PANCHANG: 24 अगस्त 2024 का पंचांग……….इस साल रोहिणी नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई जाएगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी………पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।

पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।

आज भाद्रपद माह कृष्ण पक्ष की पंचमी है। आज अश्विनी नक्षत्र है। आज शनिवार है। आज राहुकाल 08:49 से 10:24 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।

आज का पंचांग (अंबिकापुर)

दिनांक24 अगस्त 2024
दिवसशनिवार
माहभाद्रपद
पक्षकृष्ण
तिथिपंचमी
सूर्योदय05:37:57
सूर्यास्त18:20:38
करणतैतुल
नक्षत्रअश्विनी
सूर्य राशिसिंह
चन्द्र राशिमेष

मुहूर्त (अंबिकापुर)

शुभ मुहूर्त- अभिजीत 11:34 से 12:25 तक
राहुकाल 08:49 से 10:24 तक

हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस विशेष दिन पर रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण की उपासना करने से साधक को विशेष लाभ प्राप्त होता है। प्रतिवर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाने वाला श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व इस बार बेहद खास माना जा रहा है। पुराणों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मध्यरात्रि व्यापनी अष्टमी तिथि और रोहणी नक्षत्र में हुआ था। इस वर्ष 26 अगस्त को सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है और चंद्रमा वृषभ राशि , रोहिणी नक्षत्र होने से एक विशेष योग निर्मित हो रहा है। इसीलिए इस वर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी सुख, समृद्धि और मनोवांछित फल देने वाली मानी जा रही है।

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जयंती योग का संयोग

इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त, सोमवार के दिन मनाया जाएगा। इस बार जन्माष्टमी पर जयंती योग का शुभ संयोग बना हुआ है। बुधवार और सोमवार को जन्माष्टमी होने पर जयंती योग का शुभ संयोग बनता है। दरअसल, जिस दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था उस दिन बुधवार था।

अष्टमी तिथि पर मध्य रात्रि रोहिणी का शुभ नक्षत्र

इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर मध्य रात्रि में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग बन रहा है और सर्वार्थ सिद्धि योग निर्मित हो रहा है। रोहिणी नक्षत्र 26 अगस्त को अपराह्न 3 बजकर 55 मिनट पर शुरू होगा और 27 अगस्त को अपराह्न 3 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। रोहिणी को चंद्रमा की पत्नी माना जाता है और इस दिन चंद्रमा अपने उच्च अंश वृषभ राशि में होगा। ग्रहों की यह दशा पूजन अर्चना के योग से विशेष फलदायी सिद्ध हो रही है। सर्वार्थ सिद्धि योग में की गई पूजा अर्चना भक्तों को विशेष फल देगी।

गृहस्थ कब मनाएं जन्माष्टमी

गृहस्थ जीवन वालों के लिए 26 अगस्त को जन्माष्टमी का त्योहार मनाना शुभ रहेगा। इस दिन रोहिणी नक्षत्र व अष्टमी तिथि का भी शुभ मुहूर्त बन रहा है। बाल गोपाल का जन्म मध्य रात्रि को हुआ था। स्मार्त संप्रदाय और वैष्णव संप्रदाय के लोग अलग-अलग दिन इसलिए जन्माष्टमी मनाते हैं क्योंकि दोनों संप्रदाय के लोग पंचांग में बताए अलग-अलग समय पर इस पर्व को मनाते हैं।

स्मार्त संप्रदाय उदया तिथि को इतना महत्व नहीं देते हैं। जबकि वैष्णव संप्रदाय उदयकाल पर निर्धारित समय को मानता है। स्मार्त जन यदि अर्ध रात्रि को अष्टमी पड़ रही हो, तो उसी दिन जन्माष्टमी मनाते हैं। जबकि वैष्णव संन्यासी उदया तिथि जन्माष्टमी मनाते हैं एवं व्रत भी उसी दिन रखते हैं। इस वर्ष 26 अगस्त को उदयातिथि में अष्टमी तिथि का संयोग भी रहेगा।

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कैसे करें श्रीकृष्ण की आराधना

इस वर्ष विशेष ग्रह नक्षत्र में होने की वजह से जन्माष्टमी को काफी शुभ माना जा रहा है। साधना करने के लिए श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण समय है। वैसे तो हर जन्माष्टमी शुभ होती है और श्रीकृष्ण भक्तों के सारे दुख हर लेते हैं। लेकिन अगर आप विशेष काल और नक्षत्र में भजन कीर्तन के साथ श्रीकृष्ण कथा और लीला अमृत का पाठ करते हैं, तो इससे भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होंगे और सुख समृद्धि तथा सफलता का आशीर्वाद देंगे।

पूजा मुहूर्त व विधि

अष्टमी तिथि सोमवार 26 अगस्त को प्रातः काल 3.39 बजे से प्रारंभ होकर 27 अगस्त को मध्य रात्रि के बाद 2:19 बजे समाप्त होगी। जन्माष्टमी पूजन का शुभ मुहूर्त रात्रि 11.48 बजे से 12.33 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त में लड्डू गोपाल की पूजा अर्चना की जाती है। जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण का श्रृंगार करने के बाद उन्हें अष्टगंध, चन्दन, अक्षत और रोली का तिलक लगाकर माखन मिश्री और अन्य भोग सामग्री अर्पित करना शुभ माना गया है।

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