PANCHANG: 05 अक्टूबर 2024 का पंचांग…………..आज नवरात्रि के तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की पूजा……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत
पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।
पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।
आज आश्विन माह शुक्ल पक्ष की तृतीया है। आज स्वाति नक्षत्र है। आज शनिवार है। आज राहुकाल 08:48 से 10:17 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 05 अक्टूबर 2024 |
दिवस | शनिवार |
माह | आश्विन |
पक्ष | शुक्ल |
तिथि | तृतीया |
सूर्योदय | 05:51:23 |
सूर्यास्त | 17:39:15 |
करण | तैतुल |
नक्षत्र | स्वाति |
सूर्य राशि | कन्या |
चन्द्र राशि | तुला |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजित | 11:22 से 12:09 तक |
राहुकाल | 08:48 से 10:17 तक |
आज 05 अक्तूबर, शनिवार को शारदीय नवरात्रि का तृतीय दिन है। इस दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप की पूजा-आराधना की जाती है। मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप को चंद्रघंटा के नाम से जानते हैं। नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन इन्हीं के विग्रह की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन मां को अन्य भोग के अलावा शक्कर और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए। मान्यता है कि यह भोग लगाने से माँ दीर्घायु होने का वरदान देती हैं। इनके पूजन-अर्चन से व्यक्तित्व में वैराग्य, सदाचार और संयम बढ़ता है।
मां चंद्रघंटा के वंदन से मन को परम सूक्ष्म ध्वनि सुनाई देती है जो मन को बहुत शांति प्रदान करती है। चूंकि इनका वर्ण स्वर्ण जैसा चमकीला है और यह हमेशा आसुरिक शक्तियों के विनाश के लिए सदैव तत्पर रहती हैं, इसलिए इनकी आराधना करने वाले को भी अपूर्व शक्ति का अनुभव होता है। मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों को तेज और ऐशवर्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं देवी चंद्रघंटा के स्वरूप, पूजा विधि से लेकर मंत्र आरती तक सब कुछ।
मां चंद्रघंटा का स्वरूप
देवी चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत शांतिदायक और कल्याणकारी है। बाघ पर सवार मां चंद्रघंटा के शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। उनके माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसलिए उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। 10 भुजाओं वाली देवी प्रत्येक हाथ में अलग-अलग शस्त्र से सुशोभित हैं। उनके गले में सफेद फूलों की माला सुशोभित है। यद्यपि वह दुष्टों पर अत्याचार करने और उन्हें नष्ट करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं, फिर भी उनका रूप देखने वाले और उपासक के लिए सौम्यता और शांति से भरा रहता है। अतः भक्तों के कष्टों का निवारण ये शीघ्र ही कर देती हैं। सिंह इनका वाहन है।
मां चंद्रघंटा पूजा विधि
- ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानआदि से निवृत हो जाएं।
- इसके बाद मां को शुद्ध जल और पंचामृत से स्नान करायें।
- अलग-अलग तरह के फूल, अक्षत, कुमकुम, सिन्दूर, अर्पित करें।
- केसर-दूध से बनी मिठाइयों या खीर का भोग लगाएं।
- मां को सफेद कमल, लाल गुडहल और गुलाब की माला अर्पण करें और प्रार्थना करते हुए मंत्र जप करें।
- अंत में मां की आरती करें।
मां चंद्रघंटा का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।
पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
ऐं श्रीं शक्तयै नम:
मां चंद्रघण्टा की आरती
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती।चंद्र तेज किरणों में समाती।
क्रोध को शांत करने वाली। मीठे बोल सिखाने वाली।
मन की मालक मन भाती हो। चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।
सुंदर भाव को लाने वाली। हर संकट मे बचाने वाली।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये। श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं। सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।
शीश झुका कहे मन की बाता। पूर्ण आस करो जगदाता।
कांचीपुर स्थान तुम्हारा। करनाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटूं महारानी। भक्त की रक्षा करो भवानी।।