PANCHANG: 22 अगस्त 2024 का पंचांग……….दही हांडी उत्सव कब?……….. जानिए तिथि और इससे जुड़ी पौराणिक कथा………पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत
पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।
पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।
आज भाद्रपद माह कृष्ण पक्ष की तृतीया है। आज उत्तरभाद्रपदा नक्षत्र है। आज गुरुवार है। आज राहुकाल 13:35 से 15:11 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 22 अगस्त 2024 |
दिवस | गुरुवार |
माह | भाद्रपद |
पक्ष | कृष्ण |
तिथि | तृतीया |
सूर्योदय | 05:37:16 |
सूर्यास्त | 18:22:23 |
करण | विष्टिभद्र |
नक्षत्र | उत्तरभाद्रपदा |
सूर्य राशि | सिंह |
चन्द्र राशि | मीन |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजीत | 11:34 से 12:25 तक |
राहुकाल | 13:35 से 15:11 तक |
कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हर साल भाद्रपद महीने की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इसके साथ भगवान श्री कृष्ण के जन्ममोत्सव के रूप में दही हांडी उत्सव भी मनाया जाता है। यह उत्सव मुख्य रूप से गुजरात, महाराष्ट्र और गोवा में धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार हमेशा कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाता है। इस बार जन्माष्टमी 26 अगस्त को और दही हांडी उत्सव 27 अगस्त को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं इस वर्ष कब मनाई जाएगी दही हांडी?
दही हांडी तिथि
दही हांडी का त्योहार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी और दही हांडी का त्योहार 27 अगस्त के दिन मनाया जाएगा।
क्यों मनाई जाती है दही हांडी?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने अपने बचपन में अपने दोस्तों के साथ माखन मिश्री चुराते थे और दोस्तों में बांट देते थे। इसीलिए कान्हा को माखन चोर भी कहा जाता है। माखन चोरी होने के डर से गोपियों ने माखन की मटकी को ऊंचे स्थान पर लटकाना आरंभ कर दिया। लेकिन नटखट कान्हा अन्य ग्वालबालों के साथ माखन चुरा लेते थे और बड़े चाव से सबके साथ खाते थे। भगवान कृष्ण की इन बाल लीलाओं को दही हांडी उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
कैसे मनाई जाती है दही हांडी?
दही हांडी उत्सव के दौरान मिट्टी के बर्तन में दही या मक्खन को ऊंचाई पर लटकाया जाता है। फिर पुरुषों और महिलाओं का एक समूह एक मानव पिरामिड बनाता है और मटके को तोड़ने का प्रयास करता है। दही हांडी का प्रदर्शन कई स्थानों पर प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं। इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले लोगों को गोविंदा कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी समूह मटकी तोड़ता है उसे भगवान कृष्ण का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।