PANCHANG: 09 अगस्त 2024 का पंचांग……….…नाग पंचमी का पावन पर्व है आज…………. नागचंद्रेश्वर मंदिर का पट खुला…………..यहाँ देखिये लाइव…………..पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।

पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।

आज श्रावण माह शुक्ल पक्ष की पंचमी है। आज हस्त नक्षत्र है। आज शुक्रवार है। आज राहुकाल 10:25 से 12:03 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।

आज का पंचांग (अंबिकापुर)

दिनांक09 अगस्त 2024
दिवसशुक्रवार
माहश्रावण
पक्षशुक्ल
तिथिपंचमी
सूर्योदय05:32:25
सूर्यास्त18:32:37
करणबव
नक्षत्रहस्त
सूर्य राशिकर्क
चन्द्र राशिकन्या

मुहूर्त (अंबिकापुर)

शुभ मुहूर्त- अभिजीत 11:37 से 12:29 तक
राहुकाल 10:25 से 12:03 तक

शास्त्रों के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागों की पूजा का विधान है। हिंदी पंचांग के अनुसार, नाग पंचमी तिथि की शुरुआत 08 अगस्त की मध्यरात्रि के बाद यानी 09 अगस्त को सुबह 12 बजकर 37 मिनट शुरू हो जाएगी। फिर इस तिथि का समापन 10 अगस्त को सुबह 3 बजकर 14 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार नाग पंचमी का पर्व 09 अगस्त को मनाया जाएगा। स्कन्द पुराण के अनुसार नाग पंचमी पर नागों की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। पुराणों में यक्ष, किन्नर और गन्धर्वों के वर्णन के साथ-साथ नागों का भी वर्णन मिलता है। भगवान विष्णु की शय्या की शोभा नागराज शेष बढ़ाते हैं। भगवान शिव के अलंकरण में वासुकी की महत्वपूर्ण भूमिका है। योगसिद्धि के लिए जो कुण्डलिनी शक्ति जागृत की जाती है, उसको सर्पिणी कहा जाता है।

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पुराणों में भगवान सूर्य के रथ में द्वादश नागों का उल्लेख मिलता है, जो क्रमश: प्रत्येक मास में उनके रथ के वाहक बनते हैं। इस प्रकार अन्य देवताओं ने भी नागों को धारण किया है। ज्योतिष मान्यता के अनुसार नाग पंचमी पर की जाने वाली पूजा से राहु-केतु के बुरे प्रभाव और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। जीवन में सुख, समृद्धि और सुरक्षा की प्राप्ति होती है।

नाग पंचमी का महत्व

नाग पंचमी का पर्व विशेष रूप से पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है। इसे लेकर मान्यता है कि नागों की पूजा से विषैले सर्पों से बचाव होता है और जीवन में उन्नति और समृद्धि आती है। भविष्य पुराण के अनुसार पंचमी तिथि नागों को अत्यंत प्रिय है और उन्हें आनंद देने वाली है। पंचमी तिथि को जो व्यक्ति नागों को दूध से स्नान कराता है,उसके कुल में वासुकि, तक्षक, कालिय, मणिभद्र, ऐरावत, धृतराष्ट, कर्कोटक तथा धनञ्जय ये सभी बड़े-बड़े नाग अभय दान देते हैं और उसके कुल में सर्प का भय नहीं रहता। मान्यता है कि यदि सुबह-शाम भागवत स्मरण के साथ अनन्त और वासुकि आदि पवित्र नागों का नामस्मरण भी किया जाता है, तो सर्वत्र विजय होती है।

पूजा विधि

इस दिन, श्रद्धालु प्रात:काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और द्वार के दोनों तरफ गोबर के नाग बनाएं। यदि ये संभव नहीं तो पूजा स्थल में एक सर्प की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। दही, दूध, दूर्वा, पुष्प, कुश, गंध, अक्षत और अनेक प्रकार के नैवेद्यों से नागों का पूजन करें। अब नाग देवता की आरती करें और वहीं बैठ कर नागपंचमी की कथा पढ़ें। इसके बाद नाग देवता से घर में सुख-शांति और सुरक्षा की प्रार्थना करें और ब्राह्मणों को भोजन कराए। ऐसा करने से पूजन करने वाले के कुल में कभी सर्पों का भय नहीं रहता है।जहां ‘ॐ कुरुकुल्ले फट स्वाहा’-यह मंत्र पढ़ा जाता है,वहां कोई सर्प नहीं आ सकता। इस दिन नाग देवता की पूजा के साथ भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। इस दिन रुद्राभिषेक कराने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है ।

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पूजा शुभ मुहूर्त

  • नाग पंचमी पर पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त- सुबह 05:47 मिनट से लेकर 08:27 मिनट तक।
  • नाग पंचमी पर दोपहर का शुभ मुहूर्त- दोपहर 12:13 मिनट से लेकर 1:00 बजे तक का।
  • नाग पंचमी पर प्रदोष काल में पूजा का शुभ मुहूर्त- शाम 06:33 मिनट से रात को 08:20 मिनट तक।

खुल गए श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट

महाकाल मंदिर के शिखर पर स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर के पट रात 12 बजे खोले गए। परंपरा अनुसार सबसे पहले श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से महंत विनीत गिरी महाराज ने मंदिर के द्वार खोले, जिसके बाद श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति के अध्यक्ष और कलेक्टर नीरज कुमार सिंह, एसपी प्रदीप शर्मा ने सबसे पहले यहां पर पूजन अर्चन किया। जिसके बाद श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर की दुर्लभ प्रतिमा के पास पहुंचे, जहां भी आपके द्वारा भगवान का विशेष पूजन अर्चन कर त्रिकाल पूजा की शुरुआत की गई। इस पूजन अर्चन और आरती के बाद आपने शिखर के नीचे विराजमान भगवान के शिवलिंग का भी पूजन अर्चन कर आरती कर भोग लगाया गया। जिसके बाद आम श्रद्धालुओं का मंदिर में प्रवेश शुरू हुआ। भगवान के दर्शन का यह सिलसिला अगले 24 घंटे यानी शुक्रवार रात 12 बजे तक चलता रहेगा। भगवान नागचंद्रेश्वर को कल शुक्रवार दोपहर में दाल बाटी का भोग लगाया जाएगा।

नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर लाइव

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