PANCHANG: 10 अक्टूबर 2024 का पंचांग………..आज नवरात्रि का आठवां दिन मां महागौरी को है समर्पित……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।

पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।

आज आश्विन माह शुक्ल पक्ष की सप्तमी है। आज पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र है। आज गुरुवार है। आज राहुकाल 13:12 से 14:39 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।

आज का पंचांग (अंबिकापुर)

दिनांक10 अक्टूबर 2024
दिवसगुरुवार
माहआश्विन
पक्षशुक्ल
तिथिसप्तमी
सूर्योदय05:53:15
सूर्यास्त17:34:34
करणवणिज
नक्षत्रपूर्वाषाढ़ा
सूर्य राशिकन्या
चन्द्र राशिधनु

मुहूर्त (अंबिकापुर)

शुभ मुहूर्त- अभिजित 11:21 से 12:07 तक
राहुकाल 13:12 से 14:39 तक

आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है, जिसका समापन नवमी तिथि पर किया जाता है। इस बार 3 अक्तूबर 2024 से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है, और आज इसका आठवां दिन है। नवरात्रि के आठवें दिन को महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी भी कहा जाता है। इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा की जाती है। वह भगवान शिव की अर्धांगिनी है, इसलिए उनकी उपासना से महादेव का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इस दौरान कुछ लोग कन्या पूजन भी करते हैं।

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मान्यताओं के अनुसार कन्या पूजन करने से परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है। साथ ही साधक पर मां दुर्गा की कृपा बनी रहती है। इस दौरान देवी की पूजा में आरती करना अति शुभ होता है। इससे पूजा का संपूर्ण फल मिलता है। ऐसे में आइए मां महागौरी की आरती के बारे में जानते हैं।

महागौरी की आरती

जय महागौरी जगत की माया ।
जय उमा भवानी जय महामाया ॥
हरिद्वार कनखल के पासा ।
महागौरी तेरा वहा निवास ॥
चंदेर्काली और ममता अम्बे
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे ॥
भीमा देवी विमला माता
कोशकी देवी जग विखियाता ॥
हिमाचल के घर गोरी रूप तेरा
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ॥
सती ‘सत’ हवं कुंड मै था जलाया
उसी धुएं ने रूप काली बनाया ॥
बना धर्म सिंह जो सवारी मै आया
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ॥
तभी मां ने महागौरी नाम पाया
शरण आने वाले का संकट मिटाया ॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता
माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ॥
‘चमन’ बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो
महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो ॥

स्तुति मंत्र

श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

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