PANCHANG: 05 सितम्बर 2024 का पंचांग……….गणेश चतुर्थी पर बन रहे हैं कई शुभ योग…………..इस विधि से करें बप्पा की पूजा………….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत
पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।
पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।
आज भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष की द्वितीया है। आज हस्त नक्षत्र है। आज गुरुवार है। आज राहुकाल 13:29 से 15:02 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 05 सितम्बर 2024 |
दिवस | गुरुवार |
माह | भाद्रपद |
पक्ष | शुक्ल |
तिथि | द्वितीया |
सूर्योदय | 05:42:10 |
सूर्यास्त | 18:08:21 |
करण | कौलव |
नक्षत्र | हस्त |
सूर्य राशि | सिंह |
चन्द्र राशि | कन्या |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजीत | 11:31 से 12:21 तक |
राहुकाल | 13:29 से 15:02 तक |
7 सितंबर 2024 को गणेश चतुर्थी है, जबकि गणेश विसर्जन 17 सितंबर 2024 को किया जाएगा। इस दिन ब्रह्म योग बन रहा है, जो रात 11 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। इस दौरान विष्टि, बव करण के साथ चित्रा नक्षत्र का संयोग भी बनेगा। इस तिथि पर विघ्नहर्ता की आराधना करने से बुद्धि और विद्या का आशीर्वाद प्राप्त होता है। हिंदू धर्म में उन्हें प्रथम पूज्य देवता माना जाता है। किसी भी नए कार्य की शुरुआत भगवान गणेश के नाम से करने पर उसमें सफलता अवश्य मिलती हैं। उन्हें विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि गणेश जी सभी भक्तजनों के दुखों और कष्टों को हर लेते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गणेश पूजन के लिए गणेश चतुर्थी का दिन उत्तम माना जाता है। इस दिन भक्तजन बप्पा को घर लाते हैं, और करीब 10 दिनों तक उनकी आराधना करते हैं। भारत में इस पर्व को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल गणेश चतुर्थी पर कई शुभ योग का संयोग बन रहा है। ऐसे में विघ्नहर्ता की पूजा करने से जीवन में खुशियों का वास बना रहता है। इसी कड़ी में आइए गणेश पूजन विधि के बारे में जान लेते हैं।
भगवान गणेश की पूजा विधि
गणेश चतुर्थी के शुभ दिन पर आप सुबह ही स्नान कर लें, और साफ वस्त्रों को धारण करें। अब गणेश जी की प्रतिमा लें, और उसे चौकी पर स्थापित कर दें। वास्तु के अनुसार गणेश जी की प्रतिमा को घर के केंद्र में और पूर्व दिशा में रखें। इस दिशा में मूर्ति रखने से सकारात्मक परिणाम मिलते हैं, और परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है। इसके बाद गणेश मंत्रों का जप करते हुए चारों तरफ गंगाजल का छिड़काव करें। अब आप बप्पा को सिंदूर अर्पित करें। फिर उन्हें फूल और मिठाई चढ़ाएं। इसके बाद बप्पा को 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। अब गणेश चतुर्थी की कथा सुनें। अतं में गणेश चालीसा व आरती पढ़कर पूजा समाप्त करें।
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥