PANCHANG: 21 नवंबर 2024 का पंचांग………..महाकुंभ 2025: जानिए कब, कहां और कैसे होगा आयोजन……………पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।
पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।
आज मार्गशीर्ष माह कृष्ण पक्ष की षष्ठी है। आज पुष्य नक्षत्र है। आज गुरुवार है। आज राहुकाल 13:05 से 14:27 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 21 नवंबर 2024 |
दिवस | गुरुवार |
माह | मार्गशीर्ष |
पक्ष | कृष्ण |
तिथि | षष्ठी |
सूर्योदय | 06:16:13 |
सूर्यास्त | 17:09:58 |
करण | वणिज |
नक्षत्र | पुष्य |
सूर्य राशि | वृश्चिक |
चन्द्र राशि | कर्क |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजित | 11:21 से 12:05 तक |
राहुकाल | 13:05 से 14:27 तक |
महाकुंभ, हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन, साल 2025 में प्रयागराज में आयोजित होगा। यह पवित्र मेला हर 12 साल में एक बार चार प्रमुख तीर्थ स्थानों पर आयोजित किया जाता है। आइए जानते हैं महाकुंभ 2025 से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां।
कहां होगा महाकुंभ 2025 का आयोजन?
साल 2025 में महाकुंभ का आयोजन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम (गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम) के तट पर होगा। यह आयोजन धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, जहां लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए जुटते हैं।
महाकुंभ 2025 का आयोजन कब से कब तक होगा?
हिंदू पंचांग के अनुसार, महाकुंभ 2025 की शुरुआत 13 जनवरी 2025 को पौष पूर्णिमा से होगी और इसका समापन 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि पर होगा। यह आयोजन पूरे 45 दिनों तक चलेगा।
महाकुंभ 2025 के शाही स्नान की तिथियां
महाकुंभ के दौरान पवित्र नदी में स्नान करने को विशेष महत्व दिया गया है। यहां शाही स्नान की प्रमुख तिथियां दी गई हैं:
- 13 जनवरी 2025: पौष पूर्णिमा स्नान
- 14 जनवरी 2025: मकर संक्रांति स्नान
- 29 जनवरी 2025: मौनी अमावस्या स्नान
- 03 फरवरी 2025: बसंत पंचमी स्नान
- 12 फरवरी 2025: माघी पूर्णिमा स्नान
- 26 फरवरी 2025: महाशिवरात्रि स्नान
महाकुंभ स्थल का चयन कैसे होता है?
महाकुंभ के आयोजन स्थल का निर्णय ज्योतिषीय गणना के आधार पर होता है। बृहस्पति और सूर्य की स्थिति इस आयोजन के स्थान को निर्धारित करती है:
- हरिद्वार: बृहस्पति कुंभ राशि में और सूर्य मेष राशि में हों तो आयोजन हरिद्वार में होता है।
- उज्जैन: सूर्य मेष राशि में और बृहस्पति सिंह राशि में हों तो आयोजन उज्जैन में होता है।
- नासिक: बृहस्पति और सूर्य दोनों सिंह राशि में हों तो आयोजन नासिक में होता है।
- प्रयागराज: बृहस्पति वृषभ राशि में और सूर्य मकर राशि में हों तो आयोजन प्रयागराज में होता है।
महाकुंभ के महत्व और आस्था की मान्यता
महाकुंभ को धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि महाकुंभ में पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और उसे रोग-दोष से मुक्ति मिलती है। यह आयोजन आत्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का अवसर माना जाता है।
महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है। यह केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण आयोजन है।