PANCHANG: 11 अक्टूबर 2024 का पंचांग………..आज नवरात्रि का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री को है समर्पित……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।

पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।

आज आश्विन माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी है। आज उत्तराषाढ़ा नक्षत्र है। आज शुक्रवार है। आज राहुकाल 10:16 से 11:44 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।

आज का पंचांग (अंबिकापुर)

दिनांक11 अक्टूबर 2024
दिवसशुक्रवार
माहआश्विन
पक्षशुक्ल
तिथिअष्टमी
सूर्योदय05:53:39
सूर्यास्त17:33:40
करणबव
नक्षत्रउत्तराषाढ़ा
सूर्य राशिकन्या
चन्द्र राशिधनु

मुहूर्त (अंबिकापुर)

शुभ मुहूर्त- अभिजित 11:20 से 12:07 तक
राहुकाल 10:16 से 11:44 तक

मां दुर्गा को समर्पित नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि का समापन आज 11 अक्तूबर 2024 को नवमी के दिन होगा और कल 12 अक्तूबर को दुर्गा विसर्जन किया जाएगा। माना जाता है कि दिन के अनुसार देवी की पूजा करने और आरती गाने से माता रानी प्रसन्न होती हैं और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती हैं। नवरात्रि में नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।

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महानवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा का महत्व

नवरात्रि का नौवां दिन, जिसे महानवमी कहा जाता है, देवी दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री को समर्पित होता है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा विशेष रूप से की जाती है, जिनका नाम ही सिद्धियों की दात्री होने का प्रतीक है। माना जाता है कि उनके आशीर्वाद से सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है और व्यक्ति भय व रोगों से मुक्त हो जाता है। नवरात्रि के अंतिम दिन मां की कृपा प्राप्त करने के लिए श्रद्धालु विशेष विधि-विधान से पूजा करते हैं और आरती गाते हैं।

मां सिद्धिदात्री कौन हैं?

मां सिद्धिदात्री देवी दुर्गा का नौवां रूप हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां सिद्धिदात्री के आशीर्वाद से भक्त को आध्यात्मिक और भौतिक दोनों प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। वे सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं, जिनमें से 18 मुख्य सिद्धियां मानी जाती हैं। इन सिद्धियों से व्यक्ति को अद्वितीय शक्ति, ज्ञान, और सफलता मिलती है। मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली देवी हैं और वे कमल के पुष्प पर विराजमान होती हैं। उनके हाथों में गदा, शंख, चक्र और कमल होता है, जो शक्ति, धैर्य, ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक है।

महानवमी का महत्व

महानवमी नवरात्रि का अंतिम दिन होता है और इसे विशेष रूप से मां सिद्धिदात्री की पूजा के लिए जाना जाता है। इस दिन भक्त उपवास करते हैं, हवन और पूजा का आयोजन करते हैं और मां सिद्धिदात्री का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। नवरात्रि के दौरान जो भी व्रत और साधना की जाती है, उसका पूर्ण फल महानवमी के दिन मां की पूजा से मिलता है। यह दिन सुख-समृद्धि, मानसिक शांति, और स्वास्थ्य के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।

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नवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि

महानवमी के दिन भक्त प्रातः काल उठकर स्नानादि कर मां सिद्धिदात्री की प्रतिमा या तस्वीर के सामने दीपक जलाते हैं। इसके बाद धूप-दीप, फूल, नारियल, मिठाई, और फल अर्पित कर पूजा की जाती है। मां को लाल रंग की वस्त्र और चुनरी चढ़ाई जाती है। पूजा के बाद हवन किया जाता है, जिसमें देवी का आह्वान कर आशीर्वाद मांगा जाता है। हवन के दौरान भक्त देवी की विशेष मंत्रों का जाप करते हैं।

मां सिद्धिदात्री की आरती

महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की आरती का विशेष महत्व होता है। यह आरती मां की कृपा प्राप्त करने का सरल और सशक्त माध्यम मानी जाती है। आरती के दौरान भक्त देवी के सामने दीप जलाते हैं और उनकी स्तुति करते हैं। यहां मां सिद्धिदात्री की आरती का एक अंश प्रस्तुत है:

ॐ जय सिद्धिदात्री माता, जय सिद्धिदात्री माता।
तुमको निशदिन ध्यावत, हर विष्णु विधाता॥
ॐ जय सिद्धिदात्री माता…
ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी॥
ॐ जय सिद्धिदात्री माता…
चन्द्रकला महिमा धारी, इंद्रध्वज फहरी।
तुम शुंभनिशुंभ संहारी, महिषासुर घातिनि॥
ॐ जय सिद्धिदात्री माता…
जिस घर में तुम रहतीं, सब संपत्ति रहती।
जिस घर में तुम रहतीं, वहां शांति रहती॥
ॐ जय सिद्धिदात्री माता…

इस आरती के माध्यम से भक्त मां सिद्धिदात्री से कृपा की याचना करते हैं, जिससे उनके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहे।

दुर्गा विसर्जन और विजयादशमी

महानवमी के बाद, अगले दिन विजयादशमी (दशहरा) के रूप में मनाई जाती है। इस दिन मां दुर्गा की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। दुर्गा विसर्जन के साथ ही नवरात्रि का समापन होता है, और भक्त मां से अगले वर्ष फिर से आगमन की प्रार्थना करते हैं।

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