PANCHANG: 22 नवंबर 2023 का पंचांग………कब है देवउठनी एकादशी?……… जानें सही मुहूर्त…….. और व्रत पारण का समय……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं।

आज कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की दशमी है व पूर्वभाद्रपदा नक्षत्र है। आज बुधवार है। आज राहुकाल 11:43 से 13:05 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।

आज का पंचांग (अंबिकापुर)

दिनांक22 नवंबर 2023
दिवसबुधवार
माहकार्तिक
पक्षशुक्ल पक्ष
तिथिदशमी
सूर्योदय06:16:20
सूर्यास्त17:09:57
करणतैतुल
नक्षत्रपूर्वभाद्रपदा
सूर्य राशिवृश्चिक
चन्द्र राशिमीन

मुहूर्त (अंबिकापुर)

शुभ मुहूर्त- अभिजीत आज अभिजीत नहीं है।
राहुकाल 11:43 से 13:05 तक

हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। देवउठनी एकादशी का दिन श्री हरि विष्णु को समर्पित है। इस दिन जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु अपनी चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं। इसके बाद से ही सभी मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं। इसके अलावा देवउठनी एकादशी भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए भी बेहद उत्तम मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए कुछ लोग व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं। इस दिन सच्ची श्रद्धा और भक्ति भाव से भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

देवउठनी एकादशी 2023 तिथि?

इस साल 23 नवंबर 2023 को देवउठनी एकादशी है। इस दिन भगवान विष्णु 5 माह की निद्रा के बाद जागेंगे। इसके बाद से सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। देवउठनी एकादशी पर ही रात में शालिग्राम जी और तुलसी माता का विवाह होता है।

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देवउठनी एकादशी 2023 मुहूर्त

  • कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि का प्रारंभ – 22 नवंबर 2023, रात 11.03
  • कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि का समापन – 23 नवंबर 2023, रात 09.01
  • पूजा का समय- सुबह 06.16 से सुबह 08.09
  • रात्रि पूजा का मुहूर्त- शाम 05.09 से रात 08.46
  • व्रत पारण समय- सुबह 06.16 से सुबह 08.57 (24 नवंबर 2023)

देवउठनी एकादशी पूजा विधि

  • देवउठनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद भगवान विष्णु जी की पूजा करते हुए व्रत का संकल्प लें।  
  • श्री हरि विष्णु की प्रतिमा के समक्ष उनके जागने का आह्वान करें।  
  • सायं काल में  पूजा स्थल पर घी के 11 दीये देवी-देवताओं के समक्ष जलाएं।
  • यदि संभव हो पाए तो गन्ने का मंडप बनाकर बीच में विष्णु जी की मूर्ति रखें।
  • भगवान हरि को गन्ना, सिंघाड़ा, लड्डू, जैसे मौसमी फल अर्पित करें।
  • एकादशी की रात एक घी का दीपक जलाएं।
  • अगले दिन हरि वासर समाप्त होने के बाद ही व्रत का पारण करें।

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