PANCHANG: 18 जुलाई 2024 का पंचांग……..चातुर्मास हुआ शुरू………..जानें क्या करें और क्या न करें……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।

पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।

आज आषाढ़ माह शुक्ल पक्ष की द्वादशी है। आज ज्येष्ठा नक्षत्र है। आज गुरूवार है। आज राहुकाल 13:43 से 15:24 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।

आज का पंचांग (अंबिकापुर)

दिनांक18 जुलाई 2024
दिवसगुरूवार
माहआषाढ़
पक्षशुक्ल
तिथिद्वादशी
सूर्योदय05:23:07
सूर्यास्त18:43:43
करणबव
नक्षत्रज्येष्ठा
सूर्य राशिकर्क
चन्द्र राशिवृश्चिक

मुहूर्त (अंबिकापुर)

शुभ मुहूर्त- अभिजीत 11:37 से 12:30 तक
राहुकाल 13:43 से 15:24 तक

17 जुलाई 2024 से चातुर्मास की शुरुआत हो चुकी है। हिंदू धर्म में चातुर्मास को बेहद खास माना जाता है, क्योंकि इस अवधि से विष्णु जी योग निद्रा में चले जाते हैं, और उनका शयन काल शुरू हो जाता है। विष्णु जी का ये शयन काल चार महीने तक चलता है, जिसे चातुर्मास कहते हैं। इसका समापन कार्तिक मास में आने वाली देवउठनी एकादशी के दिन होता है। विष्णु जी के योग निद्रा में होने के कारण इस दौरान पूरी सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में होता है।

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चातुर्मास में भगवान शिव का प्रिय माह सावन भी पड़ता है। ऐसे में उनकी पूजा अर्चना करने पर शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दौरान शादी, ब्याह, मुंडन और गृह प्रवेश जैसे कार्यों को करने की मनाही होती है। हालांकि पूजा पाठ और दान पुण्य से जुड़े कार्य करने पर भाग्य वृद्धि के योग बनते हैं। लेकिन इस दौरान कुछ खास कार्यों को करने की मनाही होती है। आइए इनके बारे में जान लेते हैं।

चातुर्मास में क्या करना चाहिए?

  • चातुर्मास में महादेव पूरी सृष्टी की कमान संभालते हैं। ऐसे में महादेव की पूजा अर्चना करनी चाहिए। इसके अलावा सत्यनारायण भगवान की कथा सुनने से लाभ के योग बनते हैं। 
  • चातुर्मास के समय रोजाना जल्दी उठकर श्री हरि विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इस दौरान विष्णु सहस्रनाम और शिव चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
  • इस दौरान व्यक्ति को अन्न और वस्त्र का दान करना चाहिए। इसके अलावा दीप दान करना भी शुभ होता है। 
  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चातुर्मास में व्यक्ति को फर्श पर सोना चाहिए। मान्यता है कि जमीन पर सोने से सभी देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है।
  • इस दौरान योग-ध्यान करने का भी विधान है। साथ ही कुछ शक्तिशाली मंत्रों का जाप करना चाहिए। इससे सकारात्मकता बनी रहती है। 

चातुर्मास में क्या नहीं करना चाहिए?

  • चातुर्मास में ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे किसी को दुख पहुंचें। 
  • चातुर्मास में कभी भी सगाई, मुंडन, नामकरण, गृह प्रवेश और शादी जैसे मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए। इसके अलावा दही, मूली, बैंगन और साग का सेवन न करें, इन्हें खाना वर्जित माना जाता है।
  • चातुर्मास के दौरान किसी का अपमान न करें, और न ही किसी से लड़ाई झगड़ा करना चाहिए।
  • इस दौरान तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा चातुर्मास में किसी नए काम की भी शुरुआत न करें।
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