PANCHANG: 20 नवंबर 2024 का पंचांग………..विवाह पंचमी 2024: जानें तिथि, शुभ योग, मुहूर्त और पूजा विधि……………पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत
पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।
पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।
आज मार्गशीर्ष माह कृष्ण पक्ष की पंचमी है। आज पुनर्वसु नक्षत्र है। आज बुधवार है। आज राहुकाल 11:43 से 13:05 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 20 नवंबर 2024 |
दिवस | बुधवार |
माह | मार्गशीर्ष |
पक्ष | कृष्ण |
तिथि | पंचमी |
सूर्योदय | 06:14:51 |
सूर्यास्त | 17:10:19 |
करण | तैतुल |
नक्षत्र | पुनर्वसु |
सूर्य राशि | वृश्चिक |
चन्द्र राशि | कर्क |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजित | आज अभिजित नहीं है। |
राहुकाल | 11:43 से 13:05 तक |
मार्गशीर्ष माह भगवान श्रीकृष्ण और विष्णु जी की पूजा को समर्पित है। इस माह में शंख पूजा, नदी स्नान और दान से जुड़े कार्यों का विशेष महत्व है। यह माह प्रभु श्रीराम की आराधना के लिए भी अत्यंत शुभ माना गया है। मान्यता है कि इस माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था, जिसे विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
विवाह पंचमी 2024 तिथि और शुभ योग
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष विवाह पंचमी 6 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी।
- पंचमी तिथि आरंभ: 5 दिसंबर 2024 को दोपहर 12:49 बजे।
- पंचमी तिथि समाप्त: 6 दिसंबर 2024 को दोपहर 12:07 बजे।
- शुभ योग: इस दिन ध्रुव योग रात 10:42 बजे तक रहेगा। साथ ही श्रवण नक्षत्र का संयोग शाम 5:18 बजे तक रहेगा।
विवाह पंचमी का धार्मिक महत्व
इस तिथि पर राम और सीता की पूजा से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। मान्यता है कि इस दिन तुलसीदास जी ने रामचरितमानस का लेखन पूर्ण किया था। इस दिन रामचरितमानस का पाठ और राम-सीता विवाह प्रसंग का स्मरण करना अत्यंत फलदायी होता है।
विवाह पंचमी पूजा विधि
- एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा स्थापित करें।
- भगवान राम को पीले और माता सीता को लाल वस्त्र अर्पित करें।
- दीप प्रज्वलित कर उनका ध्यान करें और तिलक लगाएं।
- रामचरितमानस के बालकांड में दिए गए विवाह प्रसंग का पाठ करें।
- पूजा के अंत में आरती और सुख-समृद्धि की कामना करें।
भगवान श्रीराम की आरती
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
छंद
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
।।सोरठा।।
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।
माता सीता की आरती
आरति श्रीजनक-दुलारी की। सीताजी रघुबर-प्यारी की।।
जगत-जननि जगकी विस्तारिणि, नित्य सत्य साकेत विहारिणि।
परम दयामयि दीनोद्धारिणि, मैया भक्तन-हितकारी की।।
आरति श्रीजनक-दुलारी की।
सतीशिरोमणि पति-हित-कारिणि, पति-सेवा-हित-वन-वन-चारिणि।
पति-हित पति-वियोग-स्वीकारिणि, त्याग-धर्म-मूरति-धारी की।।
आरति श्रीजनक-दुलारी की।।
विमल-कीर्ति सब लोकन छाई, नाम लेत पावन मति आई।
सुमिरत कटत कष्ट दुखदायी, शरणागत-जन-भय-हारी की।।
आरती श्री जनक-दुलारी की। सीता जी रघुबर-प्यारी की।।
विशेष आयोजन
इस पावन दिन पर देशभर के राम मंदिरों में भव्य सजावट होती है। ध्यान, कीर्तन, यज्ञ और पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है। श्रद्धालु इस अवसर पर रामचरितमानस का पाठ और भगवान राम-सीता की आराधना करते हैं।
इस विवाह पंचमी, प्रभु राम और माता सीता का आशीर्वाद प्राप्त कर अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाएं।