AKSHAYA NAVAMI 2023: कब है आंवला या अक्षय नवमी ………. जानते हैं इसका शुभ मुहूर्त और महत्व

हिंदू धर्म में अक्षय नवमी को अक्षय तृतीया के समान ही महत्वपूर्ण माना गया है। इसे आंवला नवमी भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन पर आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। पश्चिम बंगाल में इसी दिन को जगद्धात्री पूजा के रूप में मनाया जाता है। साथ ही इस विशेष दिन पर मथुरा-वृंदावन की परिक्रमा भी की जाती है।हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर अक्षय नवमी मनाई जाती है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। जैसा कि इसके नाम से ही जाहिर है, अक्षय नवमी पर किए गए कार्यों से व्यक्ति को अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइए जानते हैं अक्षय नवमी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

अक्षय नवमी महत्व

‘अक्षय’ का अर्थ है अमर यानि जिसका कभी क्षय न हो। ऐसा माना जाता है कि अक्षय नवमी के दिन ही सत्य युग की शुरुआत हुई थी। इसलिए अक्षय नवमी के दिन को सत्य युगादि के रूप में भी जाना जाता है। सभी प्रकार के दान-पुण्य कार्यों के लिए इस तिथि को बहुत-ही महत्वपूर्ण माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि से लेकर पूर्णिमा के दिन तक भगवान विष्णु आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं। यही कारण है कि अक्षय तृतीया पर आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है।

अक्षय नवमी शुभ मुहूर्त

कार्तिक नवमी के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 21 नवंबर, 2023 को प्रातः 03 बजकर 16 मिनट पर प्रारम्भ हो रही है। साथ ही इसका समापन 22 नवंबर को रात्रि 01 बजकर 09 मिनट पर होगा। ऐसे में अक्षय नवमी 21 नवंबर, मंगलवार के दिन मनाई जाएगी। इस दौरान पूजा का शुभ समय सुबह 06 बजकर 48 मिनट से 12 बजकर 07 मिनट तक रहने वाला है।

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अक्षय नवमी पूजा विधि

आंवला नवमी के दिन आंवला के पेड़ की पूजा की जाती है। ऐसे में इस दिन जल में कच्चा दूध मिलाकर आंवला के पेड़ की जड़ में अर्पित करें। इसके साथ ही पेड़ पर फूल, माला, सिंदूर, अक्षत आदि अर्पित करें। पेड़ के तने में कच्चा सूत या मौली को आठ बार लपेंटे। पूजा के बाद व्रत कथा जरूर सुनें। इस दिन पूरे परिवार के साथ भोजन पेड़ के नीचे बैठकर सात्विक भोजन करना बहुत-ही माना जाता है।

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