PANCHANG: 04 अक्टूबर 2024 का पंचांग…………..आज नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को है समर्पित……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।
पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।
आज आश्विन माह शुक्ल पक्ष की द्वितीया है। आज चित्रा नक्षत्र है। आज शुक्रवार है। आज राहुकाल 10:17 से 11:46 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 04 अक्टूबर 2024 |
दिवस | शुक्रवार |
माह | आश्विन |
पक्ष | शुक्ल |
तिथि | द्वितीया |
सूर्योदय | 05:51:02 |
सूर्यास्त | 17:40:13 |
करण | बालव |
नक्षत्र | चित्रा |
सूर्य राशि | कन्या |
चन्द्र राशि | तुला |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजित | 11:22 से 12:09 तक |
राहुकाल | 10:17 से 11:46 तक |
3 अक्तूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है, जिसका समापन नवमी पर होगा। इस नवरात्रि को नौ दिवसीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिसके पहले दिन मां दुर्गा की मूर्ति की स्थापना का विधान है। हर जगह मंदिर से लेकर पंड़ालों में माता विराजमान हो चुकी है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती हैं, जिसमें दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा को समर्पित है।
मां दुर्गा की नव शक्तियों का दूसरा स्वरूप देवी ब्रह्मचारिणी का हैं। उनकी पूजा करने से साधक के भाग्य में वृद्धि होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्मा जी का स्वरूप है अर्थात तपस्या का मूर्तिमान रूप है।
मान्यता है कि देवी की विधिनुसार आराधना करने से हर क्षेत्र में विजय की प्राप्ति होती हैं। साथ ही लालसाओं से मुक्ति के लिए मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करना चाहिए। आज नवरात्रि का दूसरा दिन है। ऐसे में आइए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि और भोग के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मां ब्रह्मचारिणी का रूप
मां ब्रह्मचारिणी का रूप मन को मोह लेने वाला है। देवी सफेद रंग की साड़ी धारण करती हैं, उनके एक हाथ में कमंडल और एक हाथ में माला है। मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दूसरे दिन इनकी पूजा करने से भक्तों को ज्ञान का आशीर्वाद मिलता है, और उनके सुखों में भी वृद्धि होती हैं।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। ऐसे में पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें। फिर सभी पूजा की सामग्रियों के साथ पूजा स्थान पर अपनी जगह लें। अब मां ब्रह्मचारिणी जी को फूल की माला पहनाएं। इसके बाद अक्षत, रोली, चंदन आदि चढ़ाएं। इस दौरान भोग स्वरूप पंचामृत चढ़ाएं और मिठाई का भोग लगाएं। मां ब्रह्मचारिणी को पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें। अंत में दीप लगाकर आरती करना शुरू करें, और अपनी गलतियों की क्षमा मांगे।
मां ब्रह्मचारिणी का भोग
मान्यताओं के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए गुड़ या चीनी से बनी मिठाई का भोग लगाएं। इससे देवी की कृपा प्राप्त होती हैं। यदि मिठाई नहीं है, तो आप चीनी या गुड़ भी अर्पित कर सकते हैं। इसे बेहद शुभ माना जाता है।
मां ब्रह्माचारिणी मंत्र
- या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। - दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
मां ब्रह्मचारिणी आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।