PANCHANG: 01 दिसंबर 2023 का पंचांग………कब है मोक्षदा एकादशी?…….. जानें- शुभ मुहूर्त, तिथि, पूजा विधि एवं महत्व……….पंचांग पढ़कर करें दिन की शुरुआत
पंचांग का दर्शन, अध्ययन व मनन आवश्यक है। शुभ व अशुभ समय का ज्ञान भी इसी से होता है। अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे बेहतर होता है। इस शुभ समय में कोई भी कार्य प्रारंभ कर सकते हैं।
आज मार्गशीर्ष माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी है व पुनर्वसु नक्षत्र है। आज शुक्रवार है। आज राहुकाल 10:25 से 11:46 तक हैं। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से परहेज करें।
आज का पंचांग (अंबिकापुर)
दिनांक | 01 दिसंबर 2023 |
दिवस | शुक्रवार |
माह | मार्गशीर्ष |
पक्ष | कृष्ण पक्ष |
तिथि | चतुर्थी |
सूर्योदय | 06:22:32 |
सूर्यास्त | 17:09:35 |
करण | बालव |
नक्षत्र | पुनर्वसु |
सूर्य राशि | वृश्चिक |
चन्द्र राशि | मिथुन |
मुहूर्त (अंबिकापुर)
शुभ मुहूर्त- अभिजीत | 11:24 से 12:08 तक |
राहुकाल | 10:25 से 11:46 तक |
हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी मनाई जाती है। तदनुसार, इस वर्ष 22 वर्ष को मोक्षदा एकादशी है। इस दिन भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी करने से साधक के पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली का आगमन होता है। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो मोक्षदा एकादशी तिथि पर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। आइए, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व जानते हैं-
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 22 दिसंबर को सुबह 08 बजकर 16 मिनट पर शुरू होगी और 23 दिसंबर को सुबह 07 बजे समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः 22 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी मनाई जाएगी।
पूजा विधि
मोक्षदा एकादशी के दिन ब्रह्म बेला में उठकर घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अगर सुविधा है, तो गंगा समेत पवित्र नदी में स्नान करें। इस समय आचमन कर व्रत संकल्प लें और पीले वस्त्र धारण करें। अब तिलांजलि करें। इसके लिए हथेली में तिल और जल लेकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। साथ ही बहती जलधारा में तिल प्रवाहित करें। इसके बाद पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। भगवान विष्णु को पीले रंग का फूल, फूल, चंदन, तिल, जौ, अक्षत, दूर्वा आदि अर्पित करें। इस समय पवित्र ग्रंथ गीता के एक अध्याय का अध्ययन और श्रवण करें। अंत में आरती कर सुख, समृद्धि और पूर्वजों को मोक्ष प्राप्ति हेतु कामना करें। दिन भर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें। विशेष कार्य में सफलता प्राप्ति हेतु निर्जला उपवास भी रख सकते हैं।
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