PANCHANG: 13 अक्टूबर 2024 का पंचांग………..जानिए कब होगा छठ महापर्व का शुभारंभ……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।
पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।
आज आश्विन माह शुक्ल पक्ष की एकादशी है। आज घनिष्ठा नक्षत्र है। आज रविवार है। आज राहुकाल 16:05 से 17:32 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 13 अक्टूबर 2024 |
दिवस | रविवार |
माह | आश्विन |
पक्ष | शुक्ल |
तिथि | एकादशी |
सूर्योदय | 05:54:27 |
सूर्यास्त | 17:31:53 |
करण | गर |
नक्षत्र | घनिष्ठा |
सूर्य राशि | कन्या |
चन्द्र राशि | मकर |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजित | 11:20 से 12:06 तक |
राहुकाल | 16:05 से 17:32 तक |
छठ पूजा हर साल पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह चार दिवसीय महापर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से शुरू होता है। इस पर्व में महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं और संतान की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं। छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की विधि-विधान से पूजा करने की परंपरा है। खासतौर पर यह पर्व बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
छठ पूजा 2024: तिथियां और पंचांग
- षष्ठी तिथि का प्रारंभ: 07 नवंबर, 12:41 ए.एम.
- षष्ठी तिथि समाप्त: 08 नवंबर, 12:34 ए.एम.
छठ पूजा कैलेंडर 2024
- नहाय खाय: 05 नवंबर 2024
- खरना: 06 नवंबर 2024
- शाम का अर्घ्य: 07 नवंबर 2024
- सुबह का अर्घ्य: 08 नवंबर 2024
छठ पूजा का महत्व और विधि
छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है। इस दिन नदी या जलाशय में स्नान का विशेष महत्व है, जिसके बाद महिलाएं दिन में एक बार भोजन करती हैं। पर्व के दूसरे दिन खरना मनाया जाता है, जिसमें सूर्योदय से सूर्यास्त तक निर्जला व्रत रखा जाता है।
- तीसरे दिन: डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
- चौथे और अंतिम दिन: महिलाएं उगते सूर्य को अर्घ्य देती हैं और शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करती हैं।
पूजा के दौरान सावधानियां
- झूठे हाथ से बर्तन या पूजन सामग्री को छूने से व्रत खंडित हो सकता है, इसलिए विशेष ध्यान रखें।
- महापर्व के दौरान सात्विक भोजन का ही सेवन करना चाहिए।
- पहले से उपयोग किए गए बर्तनों का पूजा में प्रयोग वर्जित है।
छठ पूजा का यह महापर्व न केवल आस्था और समर्पण का प्रतीक है, बल्कि परिवार और समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है। इस पर्व में सूर्य देव की आराधना कर सभी सुख-संपत्ति और स्वास्थ्य की कामना की जाती है।.