PANCHANG: 03 दिसंबर 2023 का पंचांग………कब है कालाष्टमी व्रत?………..रोग, दोष, भय से बचने के लिए ऐसे करें काल भैरव की पूजा……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत
पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं।
आज मार्गशीर्ष माह कृष्ण पक्ष की षष्ठी है व आश्लेषा नक्षत्र है। आज रविवार है। आज राहुकाल 15:49 से 17:10 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 03 दिसंबर 2023 |
दिवस | रविवार |
माह | मार्गशीर्ष |
पक्ष | कृष्ण पक्ष |
तिथि | षष्ठी |
सूर्योदय | 06:23:54 |
सूर्यास्त | 17:09:46 |
करण | वणिज |
नक्षत्र | आश्लेषा |
सूर्य राशि | वृश्चिक |
चन्द्र राशि | कर्क |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजीत | 11:25 से 12:08 तक |
राहुकाल | 15:49 से 17:10 तक |
प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस बार 5 दिसबंर को कालाष्टमी है। कालाष्टमी व्रत के दिन भगवान शिव का रौद्र रूप माने जाने वाले बाबा कालभैरव की पूजा की जाती है। कालभैरव को शिव का पांचवा अवतार माना गया है। कालभैरव अपराधिक प्रवृतियों पर नियंत्रण करने वाले भयंकर दंडनायक हैं। ये अपने भक्तों की सदैव रक्षा करते हैं। कहा जाता है कि भगवान भैरव के भक्तों का अनिष्ट करने वालों को तीनों लोकों में कोई शरण नहीं दे सकता। काल भी इनसे भयभीत रहता है, इसलिए इन्हें कालभैरव कहा जाता है। कालाष्टमी के दिन बाबा काल भैरव की पूजा करने से जीवन के सभी संकट, काल, दुख दूर हो जाते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कालाष्टमी की पूजा विधि और महत्व के बारे में…
कालाष्टमी व्रत की पूजा विधि
कालाष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म और स्नान आदि करने के बाद भगवान भैरव की पूजा- अर्चना करें।
इस दिन भगवान भोलेनाथ के साथ माता पार्वती और भगवान गणेश की भी विधि-विधान से पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
पूजा के दौरान घर के मंदिर में दीपक जलाएं, आरती करें और भगवान को भोग लगाएं।
एक बात का ध्यान जरूर रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाया जाता है।
कालाष्टमी व्रत का महत्व
अगर आपके दुख कम नहीं हो रहे हैं, हर दिन जीवन में चुनौतियां मिल रही हैं तो कालाष्टमी के दिन बाबा भैरव की पूजा जरूर करें। मान्यता है कि इस दिन भगवान भैरव की पूजा करने से सभी तरह के भय से मुक्ति मिल जाती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही इस दिन व्रत रखने से भैरव भगवान की कृपा प्राप्त होती है और शत्रुओं से छुटकारा भी मिल जाता है।
काल भैरव मंत्र
ओम कालभैरवाय नम:
ओम भयहरणं च भैरव:
ओम ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं.
ओम भ्रं कालभैरवाय फट्
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