PANCHANG: 27 नवंबर 2024 का पंचांग………इस अगहन अमावस्या पर जरूर करें यह काम…………पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।

पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।

आज मार्गशीर्ष माह कृष्ण पक्ष की द्वादशी है। आज चित्रा नक्षत्र है। आज बुधवार है। आज राहुकाल 11:45 से 13:06 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।

आज का पंचांग (अंबिकापुर)

दिनांक27 नवंबर 2024
दिवसबुधवार
माहमार्गशीर्ष
पक्षकृष्ण
तिथिद्वादशी
सूर्योदय06:20:21
सूर्यास्त17:09:28
करणकौलव
नक्षत्रचित्रा
सूर्य राशिवृश्चिक
चन्द्र राशिकन्या

मुहूर्त (अंबिकापुर)

शुभ मुहूर्त- अभिजित आज अभिजित नहीं है।
राहुकाल 11:45 से 13:06 तक

मार्गशीर्ष अमावस्या, जिसे अगहन अमावस्या भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। यह दिन विशेष रूप से पितरों की शांति और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए समर्पित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पितृलोक से पितर धरती पर आते हैं और अपने वंशजों से श्रद्धा, पूजा और तर्पण की अपेक्षा करते हैं।

मार्गशीर्ष अमावस्या 2024: तिथि और समय

  • तिथि प्रारंभ: 30 नवंबर 2024 को सुबह 10:29 बजे
  • तिथि समाप्त: 1 दिसंबर 2024 को सुबह 11:50 बजे
  • उदया तिथि के अनुसार: अमावस्या 1 दिसंबर को मनाई जाएगी।
  • सूर्योदय: सुबह 6:57 बजे
  • सूर्यास्त: शाम 5:24 बजे
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पितरों को प्रसन्न करने के उपाय

  1. अन्न दान:
    • कच्चा अन्न दान: तर्पण के बाद चावल, दाल, गेहूं आदि दान करें।
    • भोजन दान: सात्विक भोजन बनाकर गाय, कौआ और कुत्ते को खिलाएं। इसे पंचबलि कर्म कहा जाता है।
  2. दीप दान:
    शाम के समय दक्षिण दिशा में सरसों के तेल का दीपक जलाकर रखें। यह दीपक पितरों का मार्ग प्रकाशित करता है।
  3. गो सेवा और तुलसी पूजा:
    गाय को भोजन कराएं और तुलसी का पूजन करें। यह पितरों को संतोष प्रदान करता है और परिवार में समृद्धि लाता है।
  4. गरुड़ पुराण का पाठ:
    पितृ दोष के निवारण के लिए गरुड़ पुराण का पाठ करना अत्यंत फलदायी माना गया है।

धार्मिक लाभ

इन उपायों के माध्यम से पितरों की कृपा प्राप्त होती है, पितृ दोष का निवारण होता है, और परिवार में सुख-शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। अमावस्या के दिन ध्यान और दान का महत्व बताते हुए यह भी कहा गया है कि पितरों की शांति के लिए किया गया छोटा सा प्रयास भी परिवार के कल्याण में बड़ा योगदान देता है।

इस अवसर पर किए गए धार्मिक कार्य न केवल पितरों को प्रसन्न करते हैं, बल्कि वंशजों के जीवन में भी सकारात्मक ऊर्जा और उन्नति लाते हैं।

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