October 13, 2024 7:25 am

PANCHANG: 17 सितम्बर 2024 का पंचांग……………आज है अनंत चतुर्दशी……जानिए 14 गांठ वाले धागे का महत्व……पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।

पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।

आज भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी है। आज शतभिष नक्षत्र है। आज मंगलवार है। आज राहुकाल 14:54 से 16:26 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।

आज का पंचांग (अंबिकापुर)

दिनांक17 सितम्बर 2024
दिवसमंगलवार
माहभाद्रपद
पक्षशुक्ल
तिथिचतुर्दशी
सूर्योदय05:45:31
सूर्यास्त17:57:15
करणवणिज
नक्षत्रशतभिष
सूर्य राशिकन्या
चन्द्र राशिकुम्भ

मुहूर्त (अंबिकापुर)

शुभ मुहूर्त- अभिजीत 11:27 से 12:16 तक
राहुकाल 14:54 से 16:26 तक

हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन गणपति बप्पा का विसर्जन भी किया जाता है। यह दस दिनों तक मनाए जाने वाले गणेश उत्सव का आखिरी दिन होता है। यह तिथि भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए भी विशेष मानी जाती है। अनंत चतुर्दशी व्रत का सनातन धर्म में बड़ा महत्व है, इसे अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा होती है। भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन अनंत भगवान (भगवान विष्णु) की पूजा के पश्चात बाजू पर अनंत सूत्र बांधा जाता है। ये कपास या रेशम से बने होते हैं और इनमें चौदह गांठें होती हैं। अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है इसलिए इस पर्व का महत्व और भी बढ़ जाता है।

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अनंत चतुर्दशी का महत्व

अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व है क्योंकि इसे भगवान विष्णु की अनंत शक्ति और उनकी निरंतरता का प्रतीक माना जाता है। ‘अनंत’ शब्द का अर्थ होता है ‘जिसका कोई अंत नहीं है’ और इस दिन भगवान विष्णु को अनंत स्वरूप में पूजा जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से जीवन में आने वाली कठिनाइयों और दुखों के निवारण के लिए मनाया जाता है। कथा के अनुसार, महाभारत काल में पांडवों ने अपने जीवन की परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण के निर्देश पर अनंत व्रत का पालन किया था। इस व्रत के प्रभाव से पांडवों को खोया हुआ राज्य और प्रतिष्ठा पुनः प्राप्त हुई थी। ऐसी मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं और उसे सुख-समृद्धि की प्राप्त होती है।

अनंत चतुर्दशी शुभ मुहूर्त

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 16 सितंबर, 2024 को दोपहर 03;10 बजे हो रहा है और इसका समापन आज 17 सितंबर को सुबह 11:44 बजे होगा। उदया तिथि के अनुसार देखा जाए तो अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर यानी मंगलवार को मनाई जाएगी। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06;07 बजे से सुबह 11;44 बजे तक रहेगा।

पूजा का विधान

इस दिन कलश स्थापना करके उस पर सुंदर लोटे में कुश रखना चाहिए,यदि कुश उपलब्ध न हो तो दूब रख सकते हैं। भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर के सामने केसर,रोली और हल्दी से रंगे हुए सूत के डोरे रखकर उनकी गंगाजल,गंध,पुष्प,अक्षत,धूप-दीप आदि से पूजा करें। मिष्ठान आदि का भोग लगाएं एवं अनंत भगवान का ध्यान करते हुए सूत्र धारण करें। यह डोरा भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाला तथा अनंत फल देने वाला माना गया है। इस दिन श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करना बहुत उत्तम माना जाता है। भगवान विष्णु की कृपा के लिए श्री सत्यनारायण की कथा करना बहुत लाभकारी है।

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14 गांठ वाले धागे का महत्व

अनंत चतुर्दशी की पूजा में सूत्र का बड़ा महत्व है। यह अनंत सूत्र शुद्ध रेशम या कपास के सूत के धागे को हल्दी में भिगोकर 14 गांठ लगाकर तैयार किया जाता है। इसे हाथ या गले में श्रीअनंत भगवान का ध्यान करते हुए धारण किया जाता है। हर गांठ में श्रीनारायण के विभिन्न नामों से पूजा की जाती है। पहले में अनंत,उसके बाद ऋषिकेश, पद्मनाभ, माधव, वैकुण्ठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर और गोविन्द की पूजा होती है। मान्यता है कि इस अनंत सूत्र को बांधने से व्यक्ति प्रत्येक कष्ट से दूर रहता है। जो मनुष्य विधिपूर्वक इस दिन श्री हरि की पूजा करता है उसे सभी पापों से छुटकारा मिल जाता है। इस दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

अनंत सूत्र बांधने के नियम

व्रत रखने वाले पुरुष इसे दाहिने हाथ में और महिलाओं को अपने बाएं हाथ में बांधना चाहिए। इस दिन पूजा करते समय काले और नीले रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए। अनंतसूत्र को भगवान विष्णु की पूजा के बाद ही बांधा जाना चाहिए। अनंत सूत्र को बांधने वाले को दिन भर उपवास व्रत रखना चाहिए, इससे भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है। धार्मिक मान्यता है कि अनंत सूत्र बांधने के बाद चौदह दिनों तक तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए एवं इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। सूत्र बांधते समय ऊं अनंताय नमः मंत्र का जाप करें। मान्यता है कि इसे बांधने से आरोग्य का वरदान मिलता है साथ ही पिछले जन्म और वर्तमान जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं।

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