PANCHANG: 09 नवंबर 2023 का पंचांग………कार्तिक महीने में कब है भानु सप्तमी?………. जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं।
आज कार्तिक माह कृष्ण पक्ष की एकादशी है व उत्तरफाल्गुनी नक्षत्र है। आज गुरुवार है। आज राहुकाल 13:04 से 14:27 तक तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 09 नवंबर 2021 |
दिवस | गुरुवार |
माह | कार्तिक |
पक्ष | कृष्ण पक्ष |
तिथि | एकादशी |
सूर्योदय | 06:07:49 |
सूर्यास्त | 17:13:50 |
करण | बालव |
नक्षत्र | उत्तरफाल्गुनी |
सूर्य राशि | तुला |
चन्द्र राशि | कन्या |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजीत | 11:19 से 12:03 तक |
राहुकाल | 13:04 से 14:27 तक |
हर महीने शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को भानु सप्तमी मनाई जाती है। तदनुसार, कार्तिक महीने में 19 नवंबर को भानु सप्तमी है। इसे रथ सप्तमी और अचला सप्तमी भी कहा जाता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही पूजा, जप-तप और दान किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि सूर्य देव की उपासना करने से साधक को करियर और कारोबार में मन मुताबिक सफलता मिलती है। साथ ही शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। अगर आप भी सूर्य देव का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो भानु सप्तमी पर विधि-विधान से सूर्य देव की पूजा-उपासना करें। आइए, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व जानते है-
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 19 नवंबर को सुबह 07 बजकर 23 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 20 नवंबर को सुबह 05 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी। अतः 19 नवंबर को भानु सप्तमी मनाई जाएगी। इस दिन लोक आस्था का महापर्व छठ है। यह पर्व बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वी भागों में मनाया जाता है।
पूजा विधि
भानु सप्तमी के दिन भगवान सूर्य की उपासना की जाती है। इस दिन ब्रह्म बेला में उठें। घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कार्यों से निवृत होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अगर सुविधा है, तो पवित्र नदी में स्नान करें। इस समय आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें। साथ ही पीले रंग का वस्त्र धारण करें। इसके पश्चात, सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इस समय सूर्य मंत्र का जाप करें-
इसी समय बहती जलधारा में काले तिल प्रवाहित करें। इसके बाद पंचोपचार कर विधिवत सूर्य देव की पूजा अर्चना करें। पूजा के समय सूर्य चालीसा और सूर्य कवच का पाठ करें। साथ ही भगवान सूर्य को पीले रंग का फूल, फूल और तिल, जौ अर्पित करें। अंत में आरती कर सुख-समृद्धि की कामना करें। सूर्य देव की कृपा पाने के लिए पूजा के अंत में आर्थिक स्थिति के अनुसार दान करें।
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