PANCHANG: 26 अक्टूबर 2024 का पंचांग………धनतेरस पर त्रिपुष्कर योग का है इस बार संयोग……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।
पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।
आज कार्तिक माह कृष्ण पक्ष की दशमी है। आज आश्लेषा नक्षत्र है। आज शनिवार है। आज राहुकाल 08:51से 10:16 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 26 अक्टूबर 2024 |
दिवस | शनिवार |
माह | कार्तिक |
पक्ष | कृष्ण |
तिथि | दशमी |
सूर्योदय | 06:00:23 |
सूर्यास्त | 17:21:30 |
करण | वणिज |
नक्षत्र | आश्लेषा |
सूर्य राशि | तुला |
चन्द्र राशि | कर्क |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजित | 11:18 से 12:04 तक |
राहुकाल | 08:51से 10:16 तक |
दीपावली का महापर्व धनतेरस से आरंभ होता है। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर हर वर्ष मनाए जाने वाले इस पर्व पर भगवान धन्वंतरि, यमराज, और कुबेर देव की पूजा की जाती है। भगवान धन्वंतरि को स्वास्थ्य और आरोग्यता के देवता माना गया है, जिनकी पूजा-अर्चना से रोगों से मुक्ति और अच्छी सेहत की प्राप्ति होती है। इस वर्ष धनतेरस का पर्व 29 अक्तूबर को मनाया जा रहा है। आइए जानते हैं धनतेरस का महत्व, तिथि, और शुभ मुहूर्त।
धनतेरस 2024: पर्व की तिथि और समय
- त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 29 अक्तूबर, सुबह 10:32 बजे से
- त्रयोदशी तिथि समाप्त: 30 अक्तूबर, दोपहर 1:16 बजे तक
त्रिपुष्कर योग का संयोग
धनतेरस पर इस बार त्रिपुष्कर योग का विशेष संयोग बन रहा है। मान्यताओं के अनुसार, इस योग में की गई खरीदारी अत्यंत शुभ मानी जाती है और इसमें साल भर तक तेरह गुनी वृद्धि होती है।
शुभ मुहूर्त: कब करें खरीदारी?
1. त्रिपुष्कर योग मुहूर्त
- समय: 29 अक्तूबर को सुबह 6:32 बजे से 30 अक्तूबर सुबह 10:30 बजे तक
2. अभिजीत मुहूर्त
- समय: 29 अक्तूबर को सुबह 11:42 से दोपहर 12:27 बजे तक
3. प्रदोष काल का मुहूर्त
- समय: शाम 6:36 बजे से 8:32 बजे तक
- इस मुहूर्त में विशेषकर खरीदारी करना और पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है।
धनतेरस का महत्व और पूजन विधान
धनतेरस का पर्व प्रदोष व्यापिनी तिथि में मनाया जाता है। परिवार के आरोग्यता के लिए घर के मुख्य दरवाजे पर यमदेव का ध्यान करते हुए दक्षिण दिशा में दीपक स्थापित किया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि की षोडशोपचार विधि से पूजा-अर्चना की जाती है।
धर्म शास्त्रों के अनुसार, “शरीर माध्यम खलु धर्म साधनम्,” अर्थात निरोगी शरीर ही धर्म का साधन है। इस कारण आरोग्य रूपी धन के लिए भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है, जिससे परिवार में दीर्घायु और स्वास्थ्य बना रहे।
विशेष मान्यता
धनतेरस के दिन पूजा और आराधना करने से पूरे वर्ष स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।