PANCHANG: 12 अक्टूबर 2024 का पंचांग………..बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक पर्व दशहरा आज……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।
पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।
आज आश्विन माह शुक्ल पक्ष की दशमी है। आज श्रवण नक्षत्र है। आज शनिवार है। आज राहुकाल 08:49 से 10:16 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 12 अक्टूबर 2024 |
दिवस | शनिवार |
माह | आश्विन |
पक्ष | शुक्ल |
तिथि | दशमी |
सूर्योदय | 05:54:02 |
सूर्यास्त | 17:32:46 |
करण | तैतुल |
नक्षत्र | श्रवण |
सूर्य राशि | कन्या |
चन्द्र राशि | मकर |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजित | 11:20 से 12:07 तक |
राहुकाल | 08:49 से 10:16 तक |
दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, हर वर्ष शारदीय नवरात्रि के समापन के साथ दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। हिंदू धर्म के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीराम ने लंकापति रावण का वध कर विजय प्राप्त की थी। आइए जानते हैं इस वर्ष दशहरे की तिथि, रावण दहन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस पर्व से जुड़ी मान्यताएं।
दशहरा तिथि 2024
इस वर्ष दशहरा आज 12 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। वैदिक पंचांग के अनुसार, दशमी तिथि 12 अक्टूबर को सुबह 10:57 बजे से शुरू होकर 13 अक्टूबर को सुबह 09:07 बजे समाप्त होगी। इसी दौरान दशहरा पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा।
रावण दहन का शुभ मुहूर्त 2024
विजयादशमी पर रावण दहन को प्रदोष काल में करना सबसे शुभ माना जाता है। आज 12 अक्टूबर को रावण दहन का शुभ मुहूर्त शाम 5:52 बजे से 7:26 बजे तक है। इस समय में रावण के साथ मेघनाथ और कुंभकरण के पुतलों का भी दहन किया जाता है।
दशहरे के शुभ योग
2024 में दशहरा पर तीन विशेष शुभ योग बन रहे हैं – सर्वार्थसिद्धि योग, रवियोग, और श्रवण नक्षत्र। इन योगों में किए गए शुभ कार्य अत्यधिक फलदायक होते हैं।
- सर्वार्थसिद्धि योग: 12 अक्टूबर सुबह 5:25 बजे से 13 अक्टूबर सुबह 4:27 बजे तक।
- रवियोग: 12 अक्टूबर सुबह 6:20 बजे से 13 अक्टूबर सुबह 6:21 बजे तक रहेगा।
अबूझ मुहूर्त का महत्व
दशहरा को एक अबूझ मुहूर्त माना जाता है, जिसमें किसी भी शुभ कार्य को बिना विशेष मुहूर्त के शुरू किया जा सकता है। इस दिन व्यापार, खरीदारी, भूमिपूजन, और गृहप्रवेश जैसे मांगलिक कार्य करने का विशेष महत्व है।
विजयादशमी के ज्योतिषीय उपाय
विजयादशमी पर कुछ खास उपाय किए जाते हैं, जो काफी लाभकारी माने जाते हैं। भगवान श्रीराम, देवी दुर्गा, मां लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश और हनुमान जी की पूजा विशेष फलदायक मानी जाती है। इसके अलावा श्रीयंत्र की पूजा करने से धन की तंगी दूर हो सकती है।
- रावण दहन के बाद: रावण के पुतले की जली हुई लकड़ी घर लाना शुभ माना जाता है।
- नीलकंठ के दर्शन: इस दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन को भी शुभ संकेत माना जाता है।
दशहरा पूजा विधि
दशहरे की पूजा दोपहर में करना उत्तम रहता है। इस दिन शस्त्र पूजा और शमी वृक्ष का पूजन करने का विशेष महत्व है। पूजा में गोबर से षट्कोणीय आकृति बनाकर 9 गोले और 2 कटोरियों का उपयोग किया जाता है, जिसमें से एक में चांदी का सिक्का और दूसरी में रोली, चावल, जौ व फल रखे जाते हैं। इसके अलावा, दुर्गा सप्तशती का पाठ और हवन करना अत्यंत शुभ होता है।
क्यों मनाया जाता है दशहरा?
दशहरे का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था और भगवान राम ने रावण का अंत कर लंका पर विजय प्राप्त की थी। इस पर्व पर किए गए कार्यों में सफलता की प्रबल संभावना होती है, इसलिए इसे शुभ कार्यों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।