PANCHANG: 25 अक्टूबर 2024 का पंचांग………जानिये कब है तुलसी विवाह?……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत
पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।
पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।
आज कार्तिक माह कृष्ण पक्ष की नवमी है। आज आश्लेषा नक्षत्र है। आज शुक्रवार है। आज राहुकाल 10:16 से 11:41 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 25 अक्टूबर 2024 |
दिवस | शुक्रवार |
माह | कार्तिक |
पक्ष | कृष्ण |
तिथि | नवमी |
सूर्योदय | 05:59:53 |
सूर्यास्त | 17:22:13 |
करण | तैतुल |
नक्षत्र | आश्लेषा |
सूर्य राशि | तुला |
चन्द्र राशि | कर्क |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजित | 11:18 से 12:04 तक |
राहुकाल | 10:16 से 11:41 तक |
सनातन धर्म में तुलसी को देवी महालक्ष्मी का अवतार और भगवान विष्णु की प्रिय मानी जाती हैं। तुलसी को विष्णुप्रिय भी कहा जाता है, और कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह के रूप में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व पूरे भारत में विशेष रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति और परिवार की समृद्धि के लिए मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस साल तुलसी विवाह कब है, इसकी विधि और महत्व क्या है।
तुलसी विवाह 2024 की तिथि
इस साल तुलसी विवाह 13 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि का प्रारंभ 12 नवंबर 2024 को शाम 4:04 बजे हो रहा है, और इसका समापन 13 नवंबर 2024 को दोपहर 1:01 बजे होगा। उदयातिथि के अनुसार, तुलसी विवाह 13 नवंबर को संपन्न किया जाएगा। इससे एक दिन पहले, 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी का पर्व है, जो भगवान विष्णु के क्षीर निद्रा से जागने का दिन माना जाता है।
तुलसी विवाह की विधि
तुलसी विवाह के दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद भगवान विष्णु को शंख और घंटानाद के साथ जगाया जाता है। इसके बाद उनकी विशेष पूजा की जाती है। शाम के समय, घरों और मंदिरों में दीये जलाए जाते हैं, और सूर्यास्त के समय गोधूलि वेला में भगवान शालिग्राम (विष्णु का स्वरूप) और माता तुलसी का विवाह विधिवत कराया जाता है।
तुलसी विवाह का धार्मिक महत्व
तुलसी विवाह को सनातन धर्म में अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस दिन तुलसी का विवाह करने से वैवाहिक जीवन में शांति और स्थायित्व बना रहता है। जो लोग विवाह में विलंब का सामना कर रहे होते हैं, उनके विवाह के योग बनने लगते हैं। साथ ही, संतान सुख की कामना करने वालों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। यह विवाह परिवार में सुख, समृद्धि और सौहार्द्र बनाए रखने के लिए किया जाता है।
देवउठनी एकादशी और मांगलिक कार्यों की शुरुआत
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं। इसी दिन से सभी शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। इस दिन से विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार आदि मांगलिक कार्यक्रमों का आयोजन प्रारंभ हो जाता है।
इस साल भी तुलसी विवाह पूरे भारत में उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा, और भगवान विष्णु और तुलसी माता की विशेष पूजा-अर्चना से घर-परिवार में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होगा।