PANCHANG: 16 अक्टूबर 2024 का पंचांग………..शरद पूर्णिमा आज……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।

पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।

आज आश्विन माह शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी है। आज उत्तरभाद्रपदा नक्षत्र है। आज बुधवार है। आज राहुकाल 11:42से 13:09 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।

आज का पंचांग (अंबिकापुर)

दिनांक16 अक्टूबर 2024
दिवसबुधवार
माहआश्विन
पक्षशुक्ल
तिथिचतुर्दशी
सूर्योदय05:55:42
सूर्यास्त17:29:17
करणगर
नक्षत्रउत्तरभाद्रपदा
सूर्य राशिकन्या
चन्द्र राशिमीन

मुहूर्त (अंबिकापुर)

शुभ मुहूर्त- अभिजित आज अभिजीत नहीं है।
राहुकाल 11:42से 13:09 तक

शरद पूर्णिमा हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, जिसे रास पूर्णिमा और कोजागर पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन हर साल आश्विन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस वर्ष, तिथियों में अंतर होने के कारण यह पर्व 16 और 17 अक्तूबर दोनों दिन मनाया जा सकता है।

शरद पूर्णिमा 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त

इस वर्ष शरद पूर्णिमा 16 अक्तूबर को शाम 8 बजे से शुरू होकर 17 अक्तूबर की शाम 5 बजे तक रहेगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चूंकि इस पर्व को रात्रि में मनाया जाता है, इसलिए पूजा 16 अक्तूबर की रात को ही की जाएगी। इसके बाद, 17 अक्तूबर को शाम 5 बजे से कार्तिक माह की शुरुआत होगी।

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रवि योग का विशेष संयोग

शरद पूर्णिमा के दिन रवि योग का भी शुभ संयोग बन रहा है। यह योग सुबह 6:23 से शाम 7:18 बजे तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में इसे अत्यंत शुभ माना गया है और इसे किसी भी शुभ कार्य के लिए उत्तम माना जाता है।

शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी समस्त 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है, और उसकी किरणों में अमृत तत्व का संचार होता है। इस दिन रात को खुले आसमान के नीचे खीर रखने और सुबह इसका सेवन करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण होते हैं, जो सेहत के लिए लाभदायक होते हैं।

देवी लक्ष्मी और शरद पूर्णिमा का संबंध

एक अन्य मान्यता के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन ही माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था, और इस अवसर पर देवी लक्ष्मी की पूजा करने से वे प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। इसे कोजागर पूर्णिमा भी कहा जाता है, क्योंकि मान्यता है कि देवी लक्ष्मी इस रात पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जागते हुए भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।

भगवान श्रीकृष्ण और महारास की मान्यता

कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात को भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन में गोपियों के संग महारास रचाया था। इस कारण इस पर्व को रास पूर्णिमा भी कहा जाता है, और इसे प्रेम और भक्ति का प्रतीक माना जाता है।

स्नान, दान-पुण्य और पूजा का महत्व

शरद पूर्णिमा पर गंगा स्नान, दान-पुण्य, और विशेष पूजा का भी महत्व है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान से पवित्रता और भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही, चंद्रमा और लक्ष्मी माता की पूजा करने से धन-धान्य की वृद्धि होती है। भक्तों को इस दिन श्रीसूक्त, विष्णुसहस्त्रनाम, और कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

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सारांश

इस प्रकार, शरद पूर्णिमा का पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह स्वास्थ्य और मन की शांति का भी प्रतीक है। इस दिन की पूजा और मान्यताओं का पालन करने से सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।

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