Zero Shadow Day 2024: शून्य छाया दिवस, जब परछाई भी साथ छोड़ देती है……… बेंगलुरु में आज है जीरो शैडो डे, जानें क्या है और यह क्यों होता है?
अक्सर लोग सोचते हैं कि ऐसी घटना तो रोज होती है, जब दोपहर में सूर्य सिर के ऊपर आता है, और हमें हमारी ही परछाई नहीं दिखती, लेकिन यह सच्चाई नहीं है. ऐसा साल में केवल दो बार कुछ चुनिंदा स्थानों पर ही होता है. वह भी तब, जब आप कर्क और मकर रेखा के बीच में होते हैं. हमारी छाया की लंबाई क्षितिज से सूर्य की ऊंचाई पर निर्भर करती है. दिन के आरंभ में यह लंबी होती है. जैसे-जैसे सूर्य शिखर पर आता है, छाया छोटी होती जाती है. दोपहर के समय हमारी परछाई सबसे छोटी हो जाती है. लेकिन प्रत्येक दिन यह छाया शून्य नहीं होती.
क्या है शून्य छाया दिवस?
शून्य छाया दिवस (Zero Shadow Day) एक विशेष खगोलीय घटना है, जो साल में दो बार घटित होती है. इस घटना क्रम में जब सूर्य आकाश में अपने उच्चतम बिंदु पर पहुंचता है तो किसी भी वस्तु या जीवित प्राणी की छाया पृथ्वी पर नहीं दिखाई देती. शून्य छाया का यह पल न केवल हैरान करने वाला होता है, बल्कि एक शैक्षिक अवसर के रूप में भी कार्य करता है, जो आकाशीय पिंडों की जटिल गतिविधियों पर प्रकाश डालता है.
शून्य छाया कहां होगा, कहां नहीं?
भारत के कुछ प्रमुख शहर उदाहरणार्थ मुंबई, चेन्नई और पुणे आदि कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच आते हैं, इसलिए ये शहर शून्य छाया कि श्रेणी में आते हैं, यहां शून्य छाया दिवस मनाया जाता है, वहीं दिल्ली, जयपुर, लखनऊ एवं प्रयागराज जैसे कई शहर कर्क रेखा और मकर रेखा के दायरे में नहीं आते, इसलिए ये शहर शून्य छाया दिवस की सूची में नहीं आते हैं. अलबत्ता 21 जून को वहां स्थानीय मध्याह्न के समय छाया की लंबाई न्यूनतम होगी, जीरो नहीं.
शून्य छाया दिवस और विज्ञान
विज्ञान के नजरिये से देखा जाये तो शून्य छाया दिवस पृथ्वी के अक्षीय झुकाव और सूर्य के चारों ओर इसकी कक्षीय गति के कारण होता है, जो पृथ्वी, सूर्य और बदलते मौसम के बीच गतिशील संबंधों को दर्शाता है. वस्तुतः पृथ्वी की धुरी उसके कक्षीय तल के सापेक्ष लगभग 23.5 डिग्री पर झुकी हुई है. इस कारण पूरे वर्ष आकाश में सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होता रहता है. जिसके कारण दिन के उजाले की लंबाई और उस कोण में भिन्नता होती है. तब सूर्य का प्रकाश पृथ्वी की सतह पर पड़ता है. गर्मी के दिनों में, जो उत्तरी गोलार्ध में 21 जून और दक्षिणी गोलार्ध में 21 दिसंबर के आसपास होता है, पृथ्वी की धुरी के झुकाव के कारण सूर्य स्थानीय सौर दोपहर में कर्क रेखा (उत्तरी गोलार्ध) या के साथ सीधे सिर के ऊपर होता है.
बेंगलुरु में शून्य छाया दिवस
बंगलुरु में भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (ICC) 24 अप्रैल 2024 को अपने कोरमंगला परिसर में शून्य छाया दिवस के अवसर पर कार्यक्रमों की मेजबानी करेगा. यहां 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक कार्यक्रमों का आयोजन होगा. इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले प्रतिभागी वस्तुओं अथवा मनुष्य की बदलती छाया को देख और माप सकते हैं, तथा सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के झुकाव देख सकते हैं.
बंगलुरू समेत कुछ प्रमुख शहर जहां शून्य छाया दिवस महसूस किया जायेगा
बेंगलुरु: 12.17 PM से 12.25 PM (24 अप्रैल और 18 अगस्त 2024)
हैदराबाद: 12.12 PM से 12.19 PM (09 मई और 05 अगस्त 2024)
मुंबई: 12.34 PM से 12.45 PM (15 मई और 27 जून 2024)
भोपाल: 12.20 PM से 12.23 PM (13 जून और 28 जून 2024)
कन्याकुमारी: 12.21 PM से 12.22 PM (10 अप्रैल और 01 सितंबर 2024)