PANCHANG: 26 अगस्त 2024 का पंचांग……….दुर्लभ संयोग में जन्माष्टमी आज………….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत
पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।
पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।
आज भाद्रपद माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी है। आज कृतिका नक्षत्र है। आज सोमवार है। आज राहुकाल 07:14 से 08:49 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 26 अगस्त 2024 |
दिवस | सोमवार |
माह | भाद्रपद |
पक्ष | कृष्ण |
तिथि | अष्टमी |
सूर्योदय | 05:38:38 |
सूर्यास्त | 18:18:50 |
करण | बालव |
नक्षत्र | कृतिका |
सूर्य राशि | सिंह |
चन्द्र राशि | वृषभ |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजीत | 11:33 से 12:24 तक |
राहुकाल | 07:14 से 08:49 तक |
देशभर में आज 26 अगस्त को जन्माष्टमी का त्योहार बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पर्व का विशेष स्थान होता है। वैदिक पंचांग के अनुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हर वर्ष भाद्रपद यानी भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। मान्यता है कि इस तिथि पर ही भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था जिस कारण से इसे कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। जन्माष्टमी के त्योहार को देश-विदेश के मंदिरों में श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाई जाती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मथुरा में असुरराज कंस के कारागृह में हुआ था। भगवान कृष्ण के जन्म के समय अर्धरात्रि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था और तभी से लेकर आज तक हर वर्ष कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जा रहा है।
कृष्ण जन्मोत्सव पर मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है और इस दिन भक्त उपवास रखते हुए भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। रात्रि के 12 बजे भगवान को स्नान कराते हुए 56 भोग का प्रसाद लगाते उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस बार जन्माष्टमी पर बहुत ही अच्छा शुभ योग बन रहा है। आइए जानते हैं आज जन्माष्टमी पर बने शुभ योग, पूजा मुहूर्त, पूजा सामग्री और महत्व के बारे में सब कुछ….
जन्माष्टमी पर बनेगा दुर्लभ योग
इस बार जन्माष्टमी का त्योहार आज 26 अगस्त को सोमवार के दिन जयंती योग में मनाया जाएगा। इसके अलावा इस बार जन्माष्टमी पर 30 साल बाद शनिदेव जो भगवान कृष्ण को अपना आराध्य देव मानते हैं स्वराशि और मूल त्रिकोण में रहेंगे। वहीं इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। इस योग शुभ कार्य करने और पूजा-आराधना करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है।
जन्माष्टमी शुभ तिथि
अष्टमी तिथि- वैदिक पंचांग के अनुसार 26 अगस्त को सुबह 3 बजकर 41 मिनट से भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि आरंभ हो जाएगी। इस तिथि का समापन 27 अगस्त को सुबह 2 बजकर 21 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी।
जानें किस नक्षत्र और तिथि में हुआ था भगवान श्रीकृष्ण का जन्म
धर्म ग्रंथों के अनुसार मथुरा के कारागार में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृषभ लग्न और बुधवार को मध्य रात्रि में हुआ था।
जन्माष्टमी पर इन 2 चीजों को घर लाना माना जाता है शुभ
जन्माष्टमी पर कुछ खास चीजें घर लाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और साथ ही भगवान श्री कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आइए जानते हैं ऐसी कौन सी दो चीजें हैं जिन्हें जन्माष्टमी पर घर लाना शुभ माना जाता है-
वैजयंती माला
वैजयंती माला को भगवान श्री कृष्ण को अति प्रिय माना जाता है। मान्यता है कि वैजयंती माला में मां लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए, वैजयंती माला खरीद कर घर में लाने से बरकत होती है, आर्थिक स्थिति बेहद मजबूत होती है।
मोर पंख
मोर पंख भगवान श्रीकृष्ण के माथे की सान है। जन्माष्टमी के दिन पूजा के समय इसे घर लाना शुभ माना जाता है। यह सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है और घर में नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है। मोर पंख को घर के मंदिर में या पूजा स्थल पर रखने से घर में सुख-शांति का वातावरण बना रहता है।
जन्माष्टमी पूजा मुहूर्त 2024
पंचांग की गणना के मुताबिक श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पूजा का मुहूर्त रात 12 बजे से लेकर 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। फिर व्रत का पारण 27 अगस्त को सुबह 11 बजे होगा।
जन्माष्टमी पर करें इस मंत्र का जाप
जन्माष्टमी के पावन पर्व पर भगवान श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना के साथ-साथ कुछ विशेष मंत्रों का जाप करना बहुत शुभ माना जाता है। इन मंत्रों के जाप से व्यक्ति के मन में शांति होती है और साथ ही भगवान कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
ॐ देविकानन्दनाय विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात
जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र कब होगा शुरू
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। ऐसे में 26 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत शाम 3 बजकर 54 मिनट से होगी और समापन 27 अगस्त को शाम 3 बजकर 39 मिनट पर होगा।
जन्माष्टमी पर सुनें गोपाल स्तुति, सभी मनोकामनाएं होंगी पूर्ण
नमो विश्वस्वरूपाय विश्वस्थित्यन्तहेतवे।
विश्वेश्वराय विश्वाय गोविन्दाय नमो नमः॥
नमो विज्ञानरूपाय परमानन्दरूपिणे।
कृष्णाय गोपीनाथाय गोविन्दाय नमो नमः॥
नमः कमलनेत्राय नमः कमलमालिने।
नमः कमलनाभाय कमलापतये नमः॥
बर्हापीडाभिरामाय रामायाकुण्ठमेधसे।
रमामानसहंसाय गोविन्दाय नमो नमः॥
कंसवशविनाशाय केशिचाणूरघातिने।
कालिन्दीकूललीलाय लोलकुण्डलधारिणे॥
वृषभध्वज-वन्द्याय पार्थसारथये नमः।
वेणुवादनशीलाय गोपालायाहिमर्दिने॥
बल्लवीवदनाम्भोजमालिने नृत्यशालिने।
नमः प्रणतपालाय श्रीकृष्णाय नमो नमः॥
नमः पापप्रणाशाय गोवर्धनधराय च।
पूतनाजीवितान्ताय तृणावर्तासुहारिणे॥
निष्कलाय विमोहाय शुद्धायाशुद्धवैरिणे।
अद्वितीयाय महते श्रीकृष्णाय नमो नमः॥
प्रसीद परमानन्द प्रसीद परमेश्वर।
आधि-व्याधि-भुजंगेन दष्ट मामुद्धर प्रभो॥
श्रीकृष्ण रुक्मिणीकान्त गोपीजनमनोहर।
संसारसागरे मग्नं मामुद्धर जगद्गुरो॥
केशव क्लेशहरण नारायण जनार्दन।
गोविन्द परमानन्द मां समुद्धर माधव॥
॥ इत्याथर्वणे गोपालतापिन्युपनिषदन्तर्गता गोपालस्तुति संपूर्णम॥
जन्माष्टमी पर पंजीरी का महत्व
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन बाल गोपाल के लिए विशेष रूप से धनिया से बनी पंजीरी का भोग लगाया जाता है। कान्हा जी को धनिये की पंजीरी का भोग बहुत प्रिय है इसलिए इस दिन उन्हें प्रसाद के रूप में धनिये की पंजीरी चढ़ाई जाती है। भोग लगाने के बाद यह प्रसाद सभी लोगों में बांटा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस प्रसाद को ग्रहण करने से श्रीकृष्ण की कृपा उनके भक्तों पर बनी रहती है।
खीरे के बिना अधूरी है भगवान कृष्ण की पूजा
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक खीरा भगवान श्रीकृष्ण को प्रिय है और खीरा का भोग लगाने से भक्तों के सारे दुख दूर होते हैं। इसलिए जन्माष्टमी के दिन ऐसा खीरा लाया जाता है, जिसमें थोड़ा डंठल और पत्तियां लगी होती हैं। जन्माष्ठमी पूजा के खीरे के इस्तेमाल के पीछे की मान्यता है कि जब बच्चा पैदा होता है तब उसको मां से अलग करने के लिए गर्भनाल को काटा जाता है, ठीक उसी प्रकार से जन्माष्टमी के दिन खीरे को डंठल से काटकर अलग किया जाता है। ये भगवान श्री कृष्ण को मां देवकी से अलग करने का प्रतीक माना जाता है। यही वजह है कि ऐसा करने के बाद ही कान्हा की विधि विधान से पूजा शुरू की जाती है।