PANCHANG: 16 जुलाई 2024 का पंचांग……..आषाढ़ पूर्णिमा कब है ?………….जानें तिथि पूजा विधि और उपाय.………पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।

पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।

आज आषाढ़ माह शुक्ल पक्ष की दशमी है। आज विशाखा नक्षत्र है। आज मंगलवार है। आज राहुकाल 15:24 से 17:04 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।

आज का पंचांग (अंबिकापुर)

दिनांक16 जुलाई 2024
दिवसमंगलवार
माहआषाढ़
पक्षशुक्ल
तिथिदशमी
सूर्योदय05:22:16
सूर्यास्त18:44:16
करणगर
नक्षत्रविशाखा
सूर्य राशिमिथुन
चन्द्र राशितुला

मुहूर्त (अंबिकापुर)

शुभ मुहूर्त- अभिजीत 11:37 से 12:30 तक
राहुकाल 15:24 से 17:04 तक

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि ‘आषाढ़ पूर्णिमा’ कहलाती है। सभी माह की पूर्णिमा में आषाढ़ पूर्णिमा को सबसे खास माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था, इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। मान्यता है कि महर्षि वेद व्यास को संसार का पहला गुरु माना जाता है। उनका हिंदू धर्म की संस्कृति में काफी खास योगदान रहा है। इस तिथि पर अपने देवी- देवताओं के साथ-साथ गुरूओं की पूजा करना बेहद शुभ होता है।

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इस साल 21 जुलाई 2024 को आषाढ़ पूर्णिमा मनाई जाएगी। इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ कुछ खास उपाय भी किए जाते हैं, जो जीवन में सुख-समृद्धि को बढ़ाते हैं। इसी कड़ी में आइए जान लेते हैं कि आषाढ़ पूर्णिमा के दिन किन उपायों को करना चाहिए। 

आषाढ़ पूर्णिमा 2024 

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 20 जुलाई को शाम 05 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी। इसका समापन 21 जुलाई, 2024 को दोपहर 3 बजकर 46 मिनट पर होगा। ऐसे में आषाढ़ पूर्णिमा 21 जुलाई 2024 को मनाई जाएगी। इस दौरान चंद्रोदय का समय शाम 6 बजकर 47 मिनट पर है।

आषाढ़ पूर्णिमा पूजा विधि

आषाढ़ पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करना चाहिए। इससे जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इसके बाद सूर्यदेव को जल चढ़ाएं। फिर लक्ष्मी जी और भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा में चंदन और हल्दी का उपयोग करना शुभ होता है। इस दौरान ‘ऊं नमोः भगवते वासुदेवाय नमः’के मंत्र का 108 बार जाप करें। इसके बाद शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य दें। इससे जीवन में हमेशा खुशहाली बनी रहती है। 

चंद्र दोष उपाय

  • अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा का दोष है, तो उसे आषाढ़ पूर्णिमा पर चंद्र देव की पूजा करनी चाहिए। पूजा में बीज मंत्र का जाप करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है और लाभ के योग बनते हैं।
  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा पर जरूरतमंदो को दान करना चाहिए। इस दौरान सफेद वस्त्र, चावल, शक्कर, दूध, सफेद मिठाई, चांदी, मोती आदि का दान कर सकते हैं।
  • आषाढ़ पूर्णिमा के दिन पूजा में मां लक्ष्मी ‘ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:’मंत्र का जप करें। माना जताा है कि इससे उनकी कृपा बनी रहती है।
  • इस दौरान आप केसर, मखाना और सूखे मेवे की खीर बनाएं। इसके बाद विष्णु जी और मां लक्ष्मी को उसका भोग लगाएं। माना जाता है कि इससे जीवन में सकारात्मकता बनी रहती है।
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चंद्र मंत्र

ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।।

चंद्र बीज मंत्र

ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।।

चंद्र देव को नमस्कार करने का मंत्र

दधिशंख तुषाराभं क्षीरॊदार्णव संभवम्।
नमामि शशिनं सॊमं शम्भोर्मकुट भूषणम्॥

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