PANCHANG: 24 जुलाई 2024 का पंचांग……..आज है गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत………….जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत
पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।
पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।
आज श्रावण माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी है। आज शतभिष नक्षत्र है। आज बुधवार है। आज राहुकाल 12:04 से 13:43 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 24 जुलाई 2024 |
दिवस | बुधवार |
माह | श्रावण |
पक्ष | कृष्ण |
तिथि | चतुर्थी |
सूर्योदय | 05:25:42 |
सूर्यास्त | 18:41:35 |
करण | बव |
नक्षत्र | शतभिष |
सूर्य राशि | कर्क |
चन्द्र राशि | कुम्भ |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजीत | आज अभिजीत नहीं है। |
राहुकाल | 12:04 से 13:43 तक |
सप्ताह में बुधवार का दिन गणेश जी की पूजा को समर्पित होता है। इस दिन प्रभु की पूजा अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। हिंदू धर्म में गणेश भगवान को प्रथम पूज्य माना जाता है। मान्यता है कि किसी भी नए कार्य की शुरुआत अगर उनके आशीर्वाद से की जाए, तो उसके सफल होने की संभावना बढ़ जाती है। यूं तो रोजाना ही घरों में गणेश भगवान की पूजा की जाती है। लेकिन उनकी विशेष कृपा पाने के लिए संकष्टी चतुर्थी तिथि को बेहद शुभ माना गया है। इस दिन व्रत रखने का भी विधान है।
कहा जाता है कि इस उपवास को रखने से जीवन के समस्त संकट दूर होते हैं। बता दें संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर माह की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के चौथे दिन रखा जाता है। वहीं सावन में इस व्रत की महत्ता अधिक बढ़ जाती है, क्योंकि ये माह महादेव की पूजा को समर्पित है। ऐसे में संकष्टी चतुर्थी पर गणेश जी आराधना करने से मनचाहे परिणामों की प्राप्ति होती हैं। इस साल आज 24 जुलाई 2024 को गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जा रहा है । इस दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं। ऐसे में आइए इस दिन के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में जान लेते हैं।
गजानन संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त
गजानन संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश भगवान की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सूर्योदय के बाद बन रहा है। इस दौरान सौभाग्य योग बना रहेगा। इस दौरान चंद्रमा के उदित होने का समय 09 बजकर 37 मिनट पर है। इसके बाद आप कभी भी चंद्रमा की पूजा कर सकते है। वहीं गजानन संकष्टी चतुर्थी वाले दिन भद्रा का साया बना रहेगा। हालांकि गणेश पूजन में कोई समस्या नहीं है।
गजानन संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
गजानन संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह ही स्नान कर लें। फिर शुभ मुहूर्त के अनुसार पूजा के स्थान पर चौकी लगाएं। इसके बाद गणेश जी की मूर्ति की स्थापना करें। फिर गणेश जी को फूल, सिंदूर, पान, सुपारी और मौली अर्पित करें। इस दौरान अक्षत्, हल्दी, दूर्वा, चंदन और नैवेद्य भी चढ़ाएं। सभी चीजें अर्पित करने के बाद आप गणेश जी के मंत्रों का जाप करें। फिर उन्हें मोदक का भोग लगाएं। बाद में गणेश चालीसा का पाठ करें और व्रत की कथा पढ़ें। इस दौरान आरती करना न भूलें। इसके बाद रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य दें और उनकी पूजा करें। उसके बाद व्रत का विधिनुसार पारण करें।
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥