PANCHANG: 03 अक्टूबर 2024 का पंचांग……………आदिशक्ति की आराधना का पर्व हुआ प्रारंभ……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत

पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।

पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।

आज आश्विन माह शुक्ल पक्ष की प्रथमा है। आज उत्तर हस्त नक्षत्र है। आज गुरुवार है। आज राहुकाल 13:15 से 14:44 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।

आज का पंचांग (अंबिकापुर)

दिनांक03 अक्टूबर 2024
दिवसगुरुवार
माहआश्विन
पक्षशुक्ल
तिथिप्रथमा
सूर्योदय05:50:40
सूर्यास्त17:41:11
करणकिन्स्तुघन
नक्षत्रहस्त
सूर्य राशिकन्या
चन्द्र राशिकन्या

मुहूर्त (अंबिकापुर)

शुभ मुहूर्त- अभिजित 11:22 से 12:10तक
राहुकाल 13:15 से 14:44 तक

आज से शुभ योग में शारदीय नवरात्रि शुरू हो गई है। इस बार पंच महायोग में नवरात्रि पर मां का आगमन हुआ है। इस पंच महायोग में घट स्थापना और आराधना करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती है और शुभ फलों में वृद्धि होती है। नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है।

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 कलश स्थापना को घटस्थापना भी कहते हैं। देवीपुराण में उल्लेख मिलता है कि भगवती देवी की पूजा-अर्चना की शुरुआत करते समय सबसे पहले कलश की स्थापना की जाती है। नवरात्रि पर मंदिरों और  घरों में भी कलश स्थापित कर परमब्रह्म देवी दुर्गा के नौ शक्ति स्वरूपों की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। 

धार्मिक मान्यता के अनुसार कलश को ब्रह्मा,विष्णु, महेश और मातृगण का निवास बताया गया है। नवरात्रि के पावन पर्व पर कलश स्थापना करने का अर्थ है ब्रह्रांड में समाहित सभी ऊर्जा तत्व का कलश में आह्नान करना। इससे घर में मौजूद होने वाली हर एक तरह की नकारात्मक शक्ति खत्म हो जाती है।

नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा

नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप देवी शैलपुत्री की पूजा का महत्व होता है। मां शैलपुत्री की पूजा से भक्तों को जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। यह देवी प्रकृति और ऊर्जा की अधिष्ठात्री हैं और इनकी कृपा से भक्तों को मानसिक और शारीरिक शक्ति प्राप्त होती है। शैलपुत्री मां की कृपा से मनुष्य का जीवन सुरक्षित और संतुलित रहता है। यह देवी साधकों को आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती हैं और उनकी साधना को सफल बनाती हैं।

नवरात्रि पर क्यों जलाई जाती है अखंड ज्योति ?

नवरात्रि का त्योहार हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखता है। इसमें नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ विधि-विधान पूर्वक माता का स्वागत किया जाता है और अखंड ज्योति जलाई जाती है। अखंड ज्योति दुर्गा के प्रति समर्पण, आस्था और भक्ति का प्रतीक है। अखंड ज्योति का अर्थ है ‘निरंतर जलने वाला दीपक’। इसे देवी की कृपा और आशीर्वाद का स्रोत माना जाता है।

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नवरात्रि पर माता को लगाएं भोग

  • मां शैलपुत्री- दुर्गाजी के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री को सफेद और शुद्ध भोग्य खाद्य पदार्थ पसंद हैं। मां को गाय के शुद्ध घी से बनी सफेद चीजों का भोग लगाएं।
  • मां ब्रह्मचारिणी- नवरात्रि के दूसरे दिन यानी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना के दिन उन्हें मिश्री, चीनी और पंचामृत का भोग लगाएं। 
  • मां चंद्रघंटा- मां के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा को दूध और उससे बनी चीजें पसंद हैं। 
  • मां कूष्मांडा- मां कुष्मांडा को मालपुआ पसंद है। मां को शुद्ध देसी घी में बने मालपुए का भोग लगाएं।
  • मां स्कंदमाता- पंचमी तिथि की देवी मां स्कंदमाता को प्रसाद के रूप में केला पसंद है।
  • मां कात्यायनी- षष्ठी तिथि की देवी मां कात्यायनी को भोग में शहद पसंद है। शहद का भोग लगाकर देवी का पूजन करें। 
  • मां कालरात्रि- सप्तमी तिथि की देवी मां कालरात्रि को भोग में गुड़ के नैवेद्य अर्पित करें। 
  • मां महागौरी- अष्टमी का दिन मां महागौरी की पूजा-अर्चना का दिन है। मां को नारियल का भोग लगाएं। 
  • मां सिद्धि दात्री- नौंवे दिन यानी महानवमी को हलवे, चने और पूरी का भोग लगाना चाहिए।
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