PANCHANG: 19 नवंबर 2023 का पंचांग………आस्था के महापर्व छठ का आज तीसरा दिन………जानिए संध्या अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत
पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं।
आज कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की सप्तमी है व श्रवण नक्षत्र है। आज रविवार है। आज राहुकाल 15:48 से 17:11 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 19 नवंबर 2023 |
दिवस | रविवार |
माह | कार्तिक |
पक्ष | शुक्ल पक्ष |
तिथि | सप्तमी |
सूर्योदय | 06:14:17 |
सूर्यास्त | 17:10:30 |
करण | वणिज |
नक्षत्र | श्रवण |
सूर्य राशि | वृश्चिक |
चन्द्र राशि | मकर |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजीत | 11:21 से 12:04 तक |
राहुकाल | 15:48 से 17:11 तक |
आस्था के महापर्व छठ का आज तीसरा दिन है। आज ही अस्त होते सूर्य को संध्या का अर्घ्य दिया जाएगा, जिसकी तैयाारी बहुत जोरों से है। छठ का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर नहाय खाय से शुरू होता है। पंचमी को खरना,षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य और सप्तमी को उगते सूर्य को जल अर्पित कर व्रत संपन्न किया जाता है। चार दिन चलने वाला इस पर्व में सूर्य और छठी मैय्या की पूजा की जाती है। इस दिन रखा जाने वाला व्रत बेहद कठिन माना जाता है,क्योंकि इस व्रत को 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए रखा जाता है। 17 नवंबर 2023 से छठ पर्व की पूजा शुरू हो चुकी है, जिसका समापन 20 नवंबर को होगा। बिहार में यह पर्व विशेषतौर पर बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह व्रत संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए किया जाता है। छठ पर्व षष्ठी तिथि से दो दिन पहले यानि चतुर्थी से नहाय-खाय से आरंभ हो जाता है और इसका समापन सप्तमी तिथि को पारण करके किया जाता है। छठ पर्व पूरे चार दिनों तक चलता है। इस पर्व में मुख्यतः सूर्य देव को अर्घ्य देने का सबसे ज्यादा महत्व माना गया है। तो चलिए जानते हैं छठ पूजा की तिथियां अर्घ्य का समय और पारण समय क्या है।
नहाय-खाय तिथि
छठ पूजा का यह महापर्व चार दिन तक चलता है इसका पहला दिन नहाय-खाय होता है। बता दें कि छठ पूजा की नहाय खाय परंपरा में व्रती नदी में स्नान के बाद नए वस्त्र धारण कर शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं। इस दिन व्रती के भोजन ग्रहण करने के बाद ही घर के बाकी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं।
खरना तिथि
खरना छठ पूजा का दूसरा दिन होता है। खरना 18 नवंबर को था। खरना के दिन व्रती एक समय मीठा भोजन करते हैं। इस दिन गु़ड़ से बनी चावल की खीर खाई जाती है। इस प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है। इस प्रसाद को खाने के बाद व्रत शुरू हो जाता है। इस दिन नमक नहीं खाया जाता है।
संध्या अर्घ्य का समय
छठ पूजा पर सबसे महत्वपूर्ण दिन तीसरा होता है। इस दिन संध्या अर्घ्य का होता है। इस दिन व्रती घाट पर आकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस साल छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 19 नवंबर को दिया जाएगा। 19 नवंबर को सूर्यास्त शाम 05:10 बजे होगा। इस दिन टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि अर्घ्य के सूप को सजाया जाता है। इसके बाद नदी या तालाब में कमर तक पानी में रहकर अर्घ्य दिया जाता है।
उगते सूर्य को अर्घ्य
चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण का होता है। इस साल 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन सूर्योदय सुबह 06:14 बजे होगा। इसके बाद ही 36 घंटे का व्रत समाप्त होता है। अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करती हैं।
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