PANCHANG: 25 सितम्बर 2024 का पंचांग……… जानिये शारदीय नवरात्रि का पूरा कैलेंडर……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।
पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।
आज आश्विन माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी है। आज आद्रा नक्षत्र है। आज बुधवार है। आज राहुकाल 11:49 से 13:19 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 25 सितम्बर 2024 |
दिवस | बुधवार |
माह | आश्विन |
पक्ष | कृष्ण |
तिथि | अष्टमी |
सूर्योदय | 05:48:00 |
सूर्यास्त | 17:49:08 |
करण | कौलव |
नक्षत्र | आद्रा |
सूर्य राशि | कन्या |
चन्द्र राशि | मिथुन |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजित | आज अभिजित नहीं है। |
राहुकाल | 11:49 से 13:19 तक |
सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। हर साल चार बार नवरात्रि पड़ती है, जिसमें से दो गुप्त नवरात्रि होती है। इसके अलावा एक चैत्र माह में पड़ने वाली चैत्र नवरात्रि और दूसरी आश्विन मास में पड़ने वाली शारदीय नवरात्रि होती है। पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि इस साल अक्तूबर माह में पड़ रही है। शारदीय नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस साल पूरे 9 दिनों की शारदीय नवरात्रि मनाई जाएगी। इस बार शारदीय नवरात्रि गुरुवार के दिन शुरू हो रही है। ऐसे में माता रानी का वाहन इस बार पालकी रहेगा। दरअसल, नवरात्रि में माता रानी का धरती पर पालकी से आना अच्छा संकेत नहीं माना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि की तिथि, महत्व और शुभ मुहूर्त…
शारदीय नवरात्रि 2024 कब है?
पंचांग के अनुसार, इस साल आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 3 अक्तूबर सुबह 12:19 बजे से हो रहा है, और 4 अक्टूबर सुबह 2:58 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार 3 अक्तूबर 2024, गुरुवार से शारदीय नवरात्रि आरंभ हो रही है, जो 12 अक्तूबर 2024, शनिवार के दिन समाप्त होगी।
शारदीय नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त 2024
पंचांग के अनुसार, नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है और साथ ही लोग कलश स्थापना भी करते हैं। इसके लिए शुभ मुहूर्त 3 अक्तूबर को सुबह 6:19 बजे से 7:23 बजे तक है। साथ ही अभिजित मुहूर्त 11:52 बजे से लेकर 12:40 बजे होगा।
शारदीय नवरात्रि 2024 तिथि
- पहला दिन- मां शैलपुत्री – 3 अक्टूबर 2024
- दूसरा दिन- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा – 4 अक्टूबर 2024
- तीसरा दिन- मां चंद्रघंटा की पूजा – 5 अक्टूबर 2024
- चौथा दिन- मां कूष्मांडा की पूजा – 6 अक्टूबर 2024
- पांचवां दिन- मां स्कंदमाता की पूजा – 7 अक्टूबर 2024
- छठा दिन- मां कात्यायनी की पूजा – 8 अक्टूबर 2024
- सातवां दिन- मां कालरात्रि की पूजा – 9 अक्टूबर 2024
- आठवां दिन- मां सिद्धिदात्री की पूजा – 10 अक्टूबर 2024
- नौवां दिन- मां महागौरी की पूजा – 11 अक्टूबर 2024
- विजयदशमी – 12 अक्टूबर 2024, दुर्गा विसर्जन
मां दुर्गा के नौ स्वरूप
शैलपुत्री
नवरात्रि के पहले दिन देवी दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। देवी शैलपुत्री की पूजा करने से हर मनोकमानएं पूरी होती हैं। देवी को सफेद वस्तुएं प्रिय हैं। ऐसे में शारदीय नवरात्रि में उन्हें सफेद मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए। इससे सुख-समृद्धि का वास होता है।
ब्रह्मचारिणी
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है। उनकी आराधना में हमेशा ‘या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।’ मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे भाग्य में वृद्धि होती हैं। साथ ही लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मचारिणी को शक्कर का भोग लगाने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।
चंद्रघंटा
मां दुर्गाजी की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा हैं, और नवरात्रि के तीसरे दिन इन्हीं के विग्रह की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन देवी की विधिनुसार पूजा अर्चना करने से व्यक्ति बुरी बलाओं से बचा रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां चंद्रघंटा के आशीर्वाद से समस्त पाप और बाधाएं नष्ट हो जाती हैं।
कुष्मांडा
चौथे दिन देवी दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखने से जातक के सभी कष्ट दूर और कामनाएं पूरी होती हैं।
स्कंदमाता
नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। देवी की आराधना से जातक को सुख और सौभाग्य का वरदान मिलता है। इस दौरान पूजा में ‘सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥’ मंत्र का जाप करना चाहिए।
कात्यायनी
छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। देवी की विधि अनुसार पूजा अर्चना करने से विवाह संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
कालरात्रि
सातवें दिन मां दुर्गा की सातवीं शक्ति माता कालरात्रि की पूजा का विधान है। इस दिन माता कालरात्रि की पूजा और सच्चे मन से उपवास रखने से सभी बुरी शक्तियां दूर होती है।
महागौरी
नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी की आराधना का विधान है। इस दिन देवी की पूजा करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती हैं। मान्यताओं के अनुसार देवी महागौरी को मोगरे के फूल अति प्रिय हैं। पूजा में इस फूल को शामिल करने से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।
सिद्धिदात्री
नवें दिन मां दुर्गाजी की नवीं शक्ति सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री की अर्चना करने से जातक के सभी कार्य बिना किसी बाधा के पूरे होते हैं। साथ ही साधक को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती हैं।
मां दुर्गा का आगमन
देवी भागवत पुराण के अनुसार, नवरात्रि के दौरान माता रानी धरती पर वास करती हैं। इस दौरान वह किसी न किसी वाहन पर सवार होकर पृथ्वी लोग आती हैं, और वापसी भी कुछ इसी तरह करती हैं।
शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे।
गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥
इस श्लोक के अनुसार, वार के अनुसार देवी माता के आगमन और प्रस्थान के वाहन को निर्णारित किया जाता है। सोमवार या रविवार को नवरात्री की शुरुआत होती है, तो माता हाथी पर, मंगलवार या शनिवार को घोड़े पर, शुक्रवार को डोली में और गुरुवार को डोली में सवार होकर आती हैं। वहीं बुधवार के दिन माता नौका पर सवार होकर आती हैं।