PANCHANG: 10 सितम्बर 2024 का पंचांग……….इस दिन से शुरू हो रहा है महालक्ष्मी व्रत……………..जानें पूजा विधि और महत्व………….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत
पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।
पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।
आज भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष की सप्तमी है। आज अनुराधा नक्षत्र है। आज मंगलवार है। आज राहुकाल 14:59 से 16:32 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 10 सितम्बर 2024 |
दिवस | मंगलवार |
माह | भाद्रपद |
पक्ष | शुक्ल |
तिथि | सप्तमी |
सूर्योदय | 05:43:05 |
सूर्यास्त | 18:05:21 |
करण | गर |
नक्षत्र | अनुराधा |
सूर्य राशि | सिंह |
चन्द्र राशि | वृश्चिक |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजीत | 11:29 से 12:19 तक |
राहुकाल | 14:59 से 16:32 तक |
वैसे तो रोजाना घरों में मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। लेकिन विशेष कृपा प्राप्ति के लिए महालक्ष्मी व्रत को सबसे खास माना गया है। हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत होती है, जिसका समापन अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर किया जाता है। धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित ये व्रत 16 दिन तक चलते हैं। इस अवधि में माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन, भाग्य, समृद्धि, सौंदर्य और शक्ति में वृद्धि होती है। इस दौरान महिलाएं वैवाहिक जीवन में खुशहाली के लिए उपवास करती है। इस बार महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत 11 सितंबर से हो रही है, इसका समापन 24 सितंबर 2024 को होगा। इस दौरान देवी की आराधना करने से जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। साथ ही धन संबंधित समस्याओं का निवारण होने लगता है। ऐसे में आइए महालक्ष्मी की पूजा विधि से लेकर व्रत नियमों के बारे में जानते हैं।
महालक्ष्मी व्रत 2024 तिथि
पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 10 सितंबर को रात 11 बजकर 11 मिनट पर होगी। इसका समापन 11 सितंबर को रात 11 बजकर 46 मिनट होगा। उदयातिथि के अनुसार 11 सितंबर 2024 को महालक्ष्मी व्रत रखा जाएगा। वहीं, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 सितंबर को पड़ रही है। ऐसे में इस दिन व्रत का समापन होगा।
महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि
महालक्ष्मी व्रत के इन दिनों में सुबह सूर्योदय से पहले ही स्नान कर लेना चाहिए। फिर पूजा की सभी सामग्रियों को एकत्रित कर लें। इसके बाद चौकी लगाएं और उसपर मां महालक्ष्मी की मूर्ति को स्थापित कर दें। अब माता को चुनरी चढ़ाएं और धीरे-धीरे सुपारी नारियल, चंदन, पुष्प, अक्षत, फल समेत सभी चीजें अर्पित करते जाए। इसके बाद आप मां लक्ष्मी को सोलह श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं। इस दौरान एक कलश में साफ जल को भरें और उस पर नारियल रखकर माता लक्ष्मी के पास रख दें। इसके बाद घी का दीपक जलाएं। अब महालक्ष्मी आरती करें और पूजा में हुई गलती की माफी मांगें।
महालक्ष्मी व्रत पूजन सामग्री लिस्ट
महालक्ष्मी व्रत की पूजा के लिए आप नारियल, कलश, कपूर, घी, दीपक और अगरबत्ती को एकत्रित कर लें। इस दौरान सामग्री सूची में धूपबत्ती, सुपारी फूल, और 16 श्रृंगार के सामानों को भी रखें।
व्रत नियम
- महालक्ष्मी व्रत रखने वालों को 16 दिनों तक तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दौरान घर की पवित्रता का भी ध्यान रखें।
- इस व्रत में 16 दिनों तक लगातार मां लक्ष्मी की सुबह-शाम पूरे विधि विधान से पूजा करें।
- महालक्ष्मी व्रत के दिनों में व्रत करने वालों को बाएं हाथ में सोलह गांठों वाली स्ट्रिंग पहननी होती है।
- व्रत अवधि के दौरान खट्टी चीजों का सेवन न करें।
- धन की देवी मां लक्ष्मी जी की पूजा के पश्चात् सोलह दूर्वा घास की गांठ को पानी में डुबोकर शरीर पर छिड़कना चाहिए। ऐसा करना शुभ होता है।
महालक्ष्मी व्रत महत्व
महालक्ष्मी व्रत धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित है। ये उपवास सोलह दिनों तक लगातार रखने की परंपरा हैं। मान्यता है कि ये व्रत रखने से व्यक्ति के धन धान्य में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन की सभी मुश्किलें दूर होने लगती है। इस दौरान मां लक्ष्मी की प्रिय वस्तुएं अर्पित करने से व्यापार में उन्नति को योग भी बनते हैं।