CHHATTISGARH: गुरू घासीदास-तमोर पिंगला बना देश का 56वां टाइगर रिजर्व…………..मुख्यमंत्री श्री साय ने जताया आभार

छत्तीसगढ़ को बाघों के संरक्षण के लिए एक नया गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिज़र्व मिला है। यह भारत का 56वां टाइगर रिज़र्व होगा, जिसकी अधिसूचना केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने जारी की। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने इस उपलब्धि के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वन मंत्री का आभार व्यक्त किया।

विशेषताएँ और क्षेत्रफल

  • कुल क्षेत्रफल: 2,829.387 वर्ग किलोमीटर
  • आरक्षित वन: 1,254.586 वर्ग किमी
  • संरक्षित वन: 1,438.451 वर्ग किमी
  • राजस्व क्षेत्र: 136.35 वर्ग किमी
  • कोर क्षेत्र: 2,049.2 वर्ग किमी (गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य शामिल)।
  • बफर क्षेत्र: 780.15 वर्ग किमी।

यह रिज़र्व देश का तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिज़र्व बन गया है, जो आंध्र प्रदेश के नागार्जुनसागर-श्रीशैलम और असम के मानस टाइगर रिज़र्व के बाद आता है।

परिस्थिति और महत्व

गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिज़र्व का भौगोलिक स्थान इसे अनोखा बनाता है। यह मध्य प्रदेश के संजय दुबरी टाइगर रिज़र्व से सटा हुआ है और झारखंड के पलामू तथा बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व से जुड़ा हुआ है। यह क्षेत्र लगभग 4,500 वर्ग किमी का परिदृश्य तैयार करता है।

जैव विविधता

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के अनुसार, इस रिज़र्व में 753 प्रजातियाँ पाई गई हैं:

  • अकशेरुकी जीव: 365 प्रजातियाँ (ज्यादातर कीट)।
  • कशेरुकी जीव: 388 प्रजातियाँ।
  • पक्षी: 230 प्रजातियाँ।
  • स्तनधारी: 55 प्रजातियाँ।
    इसमें कई संकटग्रस्त प्रजातियाँ भी शामिल हैं।

संरक्षण के लिए कदम

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने 2021 में इस रिज़र्व को अंतिम मंजूरी दी थी। यह छोटा नागपुर और बघेलखंड पठार में स्थित है, जो विविध भूभाग, घने जंगलों और नदियों से समृद्ध है। रिज़र्व के अधिसूचित होने के साथ, छत्तीसगढ़ में अब कुल चार टाइगर रिज़र्व हो गए हैं।

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महत्वपूर्ण योगदान

गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिज़र्व से बाघ संरक्षण को नई दिशा मिलेगी। यह प्रोजेक्ट टाइगर के तहत मिलने वाली तकनीकी और वित्तीय सहायता से संरक्षण प्रयासों को और सुदृढ़ करेगा।

इस क्षेत्र की अधिसूचना से न केवल बाघों का संरक्षण होगा, बल्कि समृद्ध जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को भी मजबूती मिलेगी।


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