PANCHANG: 12 अगस्त 2024 का पंचांग……….कब है वरलक्ष्मी व्रत ?……………… जानें तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि…………..पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत
पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।
पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।
आज श्रावण माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी है। आज विशाखा नक्षत्र है। आज सोमवार है। आज राहुकाल 07:11 से 08:48 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 12 अगस्त 2024 |
दिवस | सोमवार |
माह | श्रावण |
पक्ष | शुक्ल |
तिथि | अष्टमी |
सूर्योदय | 05:33:35 |
सूर्यास्त | 18:30:28 |
करण | विष्टि भद्र |
नक्षत्र | विशाखा |
सूर्य राशि | कर्क |
चन्द्र राशि | तुला |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजीत | 11:36 से 12:28 तक |
राहुकाल | 07:11 से 08:48 तक |
सावन के आखिरी शुक्रवार को रखा जाने वाला वरलक्ष्मी व्रत बहुत विशेष माना जाता है। वरलक्ष्मी अर्थात वर देने वाली लक्ष्मी। मान्यता है कि जो लोग वरलक्ष्मी व्रत रखकर धन की देवी की पूजा करते हैं उन्हें सालभर धन की कमी नहीं होती। हिन्दू धर्म की सभी विवाहित महिलाएं इस दिन वरलक्ष्मी व्रत करती है और मां वरलक्ष्मी की पूजा की जाती है। वरलक्ष्मी में वर का अर्थ वरदान देने वाली से है। इस बार वरलक्ष्मी व्रत 16 अगस्त 2024 को रखा जाएगा। मान्यता है कि यह व्रत श्रावण मास के अंतिम शुक्रवार को किया जाता है। इस व्रत को करने से भक्तों की दरिद्रता दूर होती है और उन पर माता रानी की कृपा होती है। इस वरलक्ष्मी के व्रत को अधिकतर दक्षिणी भारत के लोग मानते है। इस दिन विवाहित महिलाएं इस व्रत को करती हैं। आइए जानते हैं सावन में वरलक्ष्मी व्रत की तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व।
वरलक्ष्मी व्रत तिथि
वरलक्ष्मी व्रत 16 अगस्त 2024 को सावन के आखिरी शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। इस दिन एकादशी तिथि भी है। मान्यता है कि जो भी जातक वरलक्ष्मी व्रत रखता है उसके शुभ प्रभाव से व्यक्ति के जीवन से दरिद्रता दूर हो जाती है। उसकी आने वाल पीढ़ी भी सुखमय जीवन बिताती हैं।
वरलक्ष्मी व्रत 2024 मुहूर्त
- सिंह लग्न पूजा मुहूर्त: प्रातः 05:57 – प्रातः 08:14 (अवधि – 02 घण्टे 17 मिनट)
- वृश्चिक लग्न पूजा मुहूर्त: दोपहर 12:50 – दोपहर 03:08 (अवधि – 02 घण्टे 19 मिनट)
- कुंभ लग्न पूजा मुहूर्त: सायं 06:55 – रात 08:22 (अवधि – 01 घण्टा 27 मिनट)
- वृषभ लग्न पूजा मुहूर्त: रात्रि 11:22 – प्रात: 01:18, अगस्त 17 (अवधि – 01 घण्टा 56 मिनट)
वरलक्ष्मी व्रत का महत्व
वरलक्ष्मी व्रत मां लक्ष्मी को समर्पित व्रत है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी लक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी हैं। हालांकि, वरलक्ष्मी व्रत के उत्सव के रूप में पारंपरिक रूप से कुछ अनुष्ठान किए जाते हैं, लेकिन मुख्य रूप से इस पर्व की आध्यात्मिकता पर ध्यान देना चाहिए। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी लक्ष्मी उर्वरता, उदारता, प्रकाश, ज्ञान, धन और भाग्य की संरक्षक देवी हैं। महिलाएं देवी से स्वस्थ संतान और अपने पति के लिए लंबी आयु का आशीर्वाद मांगती हैं। महिलाएं वरलक्ष्मी व्रत मनाती हैं, जो मुख्य रूप से महिलाओं का उत्सव है। मान्यता है कि शुक्रवार मां लक्ष्मी को समर्पित है लेकिन सावन में आने वाला आखिरी शुक्रवार देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इस दिन देवी वरलक्ष्मी की पूजा करने से करने से अचल संपत्ति प्राप्त होती है।
वरलक्ष्मी व्रत पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर नित्य क्रिया से निवृत होकर स्नान करें।
- अब पूजा स्थल को शुद्ध करने के लिए स्थान पर गंगाजल छिड़कें।
- अब मां वरलक्ष्मी का शयन करते हुए व्रत रखने का संकल्प लें।
- इसके बाद लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का साफ वस्त्र बिछाकर मां लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- तस्वीर के बगल में थोड़े से चावल रखें और उसके ऊपर एक कलश में जल भर दें।
- इसके बाद पूजन करते समय श्री गणेश को पुष्प, दूर्वा, नारियल, चंदन, हल्दी, कुमकुम, माला अर्पित करें।
- मां वरलक्ष्मी को सोलह श्रृंगार अर्पित करें।
- अब मिठाई का भोग लगाएं।
- इसके बाद धूप और घी का दीपक जलाकर मंत्र पढ़ लें।
- पूजा के बाद वरलक्ष्मी व्रत कथा का पाठ करें।
- अंत में आरती करके सभी के बीच प्रसाद का वितरण कर दें।
वरलक्ष्मी पूजा सामग्री
मां वरलक्ष्मी की पूजा करने से पहले नारियल, चंदन, हल्दी, कुमकुम, कलश, लाल वस्त्र, अक्षत, फल, फूल, दूर्वा, दीप, धूपस माला, हल्दी, मौली, दर्पण, कंघा, आम के पत्ते, पान के पत्ते, दही, केले, पंचामृत, कपूर दूध और जल एकत्रित कर लें।
वरलक्ष्मी व्रत का दान
माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए सावन महीने के आखिरी शुक्रवार को गुड़, तिल, चावल, खीर, केसर, हल्दी, नमक और जरुरतमंद लोगों को कपड़ों का दान करना चाहिए। इसके साथ ही गाय का पूजन करें और चारा खिलाएं।