PANCHANG: 07 अक्टूबर 2024 का पंचांग………..आज नवरात्रि के पांचवें दिन करें देवी स्कंदमाता की पूजा……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।

पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।

आज आश्विन माह शुक्ल पक्ष की पंचमी है। आज अनुराधा नक्षत्र है। आज सोमवार है। आज राहुकाल 07:20 से 08:48 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।

आज का पंचांग (अंबिकापुर)

दिनांक07 अक्टूबर 2024
दिवससोमवार
माहआश्विन
पक्षशुक्ल
तिथिपंचमी
सूर्योदय05:52:07
सूर्यास्त17:37:21
करणबव
नक्षत्रअनुराधा
सूर्य राशिकन्या
चन्द्र राशिवृश्चिक

मुहूर्त (अंबिकापुर)

शुभ मुहूर्त- अभिजित 11:21 से 12:08 तक
राहुकाल 07:20 से 08:48 तक


शारदीय नवरात्रि का पांचवां दिन देवी स्कंदमाता की पूजा को समर्पित है। स्कंदमाता, भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता मानी जाती हैं, और उन्हें मातृत्व और शांति का प्रतीक माना जाता है। उनका स्वरूप अत्यंत शांति और सौम्यता से भरा हुआ है। देवी स्कंदमाता सफेद रंग को बहुत प्रिय मानती हैं, क्योंकि यह रंग सुख और शांति का प्रतीक है।

देवी स्कंदमाता का स्वरूप:

  • माता कमल के आसन पर विराजमान हैं, इस कारण उन्हें ‘पद्मासना देवी’ भी कहा जाता है।
  • उनका वाहन सिंह है, और उनकी चार भुजाएं हैं।
  • एक भुजा में भगवान स्कंद विराजमान हैं, जबकि अन्य भुजाओं में कमल के पुष्प और वरमुद्रा हैं।
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पूजा विधि:

  • पूजा स्थल पर स्कंदमाता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • फूल, फल और मिठाई अर्पित करें।
  • घी का दीया जलाकर आरती करें।
  • इस पूजा से माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और शुभ फल की प्राप्ति होती है।

भोग:

स्कंदमाता को केले का भोग अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे भक्तों को सौभाग्य और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

मंत्र:

देवी स्कंदमाता को प्रसन्न करने के लिए निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें:

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया ।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

आरती:

जय तेरी हो स्कंद माता। पांचवां नाम तुम्हारा आता॥
सबके मन की जानन हारी। जग जननी सबकी महतारी॥
तेरी जोत जलाता रहू मैं। हरदम तुझे ध्याता रहू मैं॥
कई नामों से तुझे पुकारा। मुझे एक है तेरा सहारा॥
कही पहाड़ो पर है डेरा। कई शहरों में तेरा बसेरा॥
हर मंदिर में तेरे नजारे। गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥
भक्ति अपनी मुझे दिला दो। शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥
इंद्र आदि देवता मिल सारे। करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए। तू ही खंडा हाथ उठाए॥
दासों को सदा बचाने आयी। भक्त की आस पुजाने आयी॥

इस प्रकार, देवी स्कंदमाता की पूजा श्रद्धालुओं को सुख, शांति, और मोक्ष की प्राप्ति करवाती है।

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