PANCHANG: 21 अक्टूबर 2024 का पंचांग………जानिए अक्तूबर में कब रखा जाएगा अहोई अष्टमी का व्रत……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत
पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।
पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।
आज कार्तिक माह कृष्ण पक्ष की पंचमी है। आज मृगशीर्षा नक्षत्र है। आज सोमवार है। आज राहुकाल 07:24 से 08:50 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 21 अक्टूबर 2024 |
दिवस | सोमवार |
माह | कार्तिक |
पक्ष | कृष्ण |
तिथि | पंचमी |
सूर्योदय | 05:57:57 |
सूर्यास्त | 17:25:12 |
करण | कौलव |
नक्षत्र | मृगशीर्षा |
सूर्य राशि | तुला |
चन्द्र राशि | वृषभ |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजित | 11:19 से 12:04 तक |
राहुकाल | 07:24 से 08:50 तक |
हिंदू धर्म में संतान से जुड़े कई व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें अहोई अष्टमी विशेष है। इस दिन महिलाएं संतान की लंबी उम्र, तरक्की और खुशहाल जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं, जिसका पारण तारों को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है। इस दिन अहोई माता की पूजा का विधान है। मान्यता है कि अहोई माता मां पार्वती का ही स्वरूप हैं। ऐसे में उनकी आराधना से महादेव का आशीर्वाद भी मिलता है।
पंचांग के अनुसार अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस साल 24 अक्तूबर 2024 को अहोई अष्टमी है। इस दिन साध्य योग और पुष्य नक्षत्र का निर्माण हो रहा है। इस संयोग में अहोई माता की पूजा अर्चना करने से संतान के जीवन में चल रही समस्याएं समाप्त होती हैं। ऐसे में आइए इस दिन की पूजा विधि के बारे में जानते हैं।
अहोई अष्टमी पूजा विधि
- अहोई अष्टमी के दिन सुबह ही स्नान कर लेना चाहिए। फिर साफ वस्त्रों को धारण करें।
- अब साफ हाथों से घर की एक दीवार को अच्छे से साफ कर लें।
- इस दीवार पर गेरू या कुमकुम से अहोई माता की तस्वीर बनाएं। फिर उनके समक्ष दीपक जलाएं और अहोई माता की कथा पढ़ें।
- कथा सुनने के बाद देवी से बच्चों की रक्षा की प्रार्थना करें।
- फिर शाम को तब पूजा करें, जब आसमान में तारों का उदय हो जाए।
- आसमान में तारों का उदय हो जाने के बाद आप उन्हें जल दें, और मंत्रों का जाप करें।
- फिर पूजा के लिए बने पकवान जैसे हलवा, पूरी, मिठाई, आदि को भोग अहोई माता को लगाएं।
- इसके बाद पूरे परिवार के साथ माता की पूजा करें।