PANCHANG: 29 जून 2024 का पंचांग……… कब शुरू हो रही है जगन्नाथ यात्रा?…….. जानें तारीख, महत्व और मान्यतायें……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत
पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है। पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।
आज आषाढ़ माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी है व उत्तरभाद्रपदा नक्षत्र है। आज शनिवार है। आज राहुकाल 08:38 से 10:20 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 28 जून 2024 |
दिवस | शनिवार |
माह | आषाढ़ |
पक्ष | कृष्ण |
तिथि | अष्टमी |
सूर्योदय | 05:15:48 |
सूर्यास्त | 18:45:46 |
करण | कौलव |
नक्षत्र | उत्तरभाद्रपदा |
सूर्य राशि | मिथुन |
चन्द्र राशि | मीन |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजीत | 11:34 से 12:28 तक |
राहुकाल | 08:38 से 10:20 तक |
हिंदू धर्म में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का बड़ा धार्मिक महत्व है। यह यात्रा हर साल आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकलती है। यह यात्रा ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर से बड़े धूमधाम और भव्यता के साथ निकाली जाती है। यह मंदिर चार पवित्र धामों में से एक है। यह यात्रा कुल 10 दिनों कि होती है और इसके बाद आषाढ़ शुक्ल पक्ष के 11वें दिन जगन्नाथ जी की वापसी के साथ इस यात्रा का समापन होता है। इस यात्रा में शामिल होने के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं। जमन्नाथ मंदिर पर श्रीहरि विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण के साथ उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की भी पूजा होती है। जगन्नाथ मंदिर में तीनों की मूर्तियां विराजमान हैं। इस रथ यात्रा की खास बात ये है कि इससे जुड़ी कई ऐसी रोचक बातें हैं जो बहुत कम लोगों को मालूम हैं, इसलिए आइए इस लेख विस्तार से जानते हैं।
कब शुरू हो रहा है जगन्नाथ यात्रा?
इस साल जगन्नाथ यात्रा की शुरुआत 07 जुलाई 2024 से 16 जुलाई 2024 तक होगी। इस बीच में 10 दिन की अवधि भगवान जगन्नाथ के भक्तों के लिए बेहद शुभ और मंगलकारी मानी जाती है। यही कारण है कि इस यात्रा में दूर-दूर से श्रद्धालु आकर शामिल होते हैं।
यात्रा में बारिश की मान्यता
जगन्नाथ जी की यात्रा का ये उत्सव आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन शुरू होता है। मान्यताओं के अनुसार भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा के दिन बारिश जरूर होती है।
सोने के झाड़ू से सफाई
मान्यताओं के अनुसार जब से जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत हुई है तब से ही राजाओं के वंशज पारंपरिक रूप से रथ यात्रा के सामने झाड़ू लगाते हैं। इस झाड़ू की खास बात ये होती है कि ये कोई सामान्य झाड़ू नहीं होती है बल्कि ये एक सोने के हत्थे वाली झाड़ू होती है। जिसे सोने के झाड़ू के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद मंत्र उच्चारण और जयघोष के साथ इस पवित्र रथ यात्रा की शुरुआत होती है। माना जाता है कि इस नियम का पालन करने से भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि, वैभव, ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
100 यज्ञों के बराबर मिलता है पुण्य
जगन्नाथ रथ यात्रा को भक्तों में यह मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु इस शुभ रथ यात्रा में सम्मिलित होते हैं उन्हें 100 यज्ञों के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इस रथ यात्रा में कि स्वयं भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों के मध्य विराजमान रहते हैं।
नारियल की लकड़ी का रथ
इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, व सुभद्रा की रथ निकाली जाती है। इस रथ की खास बात ये होती है कि ये रथ नारियल की लकड़ी से बनाए जाते हैं। भगवान जगन्नाथ के रथ का रंग लाल और पीला रंग में रंगा होता है। इसके अलावा यह यह रथ बाकी रथों की तुलना में आकार में बड़ा होता है। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ का रथ सबसे आगे होता है उसके पीछे बालभद्र और सुभद्रा का रथ होता है।
खुद घूमने निकलते हैं भगवान
देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में यह इकलौता एक ऐसा त्योहार है जहां भगवान खुद घूमने निकल जाते हैं। जिनकी रथ यात्रा में भारी संख्या में लोग शामिल होते हैं। मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ गर्भगृह से निकलकर अपनी प्रजा का हाल जानने निकलते हैं।
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