PANCHANG: 27 अक्टूबर 2024 का पंचांग………कब है गोवर्धन पूजा?…………..जानें पूजा का सही समय और शुभ योग……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।
पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।
आज कार्तिक माह कृष्ण पक्ष की एकादशी है। आज मघा नक्षत्र है। आज रविवार है। आज राहुकाल 15:56 से 17:21 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 27 अक्टूबर 2024 |
दिवस | रविवार |
माह | कार्तिक |
पक्ष | कृष्ण |
तिथि | एकादशी |
सूर्योदय | 06:00:54 |
सूर्यास्त | 17:20:48 |
करण | बव |
नक्षत्र | मघा |
सूर्य राशि | तुला |
चन्द्र राशि | सिंह |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजित | 11:18 से 12:04 तक |
राहुकाल | 15:56 से 17:21 तक |
सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए दिवाली का पांच दिवसीय उत्सव अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दौरान घर-घर में विशेष धूम रहती है। दीपावली के प्रत्येक दिन का अपना एक विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। इस लेख में जानिए इस वर्ष गोवर्धन पूजा कब और कैसे मनाई जाएगी।
दिवाली के पांच दिन का महत्व
- धनतेरस: दिवाली का शुभारंभ धनतेरस से होता है। इस दिन स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति के लिए भगवान धन्वंतरि और कुबेर की पूजा की जाती है।
- छोटी दिवाली: दूसरे दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली मनाई जाती है। इस दिन का महत्व जीवन के अंधकार को दूर कर उजाले को आमंत्रित करना है।
- दीपावली: तीसरे दिन मुख्य दीपावली पर्व मनाया जाता है, जो लक्ष्मी पूजा और परिवार के साथ उल्लास का प्रतीक है।
- गोवर्धन पूजा: चौथे दिन गोवर्धन पूजा होती है, जो भगवान श्रीकृष्ण के प्रति आभार प्रकट करने के लिए की जाती है।
- भाई दूज: पांचवे और अंतिम दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाता है, जिसमें भाई-बहन के रिश्ते की मिठास और सम्मान को दर्शाया जाता है।
गोवर्धन पूजा की तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष गोवर्धन पूजा का पर्व 2 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 1 नवंबर 2024 को सायं 06:16 बजे से होकर, समापन 2 नवंबर को रात 08:21 बजे पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, गोवर्धन पूजा का पर्व 2 नवंबर को मनाना उचित है।
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
2 नवंबर 2024 को गोवर्धन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6:00 बजे से 8:00 बजे तक है। इसके अतिरिक्त, दोपहर में 3:23 मिनट से 5:35 मिनट तक का समय भी पूजा के लिए अनुकूल माना गया है।
गोवर्धन पूजा का पौराणिक महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार इंद्र देव ब्रजवासियों से नाराज हो गए और मूसलधार वर्षा शुरू कर दी। इससे बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली से गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और ब्रजवासियों को शरण दी। तब से हर वर्ष गोवर्धन पूजा का आयोजन किया जाता है, ताकि प्रकृति के प्रति आभार प्रकट किया जा सके।
गोवर्धन पूजा की विधि
- गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाना: इस दिन प्रातःकाल गोबर से गोवर्धन पर्वत और भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति बनाई जाती है।
- सजावट और पूजा: मूर्ति को फूलों और रंग से सजाने के बाद भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है।
- भोग और अर्पण: पूजा में भगवान को फल, जल, दीपक, धूप, और अन्य उपहार अर्पित किए जाते हैं। कढ़ी और अन्नकूट चावल का भोग लगाया जाता है।
- गाय, बैल और विश्वकर्मा पूजा: इस दिन गाय, बैल और भगवान विश्वकर्मा की पूजा करना शुभ माना जाता है।
- परिक्रमा और मंत्र जाप: पूजा के बाद गोवर्धन पर्वत की सात बार परिक्रमा की जाती है, और जल हाथ में लेकर मंत्र का जाप करते हैं।
- अंतिम आरती: पूजा का समापन आरती से होता है।
गोवर्धन पूजा न केवल भगवान श्रीकृष्ण के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का पर्व है, बल्कि यह प्रकृति की सेवा और संरक्षण का संदेश भी देता है।