PANCHANG: 02 दिसंबर 2023 का पंचांग………इस दिन मनाया जायेगा उत्पन्ना एकादशी……… जानें शुभ मुहूर्त, पारण समय, विधि और मंत्र……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत
पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं।
आज मार्गशीर्ष माह कृष्ण पक्ष की पंचमी है व पुष्य नक्षत्र है। आज शनिवार है। आज राहुकाल 10:25 से 11:46 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 02 दिसंबर 2023 |
दिवस | शनिवार |
माह | मार्गशीर्ष |
पक्ष | कृष्ण पक्ष |
तिथि | पंचमी |
सूर्योदय | 06:23:13 |
सूर्यास्त | 17:09:40 |
करण | तैतुल |
नक्षत्र | पुष्य |
सूर्य राशि | वृश्चिक |
चन्द्र राशि | कर्क |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजीत | 11:25 से 12:08 तक |
राहुकाल | 09:05 से 10:26 तक |
एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए रखा जाता है। उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। पंचांग के मुताबिक उत्पन्ना एकादशी 8 दिसंबर 2023 शुक्रवार को पड़ रही है। हालांकि वैष्णव लोग उत्पन्ना एकादशी का व्रत 09 दिसंबर को रखेंगे। ऐसे में आइए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा। इसके लिए शुभ मुहूर्त और पारण का समय क्या है और पूजा-विधि और मंत्र क्या है?
उत्पन्ना एकादशी 2023 शुभ मुहूर्त
उत्पन्ना एकादशी तिथि- 08 दिसंबर 2023, शुक्रवार
पारण तिथि- 09 दिसंबर, 2023
एकादशी तिथि आरंभ- 08 दिसम्बर 2023 को सुबह 05:06 बजे
एकादशी तिथि समाप्त – 09 दिसम्बर 2023 को सुबह 06:31 बजे
वैष्णव उत्पन्ना एकादशी- 9 दिसम्बर 2023 शनिवार
वैष्णव एकादशी के लिए पारण (व्रत तोड़ने का) समय – सुबह 07:01 बजे से 07:13 बजे तक
उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि
उत्पन्ना एकादशी की पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान इत्यादि से निवृत हो जाएं। इसके बाद घर के पूजा स्थल पर दीप जलाएं। फिर किसी साफ आसन पर बैठकर पहले भगवान विष्णु का जल, गंगाजल या दूध के अभिषेक करें। इस क्रम में भगवान विष्णु की प्रतिमा के समाने तुलसी और पीले पुष्प अर्पित करें। इसके बाद भगवान विष्णु समेत मां लक्ष्मी की आरती करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन अधिक से अधिक हरि भजन करना चाहिए।
उत्पन्ना एकादशी मंत्र
ॐ नमोः नारायणाय॥
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
विष्णु गायत्री मंत्र
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
श्री विष्णु मंत्र
मंगलम भगवान विष्णुः, मंगलम गरुणध्वजः।
मंगलम पुण्डरी काक्षः, मंगलाय तनो हरिः॥
विष्णु भगवान की स्तुति
शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् ।
लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम् ॥
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