रत के शुभ अवसर पर प्रदोष काल यानी संध्या के समय भगवान शिव की उपासना का विधान है।
पंचांग के अनुसार, श्रावण ‘अधिक’ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन श्रावण मास का तीसरा प्रदोष व्रत रखा जाएगा। आइए जानते हैं, कब है सावन अधिक मास के तीसरे प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त और महत्व?
श्रावण अधिक प्रदोष व्रत 2023 तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण अधिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 13 अगस्त सुबह 08 बजकर 19 मिनट से प्रारंभ होगी और इस तिथि का समापन 14 अगस्त सुबह 10 बजकर 25 मिनट पर हो जाएगा।
ऐसे में श्रावण मास का तीसरा प्रदोष व्रत 13 अगस्त 2023, रविवार के दिन रखा जाएगा। रविवार का दिन होने के कारण इसे रवि प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाएगा। इस विशेष दिन पर प्रदोष काल संध्या 07 बजकर 03 मिनट से रात्रि 09 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।
श्रावण अधिक प्रदोष व्रत पूजन विधि
श्रावण मास के तीसरे प्रदोष व्रत के दिन साधक सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करें और गंगाजल दूध इत्यादि से भगवान शिव का अभिषेक करें। इसके बाद प्रदोष काल में पंचामृत से भगवान शिव रुद्राभिषेक का करें।
इस दौरन ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप निरंतर करते रहें। अंत में भगवान शिव की आरती के साथ पूजा संपन्न करें।
श्रावण अधिक मास प्रदोष व्रत का महत्व
शास्त्रों में बताया गया है कि रवि प्रदोष व्रत का पालन करने से साधक को लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही भगवान शिव की कृपा साधक पर बनी रहती है।
इसके साथ यह व्रत रखने से स्वास्थ्य को भी बहुत लाभ प्राप्त होता है और व्यक्ति निरोगी जीवन जीता है। मान्यता यह भी है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की उपासना करने से साधक को सुख, समृद्धि, धन एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

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