PANCHANG: 09 नवंबर 2024 का पंचांग………तुलसी विवाह 2024…………जानिए तिथि, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त………पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।
पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।
आज कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी है। आज श्रवण नक्षत्र है। आज शनिवार है। आज राहुकाल 08:55 से 10:18 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 09 नवंबर 2024 |
दिवस | शनिवार |
माह | कार्तिक |
पक्ष | शुक्ल |
तिथि | अष्टमी |
सूर्योदय | 06:08:20 |
सूर्यास्त | 17:13:30 |
करण | विष्टिभद्र |
नक्षत्र | श्रवण |
सूर्य राशि | तुला |
चन्द्र राशि | मकर |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजित | 11:19 से 12:03 तक |
राहुकाल | 08:55 से 10:18 तक |
हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का विशेष महत्व है और इसे मां लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। कार्तिक माह में तुलसी विवाह का आयोजन वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और खुशहाली लाने के उद्देश्य से किया जाता है। इस वर्ष तुलसी विवाह 12 और 13 नवंबर को मनाया जाएगा। जानिए तुलसी विवाह की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।
तुलसी विवाह तिथि 2024
कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 11 नवंबर को शाम 6:46 मिनट पर होगा और इसका समापन 12 नवंबर को दोपहर बाद 4:04 बजे होगा। इस तिथि पर तुलसी और शालिग्राम जी का विवाह विधिपूर्वक संपन्न किया जाता है। द्वादशी तिथि 12 नवंबर शाम 4:04 मिनट से 13 नवंबर दोपहर 1:01 बजे तक है। कई स्थानों पर द्वादशी तिथि पर भी तुलसी विवाह मनाने की परंपरा है।
तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त
- एकादशी मुहूर्त: 12 नवंबर की शाम 5:29 मिनट से लेकर 7:53 मिनट तक।
- द्वादशी मुहूर्त:
- लाभ-उन्नति मुहूर्त: सुबह 6:47 बजे से।
- अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त: सुबह 8:06 से 9:26 बजे तक।
- शुभ-उत्तम मुहूर्त: सुबह 10:46 से दोपहर 12:05 बजे तक।
तुलसी विवाह की पूजा विधि
- सजावट: पूजा के लिए लकड़ी की दो चौकियां लें और उन पर लाल कपड़ा बिछाकर तुलसी के गमले को गेरू से रंग दें। दूसरी चौकी पर भगवान शालिग्राम को स्थापित करें और दोनों चौकियों के ऊपर गन्ने से मंडप सजाएं।
- कलश स्थापना: एक कलश में जल भरें, उसमें पांच या सात आम के पत्ते डालें और पूजा स्थल पर स्थापित करें।
- पूजा प्रारंभ: शालिग्राम जी और माता तुलसी के सामने दीपक जलाएं और रोली-कुमकुम से तिलक करें। तुलसी माता को लाल चुनरी, चूड़ी और बिंदी अर्पित कर उनका श्रृंगार करें।
- परिक्रमा और आरती: शालिग्राम जी को चौकी सहित तुलसी के चारों ओर सात बार परिक्रमा कराएं। फिर दोनों की आरती उतारें और सुख-समृद्धि की कामना करें।
- प्रसाद वितरण: पूजा समाप्ति के बाद सभी को प्रसाद बांटें।
तुलसी विवाह का महत्व
तुलसी विवाह से वैवाहिक जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और इसे करने से कन्यादान के समान फल की प्राप्ति होती है।