PANCHANG: 09 अक्टूबर 2024 का पंचांग………..आज नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि को है समर्पित……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।

पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।

आज आश्विन माह शुक्ल पक्ष की षष्ठी है। आज मूल नक्षत्र है। आज बुधवार है। आज राहुकाल 11:44 से 13:12 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।

आज का पंचांग (अंबिकापुर)

दिनांक09 अक्टूबर 2024
दिवसबुधवार
माहआश्विन
पक्षशुक्ल
तिथिषष्ठी
सूर्योदय05:52:52
सूर्यास्त17:35:30
करणतैतुल
नक्षत्रमूल
सूर्य राशिकन्या
चन्द्र राशिधनु

मुहूर्त (अंबिकापुर)

शुभ मुहूर्त- अभिजित आज अभिजीत नहीं है।
राहुकाल 11:44 से 13:12 तक


3 अक्तूबर 2024 से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है, इसका समापन 11 अक्तूबर 2024 को नवमी पर होगा। वहीं 12 अक्तूबर को दशहरा मनाया जाएगा। आश्विन माह के ये नौ दिन मां दुर्गा की पूजा को समर्पित है। इस दौरान माता रानी के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिसमें सातवां रूप माता कालरात्रि का है। बता दें नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है। उनकी आराधना से सभी बुरी शक्तियां दूर रहती हैं।

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी दुर्गा के इस स्वरूप से सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं। ये भी कहा जाता है कि देवी दुर्गा ने असुर रक्तबीज का वध करने के लिए कालरात्रि को अपने तेज से उत्पन्न किया था। उनका वाहन गर्दभ यानी गधा है। कहते हैं कि जो साधक सच्चे भाव से देवी की पूजा अर्चना करता है माता कालरात्रि उसकी काल से रक्षा करती हैं। इस दौरान देवी की आराधना करने के लिए आप पूजा में इस आरती को शामिल कर सकते हैं। इससे माता प्रसन्न होंगी। आइए इसके बारे में जानते हैं।

मां कालरात्रि का मंत्र

ॐ कालरात्र्यै नम:।
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्ति हारिणि।
जय सार्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तुते॥
ॐ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी।
एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ॐ।।

मां कालरात्रि आरती

कालरात्रि जय-जय-महाकाली ।
काल के मुंह से बचाने वाली ॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा ।
महाचंडी तेरा अवतार ॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा ।
महाकाली है तेरा पसारा ॥
खडग खप्पर रखने वाली ।
दुष्टों का लहू चखने वाली ॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा ।
सब जगह देखूं तेरा नजारा ॥
सभी देवता सब नर-नारी ।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी ॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा ।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना ॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी ।
ना कोई गम ना संकट भारी ॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें ।
महाकाली मां जिसे बचाबे ॥
तू भी भक्त प्रेम से कह ।
कालरात्रि मां तेरी जय ॥

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