PANCHANG: 03 अगस्त 2024 का पंचांग………….कब है सौभाग्य दूज?…………….जानें पूजा का शुभ मुहूर्त……………पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत
पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है।
पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।
आज श्रावण माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी है। आज पुनर्वसु नक्षत्र है। आज शनिवार है। आज राहुकाल 08:47 से 10:25 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 03 अगस्त 2024 |
दिवस | शनिवार |
माह | श्रावण |
पक्ष | कृष्ण |
तिथि | चतुर्दशी |
सूर्योदय | 05:29:58 |
सूर्यास्त | 18:36:31 |
करण | शकुनी |
नक्षत्र | पुनर्वसु |
सूर्य राशि | कर्क |
चन्द्र राशि | कर्क |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजीत | 11:37 से 12:29 तक |
राहुकाल | 08:47 से 10:25 तक |
सौभाग्य दूज प्रत्येक वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, सौभाग्य दूज का त्योहार जुलाई के मध्य से अगस्त के मध्य तक मनाया जाता है। हिंदी कैलेंडर और पंचांग के अनुसार, इस दिन को बहुत शुभ माना जाता है और भारत के उत्तरी राज्यों में इसे बहुत उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। सौभाग्य दूज मुख्य रूप से महिलाओं का त्यौहार है, जिसमें वे एक-दूसरे को उपहार देती हैं। इसे ‘सिंधारा दूज’, ‘प्रीति द्वितीया’, ‘स्थान्य वृद्धि’ या ‘गौरी द्वितीया’ जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। इस बार यह पर्व 6 अगस्त को मनाया जाएगा और इसके बाद ही हरियाली तीज मनाई जाएगी। यह पर्व सावन मास में मनाया जाता है। आइए जानते हैं सौभाग्य दूज की तिथि शुभ मुहूर्त महत्व और इससे जुड़े उपाय।
श्रावण मास तिथि
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि आरंभ: 05 अगस्त, सोमवार सायं 6:04 मिनट से
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि समाप्त: 06 अगस्त, रात्रि 07:52 मिनट पर
उदयातिथि के अनुसार सिंधारा दूज 6 अगस्त को मनाई जाएगी।
पूजा शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 04: 21 से 05:03 तक
प्रातः सांध्य: प्रातः 04:42 से 05:45 तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 से 12:54 तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 03:41 से 03:34 तक
अमृत काल, दोपहर 03:06 से 04:51 तक
गोधूलि मुहूर्त: सायं 07:08 से 07:29 टल
क्या है सिंधारा दूज ?
सौभाग्य दूज हरियाली तीज के एक दिन पूर्व आता है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के साथ पूरे विधि विधान से गौरी पूजा भी की जाती है। सौभाग्य दूज को गौरी द्वितीया, सिंधारा दूज या स्थान्य वृद्धि के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल मुख्य रूप से यह नव वधुओं या बहुओं का पर्व माना जाता है। इस दिन सास अपनी बहुओं को उपहार देती हैं। सौभाग्य दूज के दिन बहूएं अपने माता-पिता द्वारा दिया गया बायना लेकर ससुराल वापस आती है। शाम को गौरी माता/देवि पार्वती की पूजा करने के बाद वह अपनी सास को मायके से लाया हुआ बायना देती है।
सिंधारा दूज पर उपाय
- सौभाग्य दूज पर गररेबों को गुड़ दान करने से आर्थिक समस्या दूर होती है।
- सौभाग्य दूज के दिन किसी गरीब को सफेद रंग के वस्त्र दान करने से जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है। इसके साथ ही चंद्र देव और भगवान शिव की भी कृपा मिलती है।
- विवाहित महिलाएं सिंधारा दूज पर मंदिर से चढ़ाया हुआ सिंदूर अपनी मांग में लगाएं तो पति की दीर्घायु होती है।
- सौभाग्य दूज पर महिलाएं मंदिर जाकर माता पार्वती को 16 शृंगार अर्पित करती हैं और पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।
- सौभाग्य दूज के दिन चावल और दूध से बनी खीर का दान करना शुभ माना जाता है। इससे जीवन में आ रही बाधा दूर होती है और सफलता के रास्ते खुलते हैं।