October 13, 2024 5:55 am

PANCHANG: 30 सितम्बर 2024 का पंचांग………नवरात्रि में कैसे करें मां की आराधना?……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।

पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।

आज आश्विन माह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी है। आज मघा नक्षत्र है। आज सोमवार है। आज राहुकाल 08:48 से 10:18 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।

आज का पंचांग (अंबिकापुर)

दिनांक30 सितम्बर 2024
दिवससोमवार
माहआश्विन
पक्षकृष्ण
तिथित्रयोदशी
सूर्योदय05:49:39
सूर्यास्त17:44:08
करणगर
नक्षत्रमघा
सूर्य राशिकन्या
चन्द्र राशिसिंह

मुहूर्त (अंबिकापुर)

शुभ मुहूर्त- अभिजित 11:23 से 12:11 तक
राहुकाल 07:19 से 08:48 तक

शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हर साल आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 03 अक्तूबर से होगी और इसका समापन 11 अक्तूबर को होगा। नवरात्रि के दौरान माता रानी की पूजा करने की परंपरा है। इस दौरान भक्त नौ दिनों तक देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं। नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक देवी मां को नौ दिन अलग अलग भोग लगाया जाता है। नवरात्र नौ दिनों का उत्सव है। इस दौरान व्रत-पूजन में प्रतिदिन देवी के अनुसार एक विशिष्ट दिनचर्या का पालन करना चाहिए। आप हर दिन के अनुसार नौ देवी की पूजा शास्त्रानुकूल कर सकती हैं। नौ दिनों की इस अवधि में घरों व पंडालों से लेकर मंदिरों में मां दुर्गा की मूर्ति को स्थापित किया जाता है, और विधि विधान से उनके सभी स्वरूपों को पूजा जाता है। इस दौरान गरबा, डांडिया, मेला और रामलीला जैसे धार्मिक कार्यक्रम भी किए जाते हैं, जिससे देवी प्रसन्न होती हैं। वहीं इस साल माता रानी का आगमन पालकी में होने वाला है, जो सभी के लिए बेहद शुभ है। ऐसे में दिन के अनुसार देवी के मंत्रों का जाप करने से मनचाहे परिणामों की प्राप्ति होती हैं। साथ ही समस्त समस्याओं का निवारण होता है। ऐसे में आइए देवी के मंत्रों के बारे में जानते हैं।

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पहला दिन मां शैलपुत्री की पूजा को समर्पित

मां शैलपुत्री नवदुर्गा का पहला रूप हैं। इसी दिन से योग साधना की शुरुआत होती है। इस दिन उपासक केसरिया वस्त्र पहनें, माता को फल अर्पित करें और फलाहार करें।

मां शैलपुत्री बीज मंत्र

ह्रीं शिवायै नम:

प्रार्थना मंत्र
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

दूसरा दिन माता ब्रह्मचारिणी को समर्पित

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा दूसरे दिन की जाती है। इस दिन साधक को लाल वस्त्र धारण करके देवी की आराधना करनी चाहिए। मां को दूध से बनी वस्तुएं अर्पित करें और दूध, दही एवं पनीर का आहार लें।

मां ब्रह्मचारिणी बीज मंत्र
ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:

प्रार्थना मंत्र
दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

तीसरा दिन माता चंद्रघंटा को समर्पित

मां चंद्रघंटा को देवी का कल्याणकारी रूप माना गया है। इस दिन भक्त पीले रंग के वस्त्र पहनकर मां की पूजा करें। लाल पुष्पों से मां की आराधना करें और सपरिवार मां की आरती करें। इस दिन कुट्टू के आटे का आहार लेना शास्त्रसम्मत माना गया है।

मां चंद्रघंटा बीज मंत्र
ऐं श्रीं शक्तयै नम:

प्रार्थना मंत्र
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

चौथा दिन मां कूष्मांडा की पूजा को समर्पित

माता कूष्मांडा के दिन बच्चों की नजर उतारने की परंपरा है। इस दिन भक्त हरे रंग के वस्त्र धारण करें। साग-सब्जियों का सेवन करें। इस दिन पौधों की सेवा करना भी मां की आराधना का ही एक रूप है।

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मां कूष्मांडा बीज मंत्र
ऐं ह्री देव्यै नम:

प्रार्थना मंत्र
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

पांचवा दिन मां स्कंदमाता को समर्पित

स्कंदमाता कुमार कार्तिकेय की मां हैं। इनका पूजन करने से भक्तों को कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दिन भक्त रंग-बिरंगे वस्त्र पहनें। मां को चुनरी चढ़ाना भी लाभदायी माना जाता है। देवी की कथा सुनें और जागरण करें। फलाहार में मखाने की खीर खाएं।

मां स्कंदमाता बीज मंत्र
ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:

प्रार्थना मंत्र
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

छठा माता मां कात्यायनी की पूजा को समर्पित

इनकी पूजा से चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है। इनकी आराधना के लिए केसरिया या वसंती वस्त्र धारण करना उपयुक्त माना गया है। मां कात्यायनी को मेवा-मिश्री का भोग लगाना सर्वोत्तम है।

मां कात्यायनी बीज मंत्र
क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:

प्रार्थना मंत्र
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥

स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

सांतवा दिन मां कालरात्रि को समर्पित

मां कालरात्रि, देवी का सातवां रूप हैं। इनकी पूजा में रात्रि जागरण का महत्व अधिक है। चुनरी पहनकर रंग-बिरंगे पुष्पों से इनकी पूजा करने का विधान है। अगर भक्त सपरिवार इनकी पूजा करें और प्रसाद अर्पित करें तो इनका आशीर्वाद मिलता है। इस दिन फलाहार पर रहें।

मां कालरात्रि बीज मंत्र
क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।

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प्रार्थना मंत्र
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

आंठवा दिन मां महागौरी की पूजा को समर्पित

देवी के आठवें स्वरूप महागौरी की बड़ी महिमा है। इनकी पूजा के दिन कन्या पूजन करना और हलवा-पूरी तथा चने का भोग लगाना श्रेयस्कर माना गया है। इस दिन कन्या और बटुक की पूजा का भी विधान है। बच्चों को उपहार दें। मां की पूजा विभिन्न रंगों के वस्त्र एवं आभूषण पहनकर करें।

मां महागौरी बीज मंत्र
श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:

प्रार्थना मंत्र
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

नवमी तिथि मां सिद्धिदात्री की पूजा को समर्पित

माता का आखिरी रूप है सिद्धिदात्री का। यदि सपरिवार इनकी आरती की जाए तो भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। खाली स्थान में स्वास्तिक बनाएं और भक्तिपूर्वक विसर्जन करें। आहार में इस दिन पूरी-हलवा, चना साग आदि बनाने का विधान है।

मां सिद्धिदात्री बीज मंत्र
ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:

प्रार्थना मंत्र
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

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