PANCHANG: 30 जून 2024 का पंचांग……… आषाढ़ माह का पहला प्रदोष व्रत कब?………. जान लें तिथि और पूजा का समय……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत
पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है। पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।
आज आषाढ़ माह कृष्ण पक्ष की नवमी है व रेवती नक्षत्र है। आज रविवार है। आज राहुकाल 17:05 से 18:46 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 30 जून 2024 |
दिवस | रविवार |
माह | आषाढ़ |
पक्ष | कृष्ण |
तिथि | नवमी |
सूर्योदय | 05:16 :07 |
सूर्यास्त | 18:45:50 |
करण | गर |
नक्षत्र | रेवती |
सूर्य राशि | मिथुन |
चन्द्र राशि | मेष |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजीत | 11:34 से 12:28 तक |
राहुकाल | 17:05 से 18:46 तक |
आषाढ़ मास आरंभ हो चुका है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रदोष व्रत महीने में दो बार रखा जाता है। पहला व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन और दूसरा व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन रखा जाता है। आषाढ़ माह में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि आषाढ़ मास में प्रदोष व्रत करने से जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है। पंचांग के मुताबिक आषाढ़ महीना 23 जून से शुरू होकर 21 जुलाई तक चलेगा। आषाढ़ महीना भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा के लिए बहुत खास महीना माना जाता है। इस माह का प्रदोष व्रत भगवान शिव की विशेष कृपा दिलाता है। आषाढ़ माह में दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं। पहला प्रदोष व्रत 3 जुलाई, त्रयोदशी को और दूसरा व्रत 18 जुलाई, त्रयोदशी आषाढ़ी शुक्ल पक्ष को रखा जाएगा।
आषाढ़ प्रदोष व्रत 2024 कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 3 जुलाई को प्रातः 5:02 बजे शुरू होगी और 4 जुलाई को प्रातः 4:45 बजे समाप्त होगी। ऐसे में 3 जुलाई को उदयातिथि को देखते हुए यह व्रत रखा जाएगा।
आषाढ़ प्रदोष व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, आषाढ़ माह में प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और इस व्रत के प्रभाव से सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। आषाढ़ माह में प्रदोष व्रत करने से सभी प्रकार के रोग और विकार दूर हो जाते हैं। इसके अलावा जो लोग कर्ज से जूझ रहे हैं वे कर्ज से मुक्त हो जाएंगे।
प्रदोष व्रत पूजा विधि
- सूर्योदय से पहले स्नान कर लीजिए।
- साफ वस्त्र धारण करके सूर्य को जल चढ़ाइए।
- मंदिर में चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर शिव और मां पार्वती की मूर्ति को रखकर उपवास का संकल्प लीजिए।
- इसके बाद शिवलिंग पर शहद, घी और गंगाजल से अभिषेक करें।
- कनेर फूल, बेलपत्र और भांग अर्पित करिए।
- इसके बाद देसी घी का दीया जलाकर आरती करें और मंत्रों का जाप करें।
- विधिपूर्वक शिव चालीसा का पाठ करना भी फलदायी है।
- भगवान शिव को फल और मिठाई का भोग लगाएं।
- अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें।
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