PANCHANG: 18 नवंबर 2024 का पंचांग…………..गणाधिप संकष्टी चतुर्थी आज……………पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।

पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।

आज मार्गशीर्ष माह कृष्ण पक्ष की तृतीया है। आज मृगशीर्षा नक्षत्र है। आज सोमवार है। आज राहुकाल 07:36 से 08:58 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।

आज का पंचांग (अंबिकापुर)

दिनांक18 नवंबर 2024
दिवससोमवार
माहमार्गशीर्ष
पक्षकृष्ण
तिथितृतीया
सूर्योदय06:14:10
सूर्यास्त17:10:32
करणविष्टिभद्र
नक्षत्रमृगशीर्षा
सूर्य राशिवृश्चिक
चन्द्र राशिमिथुन

मुहूर्त (अंबिकापुर)

शुभ मुहूर्त- अभिजित 11:20 से 12:04 तक
राहुकाल 07:36 से 08:58 तक

सनातन धर्म में गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है। यह पर्व मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता और प्रथम पूज्य देवता माना गया है, की इस दिन पूजा-अर्चना से सभी संकट और बाधाओं का नाश होता है।


गणाधिप संकष्टी चतुर्थी 2024 का समय

  • आरंभ: 18 नवंबर 2024, शाम 6:55 बजे।
  • समाप्ति: 19 नवंबर 2024, शाम 5:28 बजे।
  • चन्द्रोदय का समय: 18 नवंबर, शाम 7:34 बजे।
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पर्व का महत्व

गणेश जी की पूजा से:

  1. विघ्नों का नाश होता है।
  2. रुके हुए कार्यों में सफलता मिलती है।
  3. व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
  4. कर्ज और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

पूजा विधि

  1. सफाई करें: सबसे पहले पूजा स्थल और मूर्ति की सफाई करें।
  2. गणपति की उपासना करें:
  • भगवान गणेश को चंदन, अक्षत, पुष्प, और दूर्वा अर्पित करें।
  • मोदक, फल, मिठाई का भोग लगाएं।
  1. दीपक जलाएं: घी या तेल का दीपक प्रज्वलित करें।
  2. श्री गणपति स्तोत्र का पाठ करें: शांत मन से स्तोत्र का पाठ करें।
  3. चंद्रमा को अर्घ्य दें: शाम को चंद्रमा को जल अर्पित करें।
  4. प्रसाद वितरित करें: पूजा के बाद प्रसाद को सभी में बांटें।

श्री गणपति स्तोत्र

यह विशेष दिन पर पढ़ा जाने वाला स्तोत्र भगवान गणेश के गुणों का वर्णन करता है:

जेतुं यस्त्रिपुरं हरेणहरिणा व्याजाद्बलिं बध्नता

स्रष्टुं वारिभवोद्भवेनभुवनं शेषेण धर्तुं धराम्।

पार्वत्या महिषासुरप्रमथनेसिद्धाधिपैः सिद्धये

ध्यातः पञ्चशरेण विश्वजितयेपायात्स नागाननः॥1॥

विघ्नध्वान्तनिवारणैकतरणि-र्विघ्नाटवीहव्यवाड्

विघ्नव्यालकुलाभिमानगरुडोविघ्नेभपञ्चाननः।

विघ्नोत्तुङ्गगिरिप्रभेदन-पविर्विघ्नाम्बुधेर्वाडवो

विघ्नाघौधघनप्रचण्डपवनोविघ्नेश्वरः पातु नः॥2॥

खर्वं स्थूलतनुं गजेन्द्रवदनंलम्बोदरं सुन्दरं

प्रस्यन्दन्मदगन्धलुब्धम-धुपव्यालोलगण्डस्थलम्।

दन्ताघातविदारितारिरुधिरैःसिन्दूरशोभाकरं

वन्दे शैलसुतासुतं गणपतिंसिद्धिप्रदं कामदम्॥3॥

गजाननाय महसेप्रत्यूहतिमिरच्छिदे।

अपारकरुणा-पूरतरङ्गितदृशे नमः॥4॥

अगजाननपद्मार्कंगजाननमहर्निशम्।

अनेकदन्तं भक्तानामेक-दन्तमुपास्महे॥5॥

श्वेताङ्गं श्वेतवस्त्रं सितकु-सुमगणैः पूजितं श्वेतगन्धैः

क्षीराब्धौ रत्नदीपैः सुरनर-तिलकं रत्नसिंहासनस्थम्।

दोर्भिः पाशाङ्कुशाब्जा-भयवरमनसं चन्द्रमौलिं त्रिनेत्रं

ध्यायेच्छान्त्यर्थमीशं गणपति-ममलं श्रीसमेतं प्रसन्नम्॥6॥

आवाहये तं गणराजदेवंरक्तोत्पलाभासमशेषवन्द्यम्।

विघ्नान्तकं विघ्नहरं गणेशंभजामि रौद्रं सहितं च सिद्धया॥7॥

यं ब्रह्म वेदान्तविदो वदन्तिपरं प्रधानं पुरुषं तथान्ये।

विश्वोद्गतेः कारणमीश्वरं वातस्मै नमो विघ्नविनाशनाय॥8॥

विघ्नेश वीर्याणि विचित्रकाणिवन्दीजनैर्मागधकैः स्मृतानि।

श्रुत्वा समुत्तिष्ठ गजानन त्वंब्राह्मे जगन्मङ्गलकं कुरुष्व॥9॥

गणेश हेरम्ब गजाननेतिमहोदर स्वानुभवप्रकाशिन्।

वरिष्ठ सिद्धिप्रिय बुद्धिनाथवदन्त एवं त्यजत प्रभीतीः॥10॥

अनेकविघ्नान्तक वक्रतुण्डस्वसंज्ञवासिंश्च चतुर्भुजेति।

कवीश देवान्तकनाशकारिन्वदन्त एवं त्यजत प्रभीतीः॥11॥

अनन्तचिद्रूपमयं गणेशंह्यभेदभेदादिविहीनमाद्यम्।

हृदि प्रकाशस्य धरं स्वधीस्थंतमेकदन्तं शरणम् व्रजामः॥12॥

विश्वादिभूतं हृदि योगिनां वैप्रत्यक्षरूपेण विभान्तमेकम्।

सदा निरालम्बसमाधिगम्यंतमेकदन्तं शरणम् व्रजामः॥13॥

यदीयवीर्येण समर्थभूता मायातया संरचितं च विश्वम्।

नागात्मकं ह्यात्मतया प्रतीतंतमेकदन्तं शरणम् व्रजामः॥14॥

सर्वान्तरे संस्थितमेकमूढंयदाज्ञया सर्वमिदं विभाति।

अनन्तरूपं हृदि बोधकं वैतमेकदन्तं शरणम् व्रजामः॥15॥

यं योगिनो योगबलेन साध्यंकुर्वन्ति तं कः स्तवनेन नौति।

अतः प्रणामेन सुसिद्धिदोऽस्तुतमेकदन्तं शरणम् व्रजामः॥16॥

देवेन्द्रमौलिमन्दार-मकरन्दकणारुणाः।

विघ्नान् हरन्तुहेरम्बचरणाम्बुजरेणवः॥17॥

एकदन्तं महाकायंलम्बोदरगजाननम्।

विघ्ननाशकरं देवंहेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥18॥

यदक्षरं पदं भ्रष्टंमात्राहीनं च यद्भवेत्।

तत्सर्वं क्षम्यतां देवप्रसीद परमेश्वर॥19॥

॥ इति श्रीगणपतिस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥


इस दिन पूजा का लाभ

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी की पूजा से:

  • सभी विघ्न और बाधाएं दूर होती हैं।
  • कार्य सिद्धि और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  • जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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विशेष उपाय

  • श्री गणपति स्तोत्र का पाठ करें।
  • मोदक का भोग लगाकर गणेश जी को प्रसन्न करें।
  • चंद्रमा को अर्घ्य देना न भूलें।

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा और स्तोत्र पाठ से जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। “गणपति बप्पा मोरया!”

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