PANCHANG: 26 सितम्बर 2024 का पंचांग………कब है शरद पूर्णिमा? जानें सही तिथि और मुहूर्त……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।

पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।

आज आश्विन माह कृष्ण पक्ष की नवमी है। आज पुनर्वसु नक्षत्र है। आज गुरुवार है। आज राहुकाल 13:18 से 14:48 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।

आज का पंचांग (अंबिकापुर)

दिनांक26 सितम्बर 2024
दिवसगुरुवार
माहआश्विन
पक्षकृष्ण
तिथिनवमी
सूर्योदय05:48:20
सूर्यास्त17:48:07
करणगर
नक्षत्रपुनर्वसु
सूर्य राशिकन्या
चन्द्र राशिमिथुन

मुहूर्त (अंबिकापुर)

शुभ मुहूर्त- अभिजित 11:24 से 12:12 तक
राहुकाल 13:18 से 14:48 तक

हर साल शरद पूर्णिमा का व्रत आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने की परंपरा है। शरद पूर्णिमा की रात बहुत खास मानी जाती है। इस रात चांद पूरी तरह से चमकता है यानी की चांद 16 कलाओं से पूर्ण रहता है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणें से धरती पर अमृत वर्षा होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन श्रद्धापूर्वक पूजा करने से जीवन में सुख-शांति आती है और चिंताओं और परेशानियों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं इस साल कब रखा जाएगा शारदा पूर्णिमा व्रत और क्या है शुभ मुहूर्त। आइए जानते हैं…

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शरद पूर्णिमा 2024 तिथि

  • अश्विन माह की पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 16 अक्टूबर, रात्रि 08 बजकर 40 मिनट पर
  • अश्विन माह की पूर्णिमा तिथि समाप्त: 17 अक्टूबर, सायं 04 बजकर 55 मिनट पर
  • शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर को मनाया जाएगा। चन्द्रोदय का समय 05 बजकर 05 मिनट रहेगा।

शरद पूर्णिमा का महत्व

शरद पूर्णिमा की रात बहुत खास मानी जाती है। इस रात चंद्रमा पूरी तरह चमकता है यानी चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणें से धरती पर अमृत वर्षा होती है। इस रात लोग खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखते हैं। इससे सात्विकता में अमृत मिल जाएगा। इस अमृत युक्त दूध का सेवन करने से स्वास्थ्य बेहतर होता है और जीवन की समस्याएं दूर होती हैं।

शरद पूर्णिमा पूजा विधि

शरद पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करना शुभ माना जाता है। इस दिन अगर गंगा स्नान संभव न हो, तो घर में ही नहाने के जल में गंगाजल डालकर स्नान करें और पीले वस्त्र धारण करें, क्योंकि विष्णु जी को पीला रंग बेहद प्रिय है। इसके बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करें और अतः बहती जलधारा में तिल प्रवाहित करें। विधिपूर्वक भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करें। प्रभु को पीले रंग का फल, फूल, वस्त्र अर्पित करें। दीपक जलाकर आरती करें और विष्णु चालीसा का पाठ और मंत्र जाप करें। फल और मिठाई समेत आदि चीजों का भोग लगाकर लोगों में प्रसाद का वितरण करें। अंत में लोगों में विशेष चीजों का दान करें।

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