PANCHANG: 08 अगस्त 2024 का पंचांग……….…शुभ योग में सावन की विनायक चतुर्थी है आज…………..पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।

पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।

आज श्रावण माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है। आज उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र है। आज गुरूवार है। आज राहुकाल 13:40 से 15:18 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।

आज का पंचांग (अंबिकापुर)

दिनांक08 अगस्त 2024
दिवसगुरूवार
माहश्रावण
पक्षशुक्ल
तिथिचतुर्थी
सूर्योदय05:32:01
सूर्यास्त18:33:19
करणवणिज
नक्षत्रउत्तर फाल्गुनी
सूर्य राशिकर्क
चन्द्र राशिकन्या

मुहूर्त (अंबिकापुर)

शुभ मुहूर्त- अभिजीत 11:37 से 12:29 तक
राहुकाल 13:40 से 15:18 तक

हर माह में आने वाली विनायक चतुर्थी का अपना अलग महत्व होता है। लेकिन सावन माह में इसे सबसे खास माना जाता है। बता दें हर महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि विनायक चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। साथ ही हर कार्य में सफलता के योग बनते हैं। वहीं इस साल सावन माह में ये व्रत कल यानी 8 अगस्त को रखा जा रहा है। इस दिन शिव योग और रवि योग का निर्माण हो रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना जाता है। ऐसे में इस दिन उनकी पूजा करने पर ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है। साथ ही रुके हुए कार्यों को गति मिलती है। इसी कड़ी में आइए विनायक चतुर्थी की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से जान लेते हैं।

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शुभ मुहूर्त

सावन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 7 अगस्त को रात 10: 05 मिनट से होगी। इस तिथि का समापन 8 अगस्त, गुरुवार को देर रात 12 बजकर 36 मिनट पर होगा। ऐसे में सावन माह की विनायक चतुर्थी 8 अगस्त 2024 को है। इस दौरान पूजा का मुहूर्त: प्रातः 11: 07 मिनट से दोपहर 01: 46 मिनट तक है।

पूजा विधि

विनायक चतुर्थी के शुभ दिन पर कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है। ऐसे में गणेश जी की पूजा करना अति शुभ होगा। इस दौरान सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए। इसके बाद स्नान करें। फिर आप पूजा घर में चौकी लगाकर उसपर लाल या पीले रंग का साफ वस्त्र बिछाएं। चौकी पर गणेश भगवान को स्थापित करें। फिर धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें। इसके बाद पीले फूल अर्पित करें। अब गणेश जी के मंत्रों का जाप करें। अंत में आरती करते हुए भगवान से भूल चूक की क्षमा मांगे।

जरूर करें ये 3 उपाय

  • विनायक चतुर्थी पर एक लाल रंग के कपड़े में सुपारी रखें। इस सुपारी पर अक्षत और चंदन का तिलक लगाएं। फिर इसे लाल कपड़े बांधकर तिजोरी में रख दें। माना जाता है कि इससे धन से जुड़ी समस्याओं का समाधान होता है।
  • इस दौरान गणेश जी के ‘ॐ ग गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा’ मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे जीवन में सकारात्मकता बनी रहती हैं।
  • विनायक चतुर्थी के दिन आप शमी के पेड़ की पूजा करें। पूजा में भी आप शमी का पत्ता शामिल करें। ऐसा करने से जीवन में खुशहाली बनी रहती हैं।
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गणेशजी के प्रभावशाली मंत्र

  • वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
    निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
  • ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥
  • ऊँ गं गणपतये नमो नमः
  • ॐ गं गणपतये नमः
  • ॐ वक्रतुंडाय हुम्

गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

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